Men's HUB Issue 027 (India) by Men's HUB - HTML preview

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ST

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FR

- 2023C

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M

1

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SU

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

उजड़

ते आशि याने

रमन राणा

ूठे केसों का उसने कुछ ऐसा पुलिलंद ाबनाया

पंचायत,रिरश्तेदार और न जाने निकतन ोंको बहकाया

चुन-चुन क

र मेरे ऊपर इल्जाम का हर दाग लगाया

करके तैयार कानूनी लड़ाई मेरा निफ

र दरवाजा ख#ख#ाया

काले को

# व

ाले भ ीखड़े

थे मो# ीफाइ

ल बन ाकर

ये वक्त था

जब गैरों से नहीं मैंने अपनों से भी /

ोखा खाया

भाई,बहन, मां, बाप सबको शिल

ए निफरता

हूं सड़कों पर

सालों हो ग

ए इस घर का कोई ख्

स नह ींमुस्कुराया

निनदH

ष होते हु

ए भी इल्जाम हजारों है मुझ पर

दहेज, घर

ेलू हिहंस ाझ

ूठ का उसने हर ग

ुल खिखलाया

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Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

निकसी ने एक ब्

द न ासुना मेरी बेगुनाही का

नित ह ीहोगा गलत, भरी पंचायत ने भी यही फरमाया

हम क

र भी क्या सकते हैं चुपचाप सह रहे हैं

मेरे घर

के तो बुजुग 'क ोभी दुल्ह

ने अपरा/ ीबनाया

कानून

के साथ समाज भी आज हुआ पड़ा है अं/ा

ूठ की नींव प

र केस टि#

के हैं,यह निकसी

ने ना बताया

लेनिकन हम प्रताधिड़त लोगों में भी हौसला कमाल

है साहब

हमने खुद

के साथ समाज को भी समझाया

मो#ा पैसे मांगने वाले, वो लोभी यह सुन लें

नितनका ना देंगे क्यों

निक मेहन

त से है सब कमाया

जीवन के अ

ंत त

क साथ जीने की खाई थी कसम

लेनिकन झ

ूठे केसों

के इस रिरव

ाज न ेह

र घ

र को जलाया

24

Image 15

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

Surya Namaskara

Anamika

The SUN is the STAR at the center of our SOLAR SYSTEM and most important source of energy for LIFE on EARTH. Its diameter is almost 109 times that of Earth and its mass is 25

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

around 330000 times of Earth. And it has more then 99 % mass the Solar-System.

The SUN has great importance for Indians not only as Energy Source but also from spiritual point of view. In Sanskrit name used for SUN is 'SURYA'.

In ancient times we worshiped sun on daily basis. In Yoga the SUN is represented by SURYA-NADI, the pranic channel which carries the vital life giving force.

Surya Namaskara is wel known from Vedic Age. Today when we have very busy life, we don't have much time to take care of ourself, surya namaskar play very important role in maintaining the health. It is ef ective way loosening up, stretching, massaging and toning al the joints, muscles and internal organs of the body. Its versatility and applications make it one of the most useful method of adopting in active life. Surya Namaskara has direct impact on solar energy of human body, flowing throw surya-nadi.

Surya Namaskara has 12 dif erent asans / positions : 01 : Pranam Asan

02 : Hasta Uttan Asan

03 : Padahast Asan

04 : Ashwa Sanchalan Asan

05 : Parvat Asan

06 : Ashtanga Namaskara

07 : Bhujang Asan

08 : Parvat Asan

09 : Ashwa Sanchalan Asan

10 : Padahast Asan

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Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

11 : Hasta Utthan Asan

12 : Pranam Asan

Al asans can be seen in Sculpture.

For benefits beginners can start form 2 or 3 rounds per day, and can add 1 or 2 more round every week. Once advance stages people should practice in between 3-12 slow and 3-12 fast steps. After that surya-namaskara should be done under expert guidance.

~~~~~~~~~~

Most of us are warning others by experience. We've either lived it or lived with someone who can't just drink one glass. Why because it's addicting and dangerous.

Anything that can alter the mind is dangerous and wrong.

Stacy

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Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

Health Issues After Corona

पैदल चशिलए

कोरोना के पश्चात् काफी लोगो को हेअरथ अ#ैक आने एवं मृत्यु हो जाने सम्बन्/ी समाचार लगातार सुनाने

में आ

रहे है | ह

ाल ही में एक बस ड्राइवर की मृत्यु ड्राइहिव

ंग

के दौर

ान हा

#' अ#ै

से ह ोगय ी| इसी प्रकार एक व्य

शिक्त नाचते नाचते

अचानक हा

#' अ#ैक का शि कार बन गया | ऐसे ही अन्य कई उदहारण आस पास टिदखाई दे रहे है | य

टिद इन उद्धरणों को

छो

ड़ भ ीटिदय ाजाय ेत

ब भ ीस

च यह है की आयु हर रोज बढ़ रही है और बढ़ती आयु के साथ र

ीर क ीनिगराव

# लगात

ार बनी

रहती है | बढ़ती आयु के साथ साथ स्वास्थ्य के देखभाल की आवश्यकता अधि/क पड़ती है इसीशिलए आवश्यक है की हर

रोज कुछ समय अपनी सेहत के शिल

ए निनकला

जाये |

हैवी व्यायाम कोरोना के बाद से नुकसान दायक टिदखाई देने लगे है इसीशिलए आवश्यक है की हलके व्यायाम को

टिदनचया' म ें ाधिमल निकया जाये | ऐसा ही हल्का फुल्का व्यायाम है पैदल चलना | पैदल चलने के कई लाभ

हैं शिलहाज़ा जहाँ

तक संभव हो काम दूरी जैसे की पड़

ोस क ीदुक

ान य ापडोस ीसब्जी बाजार आ

टिद त

क पैद

ल ह ीच

ल क रजान ालबदाय

क हो

सकता

है | पैदल चलने के निनम्

न लाभ ह ोसकते है

 निकसी व्यशिक्त की हधि_य ों और माँसपेशि य ों का ५०% दोनों पैरों

में होता है। पैदल चलने से दोनों मजबूत होंगी

इसशिल

ए पैद

ल चशिलए।

 मानव रीर की हधि_य ोंका सबसे बड़ा और सबसे मज़बूत

जोड़ पैर ों

में होता है।इसशिलए प्रनितटिदन १० हज़

ार कदम

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Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

पैदल चलें।

 मज़बूत हधि_याँ, मज़बूत माँसपेशि याँ और लचकदार जोड़ों का “लौह निdक ”

ोण पैर ों

में होता है, जो पूरे रीर का

बोझ ढ

ोते हैं।

 मनुष्य जीवन में ७०% गनितनिवधि/याँ और ऊ

जा' क ाक्षय दोन ोंपैर ोंद्वारा निकय ाजाता है।

 जवान मनुष्य की जाँघें इतनी मज़बू

त होती ह ैं

निक

८०० निकग्र ावज

न की ए

क छो# ीका रक ोभ ीउठ ासकत ीहैं।

रीर

के इंजन का केन्द्र पैर में होता है।

 दोनों पैरों

में धिमलाकर पूरे मानव रीर की ५०% नाधिड़याँ होती हैं। उनमें होकर ५०% रक्त कोशि काएँ और ५०%

रक्त बहता है।

 यह रक्त प्रवाह का सबसे बड़ा ने#व

क' ह ै।इसशिल

ए प्रनितटिद

न पैद

ल चशिलए।

 य

टिद पैर स्वस्थ होंगे, तो रक्त का प्रवाह सामान्य रहता है। इसशिलए जिजनके पैर ोंकी माँसपेशि याँ मज़बूत हैं, उनका

हृदय भी मज़बू

त होगा। इसशिल

ए पैद

ल चशिलए।

 वृद्धावस्था पैरों से ऊपर की ओर

ुरू होत ीह ै।उम्र बढ़

ने प

र मस्तिस्तष्

से पैर ोंक ोआ

ने व

ाले निनदs ोंक ी ुद्धत ाऔर

नित कम होती जाती ह ै।युवाओं में ऐसा नहीं होता। इसशिल

ए पैद

ल चशिलए।

 उम्र बढ़न ेपर हधि_य ोंकी

खाद कैल्शिल् य

म की माd ाक

म होत ीजात ीहै, जिजससे हधि_यों में #ू#न होने की संभावना बढ़

जात ीहै। इसशिलए पैदल चशिलए।

 हधि_यों में #ू#न होने पर अनेक शि कायत ोंका शिसलशिसला

ुरू हो सकता है। इनम ेंनिव ेष रूप से घातक बीमारिरयाँ

जैसे ब्रेन थॉम्बोशिसस ाधिमल हैं।

 पैरों के व्यायाम करने में कभी देरी नहीं होती। ६० की उम्र के बाद भी ये व्यायाम

ुरू निक

जा सक

ते हैं।

 यद्य

निप हमारे पैर समय के साथ वृद्ध होंगे, लेनिकन इनका व्यायाम जीवन भर करना चानिहए। प्रनितटिदन दस हज़

ार पग

पैदल चशिलए।

 पैरों को लगातार मज़बूत करके ही कोई व

ृद्ध होने की ग

नित कम कर सकता है। इसशिलए साल

में ३६५ टिदन पैदल

चशिलए।

 क्या आप जानते हैं

निक व

ृद्ध रोनिगय ों

में १५% की मृत्यु जाँघ की ह_ी

में #ू#न होने पर एक साल के अन्दर हो जाती

है? इसशिल

ए निबना च

ूके प्रनितटिदन पैदल चशिलए।

 अपने पैरों के पया'प्त व्यायाम के शिलए और पैर ोंकी माँसपेशि य ोंको स्वस्थ रखने के शिल

ए प्रनितटिदन कम

से क

म ३०-

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Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

४० धिमन

# पैद

ल चशिलए।

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What was silent in the father speaks in the son, and often I found in the son the unveiled secret of the father.

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Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

The Game Ought To Be On

Abhay Bharunt

We all have come across the proverb “All work and no play makes Jack a dull boy”. Indeed I agree in toto with the proverb as if a person works constantly and that to without relaxing oneself than it’s totally harmful for one’s well being. Wait before the feminists raises the question why “Jack” and not “Jill” in the proverb as it’s fact that major of the sports haven been perceived as it’s the man thing but scientifically also it has been proven that men are more inclined to competitive sports as compared to woman.

As compared to our woman counterparts we man don’t open up or share our misery, in result we are prone to anxiety, depression and stress. As for such reason sports should be an essential aspect in any one life as sports not only help one to relax but safeguard one mind and body to be fresh. Any kind of physical activity helps in maintaining one’s body in shape and it helps oneself in decision making, organizing, planning and executing strategies. Playing sports increases one’s reflexes and communication skills, helps in gelling with team mates and build up relationships. Ultimately indulging in sport reduces stress, improves one vital organs functioning along with dealing up the pressure situation. Sports help in boosting ones confidence, improving ones sleep cycle and overall ones mental stability.

Present day work life is enormously competitive furthermore extremely stressful. Scientifically 31

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

it has been proven that while playing sports our brains releases chemicals which helps in improving our mood, reduces stress hormones, sports even help in treating depression as in one study it has been found that, light sports or a modest amount of exercise has been seen offering similar benefits to antidepressant treatment. Sports also helps in improving sleep cycle as intense workout makes one fall asleep faster and also deepens one sleep.

In modern era diabetic has been a pandemic along with asthma, arthritis, cancer and heart ailment. Sport helps in reducing blood sugar, improves lung capacity, strengthen muscles in addition to enhancement of cardiovascular fitness.

Playing or watching Sport is a boon to people who want to pass their time or are feeling bored.

In a play ground one can voice their disappointment, annoyance and apprehension that too productively as none want to be conquered in life. By giving their all out in sports it bestow satisfaction, confidence as well as builds up sportsman spirits.

It’s a game and someday one may win someday one may lose, but the most important aspect is the person aim to pull in cent percent of one’s strength, show character as well as express oneself.

So, let’s play another game in one’s own yard…cause The Game is On!

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Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

मैं हूँ आज़ाद , रहूँगा भी

Dr. Raman

मैं हूँ आ

ज़ाद , रहूँगा भ ी,

जो टिदल में है , वो कहूंगा भ ी,

ज़िज़ंदा हु मैं और रहूँगा भ ी,

जो , जो गलत हुआ मेरे साथ जब तक चुप रहना बनता है मेरा , चुप रहूँगा भ ी, जो नहीं होना था वो भी हुआ ,

बारूद अंदर अंदर इकठा कर रहा

हु ,

एकटिदन आएगा

जब मेरा स

च सुना जायेगा उस टिद

न फ#ूँगा भ ी,

ये दुनिनया आँखें मूँद ले हज़ार प

र .

सच , हमे ा सच रहेगा ,

झूठ स ेपदा' उठा कर चैन

से एक टिदन सोऊंगा भी,

बहु

त साहस है

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Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

हमारे "मेन्स राइ#" केलोगों में

मैं भी सुनूंगा 100 लोगों की प

र अपनी 1 बात कहूंगा भी ,

ज़िज़ंदा हूँ , और मैं जस्टिस्#स

धिमलने तक . जिजन्दा रहूँगा भी

~~~~~~~~~~

कुछ लोग मुझसे हमारे सफल दाम्पत्य जीवन का रा

ज़ प

ूछते हैं. . हम ह

र सप्ताह

में दो बार रेस्तरां जाने का समय निनकालते

हैं - कैंडल-लाइ# धिडनर, कुछ संगीत, कुछ नाच. . वह ह

र मंगलवार को जाती है, मैं हर ुक्रवार को

हेनरी यंगमैन

~~~~~~~~~~

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Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

वैज्ञानिन

05

रोमी से वाद विववाद होना सामान्य बात है परंतु झगड़ा होना अवश्य ही नई बात है । इस बार जब रोमी घर आया तो

अच्छा खासा झगड़ा भी हो गया ।

सूय% ग्रहण लगभग हर साल होता है, बल्कि)

* ह रसाल *ई बा रहोता ह ै। *भ ीहमारे यह ांदिदखा

ई देत ा

है त ो*भ ीनहीं

भ ीदेता ।

घर *े बाहर आंगन में *ई तर

*े फू

ल पौ

धे घा

स आदि

द उग ार

खे

है ।अक्स रपड़ोस ीगुला

*े फू

ले जा

ते

है वि*सी

*ो पूजा *े लिलए चाविहए तो वि*सी *ो सजाने *े लिलए चाविहए । जब भी सूय%ग्रहण होता है तब मोह)ले *े लोग घास लेने

अवश्य आते

हैं ।मैने भी आज त

* वि*स ी* ोरो* ानह ीं।

इस बार भी जब सूय%ग्रहण हुआ तब बहुत सारे लोग घास लेने आए और ले भी गए । रोमी भी हड़बड़ाया हुआ

दाखिखल हुआ और आंगन में ज)दी ज)दी घास तलाश *रने लगा । ऐसे लग रहा था जैसे *ी यदि

द उसे घास नह ींमिमली तो

उस* ासंसार ही खत्म हो जाएगा ।

उस* ीहड़बड़ाहट *ो देख

ते हु

ए मैने उसे घास तोड़ने से मना * रदिदय ा ।सभ ी

ले ग

थे पर

ंतु रोम ी* ोरो

* दिदय ाबस

इसी मस

ले पर झगड़ा हुआ और खूब झगड़ा हुआ ।

रोमी झगड़े *े बाद भी घा

स नह ींले जा पाया आखिख रवि*

स अनप

ढ़ अंधविवश्वास ीऔ रविवज्ञा

*े विवद्या

थF य ाविवशेषज्ञ

में *ुछ अंतर तो होना ही चाविह

ए । शायद रोमी इस सामान्य बात *ो समझ ही नह ींपा रहा उस

*े लिल

ए विवज्ञा

न लिस

फ% वि*ताबों

में लिलखी चंद बा

तें मा

त्र बन *र र

ह ग

है ।

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Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

ेल्थ टि प्स

हींग

गुजरे *ल

में हींग हमारे रसोई घर *ा अभिभन विहस्स ारहा है | *ई घरों में आज भी हींग *ा इस्तेमाल वि*या जाता है |

हींग *ा सवा%मिध* उत्पादन अफगाविनस्तान

में होता है | वत%मान में भारत *े *ुछ विहस्स ों

में भी हींग *ी खेती *े प्रयास वि*ये

जा रहे है | मुख्य रूप से हींग *ा उत्पादन ठन्डे रेविगस्तानी भाग ों

में वि*या जाता है जैसे *ी विहमाचल प्रदेश *ी लाहौ

ल घाटी |

भारत में हींग *ा आय

त त*रीबन 1200 टन है जिजस*ी *ीमत त*रीबन 600 *रोड़ रुपये *े आसपास है |

इस आयावितत

हींग *ो *ंपाउंड *े साथ मिमला *र बाजार

में बेचा जाता

है जिजस*ा इस्तेमाल खान े

*े सा

थ सा

थ दवाइय ों

में भ ीवि*य ाजाता

है | हींग

*े *ुछ मुख्य उपयोग विनम्

न प्र*ार

है |

• दांत ोंमें *ी

डे लग जान ेप ररावि

त्र * ोदां

में हींग दबा* रसोएँ ।*ी

ड़े खुद-ब-ख

ुद विन*

ल जाएंगे।

• यदि

द शरीर *े वि*सी विहस्से

में *ांटा चुभ गया हो तो उस स्थान पर हींग *ा घोल भर दें। *ुछ समय

में *ांटा स्वतः

विन*

ल आएगा।

• हींग

में रोग-प्रवितरोध* क्षमता होती है। दाद, खाज, खुजली व अन्य च

म% रोग ों

में इस*ो पानी

में मिघस*र उन स्थानों

प रलगाने से लाभ होता है।

• हींग * ाल

ेप बवासीर, वित)ली में लाभप्रद है।

• *ब्जि[जयत *ी लिश*ायत होने पर हींग *े चू

ण%

में थोड़ा सा मीठा सोड़ा मिमला*र रावि

त्र *ो फां* लें, सबेरे शौच साफ

होगा।

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Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

• प

ेट

*े दद%, अफारे, ऐंठन आदि

द म ेंअजवाइन और नम

*

*े सा

थ हींग * ासेव

न * रेंत ोला

भ होगा।

• प

ेट में *ीड़े ह ोजाने प रहींग *ो पान ी

में घोल* रएविनम ाल

ेने

से प

ेट

*े *ी

ड़े शी

घ्र विन*

ल आ

ते हैं।

• जख्म यदि

द *ुछ समय त* खुला रहे तो उस

में छोटे-छोटे रोगाणु पनप जाते हैं। जख्म पर हींग *ा चू

ण% डालने से

रोगाणु नष्ट हो जाते हैं।

• प्रवितदिदन

*े भोजन म ेंदाल, *ढ़ी व *ुछ सब्जि[जय ों

में हींग * ाउपयोग *र

ने

से भो

जन * ोपचा

ने

में सहाय

* होत ीहै।

• मालिस* धम %*े दौरान होने वाली परेशाविनयां जैसे पेट

में द

द% औ रमरो

ड़ या अविनयमिम

त मालिस

* ध

म%

में हींग * ासेवन

*रने से फायदे होते हैं। यह औषमि

ध *ैंविडडा संक्रमण और )यू*ोरहोइया से भी छुट*ारा दिदलाने

में मददगार साविबत

होता है।

• सूख ीखांसी, अस्थमा, *ाली खांसी

*े लिलए हींग औ रअदर

*

में शह

द मिमला* रले

ने

से *ाफ ीआरा

म मिमलत ाहै।

• हींग *ी मदद से शरीर में ज्यादा इन्सुलिलन बनता है और [लड शुगर *ा स्तर नीचे विगरता है। [लड शुगर *े स्तर *ो

घटाने *े लिलए हींग में प*ा *ड़व ा*द्द ूखान ाचाविहए।

• हींग

में *ोउमारिरन होता है जो खून *ो पतला *रने

में मदद *रता है और इसे जमने से रो*ता है। हींग बढ़े हुए

ट्राइग्लीसेराइड और *ोलेस्ट्रोल *ो *

म *रता

है औ रउ

च्च रक्तचा

प * ोभ ीघटात ाहै।

• यह औषमिध विवचार शब्जिक्

त *ो बढ़ाती है और इसलिलए उन्माद, ऐंठन और दिदमाग में खून *ी *मी से बेहोशी जैसे

लक्षण

से बचने

*े लिल

ए भ ीहीं

ग खा

ने * ीसला

ह द ीजात ीहै।

• अफीम *े अस र*ो *

म *र

ने

में हींग मदद *रत ाह ै।इसलिल

इसे विवषहर

ण औषमि

ध भ ी*ह ाजात ाहै।

• शोध

*े अनुसा रहींग में वह शब्जिक्

त होती

है

जो *

*% (*ैंसर) रोग * ोबढ़ाव ादेने वाले सेल *ो पनप

ने

से रो*त ाहै।

37

Image 16

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

Raja Rani - Relationship

Dr. G. Singh & By Swastik Day

प्रथम आयाम : विनशा एवं आ*ाश स्*ूल म ेंए* साथ पढ़े उस

*े बा

द *ॉल

ेज

में भ ीए* सा

थ ग

ये ।दोन ो

*े

घर भी

आस पास थे दोनो सुबह इ*ठे *ॉलेज जाते और *ॉलेज *े बाद इ*ठे ही वाविपस आते । दिदन

में भी बहुत सारा समय ए*

साथ गुजरता था । लंबा समय साथ साथ रहने *े *ारण आ*ष%ण होना स्वाभाविव* था । धीरे धीरे आ*ष%ण प्यार

में बदल

38

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

गया । *ॉलेज *े बाद दोन ों*ो 25000 रुपये प्रवि

त माह *ी अच्छी नौ*री भी ज)दी ही मिमल गयी । आ*ाश *े घर पर

उस* ीशादी *ी बात चल रह ी

थी विनश ाख

ुश

थी आखिख रउन

*े प्या र* ोमंजिज

ल मिमल

ने वाल ी

थी ।रविववा र

*े दिद

न आ*ा

श *े

माता विपता व आ*ाश वि

* मुला*ात रेखा से हुइ | आ*ाश *ो रेखा विनशा वि

* अपेक्षा बेहतर भविवष्य दिदखा और उन*ी

एंगेजमेंट हो गयी | सोमवार *ो जब विनशा *ो आ*ाश से एंगेजमेंट होने *ी जान*ारी विनश ा*ो दी तो विनशा *ो आ*ाश *ा

फ़ैस्ला पसंद नहीं आया और मंगलवार *ो आ*ाश विनशा से रेप एवं धोखादड़ी *े आरोप

में जेल

में था और न्य

ूज़ पेपर

आ*ाश नाम

*े दरिरंदे *ी फोट ोछा

प रह े

थे |

दूसरा आयाम : विनशा एवं आ*ाश स्*ूल

में ए

* साथ पढ़े उस

*े बाद *ॉल

ेज

में भ ीए

* सा

थ ग

ये ।दोन ो

*े

घर भी

आस पास थे दोनो सुबह इ*ठे *ॉलेज जाते और *ॉलेज *े बाद इ*ठे ही वाविपस आते । दिदन

में भी बहुत सारा समय ए*

साथ गुजरता था । लंबा समय साथ साथ रहने *े *ारण आ*ष%ण होना स्वाभाविव* था । धीरे धीरे आ*ष%ण प्यार

में बदल

गया । *ॉलेज *े बाद दोन ों*ो 25000 रुपये प्रवि

त माह *ी अच्छी नौ*री भी ज)दी ही मिम

ल गयी । विनश ा

*े

घर पर उस*ी

शादी *ी बात चल रही थी आ*ाश ख

ुश

थी आखिख रउन

*े प्या र* ोमंजिज

ल मिमल

ने वाल ी

थी ।रविववा र* ोविनश ा* ीमुला*ात

मनोज से तय थीं मनोज विनशा *ो आ*ाश से बेहतर भविवष्य दे स*ता था इसी *ारन रविववार *ो ही एंगेजमेंट हो गयी |

सोमवार *ो विनशा ने आ*ाश *ो एंगेजमेंट होने *ी जान*ारी दी | आ*ाश *ो विनशा *ा विनण%य पसंद नह ींआया नतीजा

आ*ाश *ो पुलिलस स्टेशन जाना पड़ा क्योंवि

* विनशा *ी *म्प्लेन *े मुताविब* आ*ाश विनशा *ो नु*सान पहुंचा स*ता था

स प रएलिस

ड भ ीफें*ा

जा स*ता

था औ रन्य

ूज़ पेपर आ*ा

श ना

*े दरिर

ंदे * ीफोट ोछा

प र

हे

थे |

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Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

I Live

Dr. G. Singh

I am independent, need hard work to earn, which is essensial part of my life. After hard work for 6 days, what I get as reward is 24 hour for myself, without any intruption. These 24

hours are completlty mine, noone can take it away. Real y?

This weekoff day, I decided to sit at home and watch TV as long as possible. As soon as I switched on TV, there I saw a good movie. Story line is simple, even very simple stil a hit. In the end Actor/Hero of the movie get lot of injuries/blood, al this for a girl, only for a girl. Its just a movie.

Next movie, more or less same story line, in the end hero die just for a girl. Another movie same end. Boaring!

Decided not to waste my 24 hour, changed channel this time decide to watch an english movie. Real y a good movie lot of good action sequences. End is more or less same, actor get lot of injuries while protecting actress.

Final y decided to switch off TV. Now I get time to think what it was. Is it movie world?

If it is just an imagenary world, where from al this shit came? Is it just a mind or in real life too same is happening, I mean men sacrifying for women.

40

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

Refresing memories, when I was watching movies, changing TV Channels, my friend Rakes (name changed) was waiting on road for his sister to comes out from beauty parlour.

Another friend Rohit (name changed) was driving 100 km to drop his sister-in-law to a marriage palace, where she wil spend couple of hour, while Rohit wil be forced to stay there because his sister-in-law need a driver to came back. Another friend Ganesh (name changed) Travelling in a train to drop his wife to her parents, with next train he has to come back. After 15 days he wil travell the same traing to get her back. Another friend Mahesh (name changed) … …. …. Another friend Mohit (name changed) … … … Another friend (name changed) … … …

First question arise How I know al this?

Second question arise what these men doing?

Answering first question is simple, it is their every weekends routine job, so I know where everyone is, and what he is doing.

Answering second question is quite complicated. It's complicated not because I don't understand but because people don't want to understand.

Here the friend I am taking about are my childhood friends, we grow up in the same colony, we stared our life togather, we know each other very well. Friends doing the same kind of job I am doing, they spend 6 days on work and get 24 hour for their own. I am spending these 24 hour to live as I like, but unfortunatly other three are not lucky enough.

They are spending 6 days on work so that their dependent can live a luxary life, and remaining 24 hour they are spending with someone, not for self but to facilitate others.

Where is their own life? When they live for themselves?

One day I asked the same question from Rohit (name changed), he tried to answer but could not convince me, even he was not convincing for himself.

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Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

Leave the everydays coras, I suggested to visit some remote place for a few days, Just four of us. Everyone except me was having some busy shedule, surprisingly in their busy schedule there was no time for themselves in their busy schedule, al three were busy because someones relative (special y women relatives) need to finish something and friends need to help them.

Where goes there own life? Why these friends can't say NO to women relatives? Why these friends saying NO to their own life, to surve someone?

Is this a story of 3 friends? I think no, its a story of 51 % of Indians. They just living like slave, unfortunatly they find it suitable as well as their destiny.

I may be wrong but I am not able to understand why men born, to surve women or to LIVE?

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Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

Mai Bhago (Mata Bhag Kaur)

Mai Bhago also known as Mata Bhag Kaur was a great Sikh woman and Sikh warrior.

She is well known for leading 40 Sikh soldiers against the Mughals in 1705. She was a staunch Sikh by birth and upbringing.

In the year 1705 at the time of battle of Anandpur Sahib 40 sikh soldiers left 10th sikh Guru Guru Gobind singh. Some of these sikh soldiers belong to the vil age where mai Bhago was residing. When she heard the incident she inspired those sikh soldiers to join Guru Gobind SIngh and fight with him.

She convinced these 40 soldiers to apologise for leaving Anandpur sahib in hard time and inspired them to find the Guru. Final y she led them to Guru Gobind Singh. She along with 40 sikh soldiers caught Guru Gobind Singh in the area around Malva. Mai Bhago and the men she was leading stopped near the dhab (pool) of Khidrana just as an imperial army was about to attack the Guru.

So despite the fact that they surely faced certain death, the forty (chali) men along with Mai Bhago, waded headlong into the Mughal forces of around 10,000 soldiers and inflicted so 43

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

much damage that the Mughals were final y forced to give up their attack and retreat as darkness fell in the nearby woods.

With the 40 Sikh men dying on the battlefield, their leader asked for forgiveness for deserting the Guru, and thereby, Sri Guru Gobind Singh blessed the forty men as the forty (chali) liberated ones (mukte) and that is stil how the men are known today; the "Forty Liberated Ones", the Chali Mukte.

He took into his care Mata Bhago who had also suffered injury in the battle. After recovering she thereafter stayed on with Guru Gobind Singh Ji serving as one of his bodyguards, in warrior attire.

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Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

म फल

आजाद परिरंदा

पता नहीं ऐसा कब हुआ, परंतु हो गया , क्यों हुआ कैसे हुआ इतना सोचने का अवका ही कहां है मेरे पास ।

हकीकत बस इतनी सी

है की मेरी धिम

d मंडली

में जिजत

ने मेर ीअपन ीआ

यु

के लोग

है उसस ेकहीं अधि/

क मुझ

से काफ ीअधि/क

उम्र वाले है और हां काफी कम उमर वाले भी बहुत है । मेरे एक धिम

d त ोरिर#ाय रहो

ने

के बा

द अपना व

क्त अच्छे से गुजर कर

मृत्यु का वरण भी कर चुके और यहां अभी रिर#ायरमें

# की आ

यु ह ीकाफ ीदूर टिद

खाई देत ी

है ।

ऐसे ही ए

क धिम

d

है

जो ायद 5 या 6 साल पह

ले रिर#ाय

र हु

ए थे ।बीच के सालों में परिरव

ार

के स

ाथ व

क्त गुजार

ने के

चक्क

र में संप

क' त

ोड़ बैठे

थे । कल धिम

ल ग

यूं ह ीइ/ रउ/ रघूम

ते हु

ए ।

जब धिमल गए तो कुछ समय एक साथ वक्त गुजारा । उन्होंने मुझे निनरा ह ीनिकया ।म

ुझे उम्म

ीद

थी

निक इत

ने सालों

बाद धिमले ह ैत ोकुछ निबन ामतलब की ग

के ब

ाद निवद ाहोन े, पर

ंतु ऐसा हो

न सका । जो वक्त साथ गुजारा उसमे साहब

ने अपने घर परिरवार के द्वारा व्यवहार पर ही बातचीत चलती रही । साहब को शि कायत है

निक उनका लड़का उनकी

देखभा

ल अच्छे

से नहीं करता ।

अब मैं इसने भला क्या कह सकता था । ाय

द मेरे बोलने की गुंजाइ ही नह ींथी । अवसोस ऐसा भी हो ना सका

आज जब सोचने लगता हूं तब लगता है की ायद मेरी चुप ना रह सकने की आदत ही होगी जिजसके कारण मेरी

धिम

d मंडली में मेरे हमउम्र अपेक्षाकृत कम है ।

45

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

जब साहब काफी देर तक लड़के पर आक्षेप लगाते रहे तो आखिखर मेरी जुबान निफसल गई और मैने भी कह टिदया

की साहब कम 'फल है यही भुगत कर जाना है इसके अलावा अन्य कोई स्व

ग' नर

क य ाअगल ाजन्म निहस

ाब निकत

ाब

के शिलए

नहीं है ।

साहब ने मुझे ऐसे तनिबयत स ेघ

ूर कर देखा तो ए

क बार तो इच्छा हुई

निक यह ीपैं

# गील ीक र

दूं निफ रटिद

ल क ोसम्हाला

और टिदमाग में साहब की सब कार गुजारिरय ोंको ताजा निकय ाऔ रतसल्ल ीहाशिस

ल क ी।

साहब भी ायद मूड में थे जब मुझे संभालते हुए देखा तो पूछ ही शिलया की बत

ाओं तो जरा मेरे कौनसे कम Hकी

बात कर रहे हो ।

अब एक बार निफर टिदल

में हुद हुद

ुरू हुई और

मैं सोचने लगा

निक साहब की कौनसी कारगुजारी का जिज

क्र निकया

जाए । बहुत सारी घ#नाएं फुदक फुदक कर सामने आई और आखिख र

में मैने शिस

फ' हल्की मुस्कुराह

# से ह ीसाहब

के सवाल

का जवा

ब देना उधिचत समझ ा।

हल्की मुस्कुराह# ने ायद उनकी यादाश्त को ताजा कर टिदया और उन्होंने सहम

नित से गद'

न निहलाते हुए आ

ंखें नीचे

झुका ली । थोड़ी देर बाद मैं एक बार निफ रब

ात क ाशिसर ाअप

ने ह

ाथ

में ले

ते हु

ए प

ूछ शिलय ाय ा

यूं क

हें

निक र

ाय

दे द ी।

आप अपने मान , अभिभमान , गौरव , आ

टिद के पास जाकर रहे अधि/क उधिचत होगा । एक नजर मेरी तरफ देखकर

उन्होंने इतने जोर का ठहाका लगाया यूं लगा जैसे पगला गए हो ।

जोरदार ठह

ाके

ने जैसे उनके मान, अभिभमान, गौरव और ना जाने क्या क्या , यानी की उनकी लड़की की काल्पनिनक

महानता को हवा में उड़ाने का निनश्च

य कर शिलय ाह ो।

निकसी के कम'फ

ल म ेंदख

ल देना उधिच

त न ाजानकर मैन ेभ ीहाथ जोड़े और घर की तरफ रवाना हो गया ।

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Image 17

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

Mourning Dove

The mourning dove is a member of the dove family, Columbidae. The bird is also known as the American mourning dove, the rain dove, and col oquial y as the turtle dove, and was once known as the Carolina pigeon and Carolina turtledove. It is one of the most 47

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

abundant and widespread of al North American birds and a popular game bird, with more than 20 mil ion birds shot annual y in the U.S., both for sport and meat. Its ability to sustain its population under such pressure is due to its prolific breeding; in warm areas, one pair may raise up to six broods of two young each in a single year. The wings make an unusual whistling sound upon take-off and landing, a form of sonation. The bird is a strong flier, capable of speeds up to 88 km/h.

Mourning doves are light grey and brown and general y muted in colour. Males and females are similar in appearance. The species is general y monogamous, with two squabs (young) per brood. Both parents incubate and care for the young. Mourning doves eat almost exclusively seeds, but the young are fed crop milk by their parents. It is the national bird of the British Virgin Islands.

• Like al birds, Mourning Doves are unable to sweat, so to stay cool during hot weather, they pant just like a dog. Panting requires the doves to drink a great deal of water due the excessive loss of moisture to evaporation.

• Doves are one of the few species of birds that drink by sucking up their water instead of taking a bil full of water and letting it trickle down their throat. It can suck up its total daily requirement in less than 20 seconds.

• Mourning Doves’ nests are woven together by the female with materials col ected by the male. The male supervises the construction while standing on the back of the female as she works.

• Look for the female Mourning Dove incubating her eggs from late afternoon until midmorning, and then watch for the male to come and take his turn during the heat of the day.

• It is estimated that between 50-65% of al Mourning Doves die annual y.

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Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

• The average lifespan for an adult Mourning Dove is 1.5 years.

• Male and female Mourning Doves look very similar, but the male is slightly larger and has a more colourful bluish crown on its head and a pink coloured chest.

• Both Mourning Dove parents feed their young on “crop milk,” a yogurt-like secretion produced by the wal s of their crop.

• Mourning Doves’ have been clocked at flying speeds between 40-55 mph.

• The Mourning Doves’ diet is almost strictly seeds (99%) which they forage from the ground, preferring bare ground to areas of tal vegetation or thick cover.

• The feathers of a Mourning Dove are loosely attached to their skin and serve as a means of escape by easily pulling free when grabbed by a predator.

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Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

01

मैं त

ुम जैसा नहीं अलग हूं

आजाद परिरंदा

वैसे तो जरूरी नहीं की आस पास रहने वाले लोगो को पस'नल लाइफ

में तांक झांक की जाए, परंतु कभी कभी

कोई ऐसा धिमल जाता

है

जो उत्सुक होता है की कोई आए करे तांक झांक । तो भाई हम यानी की मैं ऐसे अवसर को सुनहरा

अवसर मानते हुए तुरंत

ुरू ह ोजाता

हूं ।आखिख रकुछ जान

ने क ोह ीधिमलेगा, कुछ नया शिसखन ेको धिमलेगा औ

र निफर सामने

वाला टिद

ल कु

छ हल्का करने के शिल

ए ह ीतो बुल ारह ा

है अपन ीपस'न

ल ज़िजंदग ी

में इतन ीमद

द करन ातो फ

ज' बनत ा

है ना।

तकरीबन एक महीना पहले पड़ोस में ही रहने वाले एक फौजी से ऐसा ही एक निनमंdण धिमला । वो जब भी मुझे

धिमला थोड़ा ांत या दुखी ही टिदखाई टिदया । हाला

निक

मैं कभी तय नह ींकर सका की वो

ांत

है य ादुखी ।हर मुलाकात पर

थोड़ी हल्की फुल्की बात होती और निफर अपने अपने रास्ते । आखिखर एक टिदन मैंने पूछ ही शिलया की भाई उदास क्य ोंरहते

हो ।तुरंत ही तांक झ

ांक करने का निनमंd

ण धिम

ल गय ा।

वक्त निनकाल कर फौजी के साथ उसका दुख द

द' सांझा करने का प्रयास निकया । फौजी ने निकस्सा गुलबकावली पूरे

ान से सुनाया परंतु मेरी समझ में नहीं आया की आखिख रय

ह फौजी दु

खी क्य ों

है ।

ायद उसका निकस्सा अलग ही डाइमें न का था और

मैं निकसी अन्य डाइमें न

में रहने वाला जीव । तब आखिखर

फौजी की बात समझने

के शिल

ए उस

के डाइमें

में दाखिख

ल ह

ोने का निनश्च

य निकय ा।

फौजी साहब की समस्या थी उसके माता निपता जिजन्होंने उसे अपनी समस्त प्रॉप# € से बेदखल कर टिदया था , 50

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

हाला

निक मेरी नजर

में कोई समस्या नहीं थी निफर भी य

टिद कायदे से सोचा जाए तो सोचना पड़ेगा की आखिखर उन्होंने ऐसा

क्यों निकया ।

हाला

निक संपशि• उनकी है वो जो चाहे कर सकते है परंतु निफर भी एक प

क्ष यह है की उनके द्वारा यह फैसला करने

की कसो# ीक्या थी और निकतन ीसह ीथी कसो# ी।

अब अगर फौजी कोई आवारा निकस्म का आदमी होता तब बेदखली जायज बात थी । परंतु निपछले दो साल से

फौजी को जानता हूं और शिस

फ' इतना क

ह सकता

हूं की फौजी एक धिडसें

# आदम ी

है ।

ब अगर फौजी के मां बाप अपनी संप

शि• निकसी समाज सेव ाय ा/ार्मिमं

क का

य'

में लग ादे

ते त

ब भ ीबेदखल ीजायज

बात होती ।परं

तु ऐसा भी नहीं है । वो अपनी संप

शि• निकस ीअन्

य क ोस

ौंप र

हे

है ।

फौजी के मां बाप अपनी सनक में संप

शि• से बेदखल कर रहे है । और सनक भी यह को लड़का हमारे टिदखाए

अनुसार म ीन बन कर अपना जीवन नहीं निबताना चाहता वो अपना रास्ता खुद चुनना चाहता है । अपनी सारी संप

शि• वो

अपने छो

#े लड़के को देने की वसीयत कर चुके है क्यों

निक छो# ालड़क ाउन

के बता

ए म ीन ीरास्

ते प रच

ल रह ा

है ।

सन

क शिसफ' इतनी की बड़ा लड़का ाद ीनह ींकरन ाचाहता और छो

#े

ने क रल ी।

इससे बड़ी सन

क पूरी दुनिनया

में और कोई नहीं है की मां बाप बच्चो से चाहते है की जो जो मूख'त ाउन्हों

ने क ीउनके

लड़

के भी वही मूख'त ादोहरा

ते जा

ए ।

महीने भर पुरानी बात है इसीशिलए अपने सामथ्

य' अनुसार मैने फौजी को समझा कर भिभजवाया की इस ब

ार जब मां

बाप

के सामने

जाए तो एयर इतना कह कर आए की मैं तुम सा नहीं ' ।

दो टिदन पहले मुलाकात हुई पता चला की मेरा संदे पहुंचा आया है । फौजी अभी भी

ांत है , खु तो नह ींपरंतु

फौजी के धिमd ोंको गाशिलयां निनकालते निनकालते फौजी की मां का ब्लड प्रे रजरूर हाई ह ोगया और इस व

क्त वो हॉस्तिस्प#ल

में है ।

फौजी एक बार निफर जा रहा है हाल चाल पता करने और मेरा एक और संदे देने , इस बार मेरा नाम भी बताने

वाला है ता

निक अज्ञात धिमd ोंक ोनह ींबल्शिल्

ज्ञात धिम

d क ोगाशिलय ांनिनका

ल क

र सुकू

न हाशिस

ल क रस

कें ।

उम्मीद है फौजी भी जल्द ही समझ जायेगा की वो उन जैसा नहीं और ना ही बेदखल होने से उसका जीवन खत्म

होने वाला है । और फौजी के मां बाप ाय

द उन

के प

ास इतन ासमय नह ींकी वो समझ स

कें , बस कोशि

कर सकते है जो

वो ाय

द ही करें ।

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Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

I Fear

A Men

Watching Discovery Channel, where a lion is trying to kil a deer. Probably kil is not the right word, lion is just trying to get food for own survival. Deer is part of food chain for lion, its natural. I don't have any problem with that, but when I see in the eyes of dear, what I see is fear. Again its natural, fear is natural for dear when facing lion. Lion is also not free from fear.

Fear is one of the emotion or reaction given by Nature or God. It apply on human more precisely Men also.

Today when I start thinking about a men, what he see and what he face in every moment of his life, what I remember is a smal incident from my childhood. Although the incident is of little importance, so little that most person involved into the incident may not remember, even I can't recal every part of incident, stil I would like to share whatever I remember.

It was winter afternoon, I was back from school, suddenly ladies from nearby house 52

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

came out shouting that someone jumped on the roof of their house. These ladies fear it is ghost. Anyway it was office hour no men was at home, so a couple of men were cal ed from nearby shops and they searched entire house. As expected no-one was there. That evening these ladies spend in our house, til people came back from work. Late night again there was some problem in that house, most ladies were out and most men from the house were searching their own house as well as nearby houses. Next morning a couple of people were talking about the incident and a few reported the existence of a men in their house in white dress, A GHOST.

Now the incident has little importance, it does not matter if ghost exist or not, it does not matter if reported ghost in white dress was real y witnessed or not, it does not matter if such incident reported again or not, but what real y matter is who searched the house, who investigated the matter. Both the time when a ghost was reported by neighbor ladies MEN

was cal ed. Al ladies just waiting outside til the line was cleared by MEN.

These ladies didn't entered into the house because they fear from unknown, same time expecting men to enter and remove the reason behind fear. The similar situation most of us has witnessed in own life, most time men come forward to remove the cause of fear.

Does that mean men is fearless ?

I consider the situation very differently, men is fearful just like any other living being on earth. Sometime he hide his fear because he has no option, but most of the time he hide his fear to impress someone.

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Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

Society or specifical y members of our society can't protect themselves. They need someone to protect them, as a protector they find a fearless men. Society is not ready to accept the fact that a men also fear from something, society need a fearless men who can fight and die to protect them. Unfortunately men also fol ow the same path blindly, he just deny the existence of fear to prove his manhood. Most of time men don't accept the fact that he FEAR just because he am Men. But I can't ignore the fact that I FEAR doesn't matter if I hide it, doesn't matter if I deny it, somewhere deep indie we al fear from something, and society need to understand and accept it one day. We can't live just to protect, we have a beautiful life waiting for us.

~~~~~~~~~~

There is no love on earth greater than that of a father for his son.

~~~~~~~~~~

54

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

02

मैं त

ुम जैसा नहीं अलग हूं

आजाद परिरंदा

वैसे तो वो मेरी मां है परंतु मेरा एक अलग अस्तिस्तत्व ह ै

मैं उसकी छाया मा

d नह ींहूं । बस यह बात उसे कभी समझ

ही नहीं आई । और यही बात मुझे हमे ातन

ाव

में रखत ीरह ी।

वक्त हमे ा बदलता है और ायद यही बदलाव ही वक्त की पहचान भी है । बदलते वक्त के साथ वो नहीं बदली ।

ायद उसे हमे ा एक जैसा ही बना रहना पसंद होगा । कुछ साल पहले तक उसके टिदमाग

में जो चलता रहता था

मैं उसे

कचरा कहता था और वो ाय

द उ

से खजान ासमझती होगी इसीशिल

ए ब

ड़े सम्ह

ाल क ररखत ी

थी ।

बस यह खजाने और कचरे का अंतर ही मुझे हमे ा परे ान निकए रहा और

मैं उससे दूर रहने का कोई न कोई

बहाना तला करता रहा । आखिखर गैर जरूरी बातें, जैसे की 50 साल पहले उसकी मां और उसकी चाची निकस बात पर

झगड़ते थे सुनने की मुझे क्या ज़रूर

है ।

मुझे आज भी याद है बचपन में हम लोग ाम को जल्दी खाना खा लेते थे यही कोई सात बजे । सभी जल्दी घर

ते थे और जल्दी सो जाते ता

निक सुब

ह जल्द ीउठा

जा स

के ।

उस साल

मैं काम /ं/े म ेंव्यस्त था ायद इसीशिलए दे

र र

ात घर लौ#त ा

था ।ऐस ानह ीं

था की काम /ं

/े

में देरी होती

थी बस काम /ं/े स ेफुरसत के क्षण ाम

के बाद धिमल

ते त ोव ोसमय

में दोस्त ों

के स

ाथ निबत ाक रदे रर

ात घ रलौ#त ा ।उसने

मुझे निबग

ड़ गया लड़का घोनिषत करना

ुरू कर टिदया । निबगड़े लड़के को सु/ारने के शिलए एक दोस्त को चुना और उसकी

सब असफलाएं और बुराइयां हर समय जब वक्त धिमलता या जब साथ होते निगनवाना

ुरू कर टिदया । /ीरे /ीरे मेरी उस

55

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

दोस्

त से मुलाकातें कम होने लगी दूरिरयां बढ़ती ग

ई ।अ

ब ए

क दूसरे दोस्त क ोचुन ागय ाऔ

र एक ब

ार निफ रवह ीस

ब दोहराया

गया । /ीरे /ीरे मेरे सभी दोस्त मुझसे दूर होते गए । मेरे पास भी कोई अन्य रास्ता नहीं था क्यों

निक अक्स र

मैं खामो ी

से ही

निवरो/ करता रहा ।

साल गुजरते गुजरते मेरे सभी दोस्त मुझसे दूर हो चुके थे । एक साल और लगा परिरल्शिस्थनितय ों

के अनुसार ढल

ने

मैं ।

तकरीबन दो स

ाल लगे और आज मेरे सभी दोस्त मुझसे बहुत दूर

है और

में अब

ाम क ोव

क्त प रघ रआ

ने क ीमजबू र ।अब

मैं एक अच्छा लड़का हूं।

हकीकत में अब मैं कुछ नहीं हूं शिस

फ' एक म ीन , जिजसे पास घर से ऑनिफस और ऑनिफस से घर इसके अलावा

अन्य कोई ज़िजंदग ी

है ही नहीं ।

हाला

निक ऊपरी तौर पर मैने खुद को घर और ऑनिफस तक सीधिमत अवश्य कर शिलया परंतु

मैं आज भी तुम जैसा

नहीं अलग हूं ।

56

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

Science - Astatine

Astatine is a chemical element with the symbol At and atomic number 85. It is the rarest natural y occurring element in the Earth's crust, occurring only as the decay product of various heavier elements. Al of the Astatine's isotopes are short-lived, the most stable is astatine-210, with a half-life of 8.1 hours.

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Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

तबेले की बला बंदर के शिसर

वैसे तो यह एक कहावत है और बहुत पुरानी है । सही बात तो यह है की कहावत होती ही पुरानी है , निकसी नई

कहावत का इजाद हाल निफलहाल हुआ हो तो मुझे नह ींपता । तो कहावत को पुरानी कहने से मेरा अ

थ' शिस

फ' इतना ह ैकी

इस कहावत को मैने बहुत पहले सुना था निफर बीच

में भूल गया , कल अचानक याद आ गई जब दोस्तों के साथ गप प में

व्यस्त था ।

निकसी मसले पर ए

क धिम

d प्रका ड

ाल र

हे

थे निफ रअचान

क कु

छ देर खामो ह ोग

ए औ र

जब दुबार ाब

ोले त ोवाक्य

में एक गाली का प्रयोग भी निकया । कोई निव

ेष मुद्द ानह ींहै परंतु धिम

d

ने गाल ीक ोजस्टिस्#फ

ाई कर

ते हु

ए कह ा

निक

मैं इ

स बात

को इससे ालीन तरीके से नहीं कह सकता ।

कोई निव ेष बात नहीं परंतु बातों का दौर एक नई टिद ा

में मुड़ने के शिलए इतना ही पया'प्त था । एक अन्य धिम

d मोरल

अध्याय लेकर

ुरू हो गए और बताने लगे की अधि/कां आदमी निबना वजह गाली का प्रयोग करते है । अन्याय का निवरो/

करना तो हमारा जन्म शिस

द्ध अधि/कार है शिलहाजा हमने भी निवरो

/ द

ज' करव

ाते हु

ए कह टिदय ाक ीअधि/कां ल

ोग निबन ावजह

गाली नहीं देते और जरूरत पड़ने पर तो गाली देना जरूरी है । जैसे की हल्के फुल्के रोड ऐल्शिक्सडें

#

के व

क्त थोड़ी बहुत तेज

आवाज करना वक्त की जरूरत रहती है और उस तेज आवाज में गाली भी अक्सर ाधिम

ल ह ोजात ी

है पर

ंतु इ

से निबन ावजह

त ोनहीं कहा जा सकता ।

58

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

धिम

d भी अड़े हुए थे की अधि/कां आदमी निबना वजह गाली देते है । शिस

फ' अपने ज्ञान की वृ

जिद्ध के शिलए हमन ेपूछ

शिलए की आप ऐसे निकतन ेलोग ोक ोजान

ते

है जो निबन ाव

जह ह रब

ात प रगाल ीदे

ते

है ।धिम

d अप

ने जीव

में 2 या 3 लोगों के

बारे में बता पाए जो निबना वजह गाली देते है और उनकी जानकारी ज्यादा नहीं तो हजार लोगों तक तो है ही । मतलब की

धिम

d खुद सहमत है की लगभग 0.2 % लोग गाली देते है निबना वजह और इसे वो अधि/कां कहते है । अधि/क कुरेदने पर

धिम

d ने बताया की फलाने हॉस्#

ल की लड़निकय ानिबना वज

ह गाली टिद

ए जात ी

है ।

ऐसा नहीं है की लड़निकयां गाली देकर कुछ गलत करती है । निपछले कई द क ोंसे मीधिडया और लोग उनको यही

सीखा रहे है की मॉड

न' होन ा

है त ोशिसगरे

# क ादु

आ उड़

ते हु

ए गाशिलय ांदेन ास

ीखो ।

दे रही

है गाशिलय ांत ोदेत ीर

हें अ

ब इ

से हमे

क्या ?

अरे भाई लड़निकय ागाली देती है तो देती रहें परंतु उसका इल्जाम आदमी पर लगाते हो यह तो कुछ ऐसा हो गया की

तबे

ले की बला बंदर

के शिस र।

59

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

Who Care For My Safety

Sandeep Mehta

Just few days back India witnessed and incident in BHU. The incident was neither unique nor new. I hope you remember the news about girls safety in University.

Question is what is new in that, such demand is common and every few day in some part such demand rise. Is the demand wrong ? No I am not saying if demand is wrong, but the way such demand rise by media and women groups it looks like every Indian Male is nothing more then a monster. They are waiting in every corner for girls to come out and hunt them. Well the new about university and their demand remind me a scene from a movie.

'NAAM SHABAANA'. No no i am not talking about any girl named Shabaana, but I am talking about a movie titled 'Naam Shabaana'. In the same movie hero was kil ed by another boy on road. If someone not remembering let me describe the scene.

Hero is coming back after late night dinner. in the way 5 or 6 goon start commenting on girl. This continue for few second then the goons went away. Now the important is during these few seconds both hero and actress stay calm (if we ignore the look on actress face). As soon as goon goes away the hero comment something and the actress reply when was time 60

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

to speak u was silent (this looks like a provoking to do something). In the same bike riding both meet with same goon again and this time actress herself goes on violent fight (there was enough room to go away, even if goon try to stop them). Important is the hero try to stop actress but she goes on fight (she is a boxer) and final y hero jump into fight and get kil ed.

Ok now the points we can notice :

Hero is not interested in fight. He wanted to go away without fight. Actress is more interested in fight and enter into unnecessary fight. Hero try to jump into fight even he know the risk very well.

Now my answer for al doughs is 'Men understand where the risk is' and 'Women don't understand the risk'. Also one more thing to notice is men has habit to save women, even if he is aware of risk factor.

Here I am talking about the movie scene but the same apply on Indian Society too. I believe there is risk out for everyone without caring for Gender, but men know the risk and he also know how to handle the situation and he enjoy his freedom by staying away from risk. At the same time women not aware of risk and they wanted to enjoy freedom without staying away from risk.

I may be wrong, but if I am please explain how women is in more danger and don't say every Indian men is monster.

61

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

ड़क जांच अधि/कारी

वैसे तो मेरा थाना कोई बहुत बड़ा नहीं और यहां वारदात भी लगभग नहीं के बराबर ही होती है । दरअसल मेरे

इलाके में अधि/कां सानिहत्यकार रहते है और लड़ना झगड़ना हो तो कनिवता कहानी को ही हशिथयार बनाते है । कुछ आम

लोग भी है

जब वो कनिवता कहानिनय ोंक ीबमबारी

से परे

ान ह ोजा

ते

है त

ब कु

छ वारदा

त होती है ।

शिलहाजा

मैं मेरे थाने

में सारा टिदन मल्शिक्खयां मरता रहता हूं । ऐसा कोई अवसर धिमलता ही नह ीं जहां मुझे

इन्वेस्टिस्#गे न में अपना दम खम टिदखाने का अवसर धिमले, मीधिडया मेरे आगे पीछे माइक लेकर घूमे, अफसर मुझ पर जल्दी

केस ह

ल करने का प्रे रबन

ाए ।लगता ह ैउम्र इसी आस में गुजर जायेगी की कोई बड़ी वारदात हो ।

श्रद्धा कांड वैसे तो एक अपरा/ मा

d है परंतु लेखक लोग तो अपने प्रोपेगंडा फैलाने के शिल

ए बह

ाने तला कर

ते ही

है शिलहाजा जब से श्रद्धा कांड हुआ है लेखक लोग मुद्दे को ले उड़े है । आजकल माहोल गरम है और छो#ी मो#ी वारदात

होने की पूरी उम्मीद है । इसीशिल

ए #ेलीफोन 24 घं

#े तैयार रखने

के आदे

दे टिद

है । बड़ा न ासह ीछो# ामो# ाक

ांड ह ीसही

कह

ते है की 12 साल बाद तो कु

•े

के भ ीटिद

न निफर

ते

है औ र

में तो निफ रअप

ने इल

ाके क ाइंचा

ज'

हूं ।फ

ोन क ीपहली

घं#ी सुनते ही झप# कर फोन उठाया और खबर सुनकर जैसे टिदल बाग बाग हो गया । तुरंत घ#नास्थल की तरफ गोली की

रफ्तार

से निनक

ल शिल

ए ।

नदी निकनारे हवलदार रामलिसंह एक #ुकड़े #ुकड़े हुई ला के पास खड़ा था । ला के 17 #ुकड़े उसी ने ही बरामद

62

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

निकए थे । तो जनाब मेरे इलाके में भी श्रद्धा कांड का जुड़वा हो गया था अब मेरी /

ाक जमान ात

था ।मीधिडय ाम

ुझ प र#ू#

पड़ने वाला था , अधि/कारी लोग बार बार प्रे र बनाने वाले थे , ने नल #ीवी पर मुझे जांच की रिरपो

#' देते बार बार सुबह से

ाम त

क टिदखाय ाजाना था ।मेरी तो हर मुराद पूरी होने वाली थी ।

मैने भी तुरंत केस हल करके टिदखाना था शिलहाजा खाना पीना भूल कर जांच पड़ताल

में लग गया और 2 घं#े में ही

अपरा/ी मेरे सामने था । बस सबूत जु#

ाने बाक ी

थे ।

सबूत जु#ाने कोई मुस्तिश्कल काम नह ींथा निफर भी अधि/क जरूरी काम था हवा बनाना । अधि/कारिरय ों को पता

चलना चानिहए की कैसे मैने एक मुस्तिश्कल कैसे को अपनी सूझ बुझ से हल कर टिदखाया। बस इसी इरादे से मोहल्ले

में सबसे

पूछताछ करना जरूरी था । आखिखर सानिहत्यकार ोंका मोहल्ला है जैसे श्रद्धा कांड को ले उड़ा वैसे इस इस जुड़वा कांड को

भी ले उड़ना था बस पता लगने की देर थी । बस समझ लीजिजए

निक पूछताछ का तो बहाना ही था असल मकसद था

सानिहत्यकारों को जुड़वा कांड की खबर करना ।

ाम होते होते सब कसबल ढीले हो गए सब सानिहत्यकार ोंको पक

ड़ पक

ड़ कर खबर सुनी निफर भी स

जैसे सोते

रहे निकसी ने टिदलचस्बी ह ीनह ींटिदख

ाई ।निकस ी

ने य

ह कहते हुए निकनार ाक रशिलय ाक ीमर

ने औ रमर

ने व

ाले दोन ोहिह

ंदू

है और

निकसी ने कह टिदय ाकी मरने वाला आदमी है । यूं लगा जैसे कु

•े

के टिद

न निफरक रभ ीनह ींनिफरे।

हाला

निक स

ारे कसबल ढ

ीले हो चुके थे परंतु एक आखिखर ीउम्म

ीद क ीए

क छो# ीस ीनिकर

ण अभ ीज़िजंद ा

थी ।आखिखरी

निकरण यानी की मोहल्ले की एक बहुत निवद्वान लेखिखका । वैसे अंदर की बात है निकसी से कहना मत , दरअसल वो एक

असफल लेखिखका थी अरे यार उसे शिलखना आता ही नह ींथा । उसका शिलखन ाकुछ ऐस ाथा जैस ेक ीआ

लू की सब्

जी बनाने

की कोशि

करे और गुलाब जामुन बन जाए । अब टिदन भर सुबह से अगली सुबह तक पुरुष ोंको नीचा टिदखाने के शिलए

कुछ भी अनाप नाप शिलखती रहती है और चमचे ताशिलया बजाते रहते

हैं । खैर अपुन को क्या अपुन को तो वो आखिखरी

उम्मीद है बस इसीशिलए सबसे निवद्वान लेखिखका है । हा नी तो ।निबना व

क्त गवाए पहुंच ग

ए उन निवद्वान लेखिखक ाक ी र

में ।

वही अपनी पुरानी पुशिलशिसया अक

ड़ , यह क्या निवद्वान लेखिखका ने घास भी नहीं डाली , आखिखर हाथ जोड़े तब कुछ हलचल

हुई ।

तेरे द्वार खड़ा एक जोगी . . . उस महान लेखिखका ने जोगी की महत्वाकांक्षा को पहचाना और निनरा भ ीनह ींनिकया

।तुरंत

जांच की फाइल लेकर अच्छे से पढ़ ीऔ रफ

ाड़ क रफें

क द ी ।म ेरेअंदर का कड़

जांच अधि/कार ीब

स जाग

ते जागते

ही बचा ।तुर

ंत एक नई जांच फाइल बनाई गई ।

पुरानी जांच जिजसके मुतानिबक पत्नी प्रेमी के साथ ऐ कर रही थी की तभी प

नित ऊपर से आ गया । चलो आ गया

63

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

तो कोई खास बात नहीं चुपचाप कहीं कोने में पड़ा रहता । परंतु यह जो खुद्दारी नाम का कीड़ा है ना, बस मरना पड़ा साले

को । अरे मार डाला तो कौनसी बड़ी बात हो गई अपनी ला भी उठ ाकर नह ीं

ले गया और का

# क रनद ी

में फेंकनी पड़ी ।

ना खुद्दारी होती ना मरना पड़ता ना ला धिछप

ाने

के शिल

ए का#न ीपड़त ी।

बात सही थी इसीशिलए कड़क जांच अधि/कारी की समझ

में आ गई थी बस निफर क्या था तुरंत ही एक राबी,

जुआरी, वेश्यागंमी, मारपी# करने वाले , दहेज मांगने वाले दरिरंदे के खिखलाफ एक तबला नारी . . . ओह सॉरी जुबान है

निफसल जाती है कभी कभी तो क्या कह रहा था मैं , हा एक अबला नारी के संघ

ष' गाथा की मो#ी फाइल सबूत ोंके साथ

तैयार की देर रात तक । अभी वानिपस लौ# कर सोया ही था की घं#ी पे घं#ी बजने लगी । पता था अधि/कारी और मीधिडया

और आम पल्शिब्लक ब/

ाई देन ेके शिल

ए घं#ी म

ार र

हे

है । औ रह ासानिहत्यक

ार भ ीमेर ीब

ात

न सुन

ने

के शिल

ए क्षम ाप्रा

थŒ

थे ।

सब पता है इस कड़क जांच अधि/कारी को बस यह व

क्त अपना है और अपुन पूरा आनंद उठाने के मूड में । कुछ

टिदन अभी फाइल दबा कर बैठेंगे निफर /रपक

ड़ करके ाबा ी लेंगे और तब तक जय हो प्रोपेगंडा मंडली . . ओह सॉरी

सॉरी सानिहत्यक

ार मंडली की । जुबान

है निफस

ल जात ी

है कभ ीकभ ी।

नो# : ध्यान दे इसका हाल में धिमले 17 #ुकड़ों वाली ला से दूर का, मतलब की बहुत दूर का संबं/ है । समझ लो

की वो ला य

टिद 25 साल

के नौजवान की है तो यह वाली उसके चाचा के मामा के नाना के दादा के भाई के बे

#े क ीबे# ीकी

. . . . चाचा के लड़

के की है

64

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

राहुल गां/ी और राजनीनित

आजाद परिरंदा

अभी कल की ही बात है ाम को घूमते निफरते काफी दूर निनकल गय ा। हवा ठंडी थी और मजा आ रहा था । रास्ते

में दोस्त धिमलते गए और तकरीबन पांच निकलोमी#र बाद बड़ा कानिफला बन गया । तकरीबन 20 दोस्त इकठ्ठे #हलते हुए

आगे ही आगे बढ़ते चले गए । इतना आगे निनकल गए की वापसी

में टिदक्कत हो गई । खैर वापसी एक अलग मसला है वो

निफ

र कभी ।

अब हम मनिहलाएं तो है नहीं की 20 इकट्ठे हो और चारों तरफ ां

नित बनी रहे । हम दोस्त है इकठ्ठा होंगे तो ोर

राबा होना तो तय ही है । शिलहाजा बातचीत

ुरू हुई खेल और खिखलाधिड़य ोंके खिखलाड़ी (व्यशिक्तगत जीवन नहीं) जीवन पर

। अच्छी बातचीत हुई कई नई बातें पता चली रोनाल्डो के बारे में , उम्मीद है पता चली नई बातें सच ही होंगी । आजकल

सच और झूठ तय करना बहुत मुस्तिश्कल काम है । पता ही नहीं चलता कौनसी बात सच है और कौनसी सो

ल मीधिडय ाका

च ।

खैर पता नहीं क्यों एक धिम

d

ने रोनाल्ड ोऔ रफु#ब

ॉल

के ब

ीच राहु

ल गां/ ीक ो

खींच शिलय ा।

फु#बाल की बात हो रही थी बीच में अचानक राहुल गां/ ीकहां

से

आ ग

ए ?

आजकल ायद यही सामान्य व्यवहार होगा । मेरे साथ कुछ टिदन पहले भी हो चुका है । मैने एक फा

म' हाउस

65

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

खरीदा और एक धिम

d ने कह टिदया की यह तो सोनिनया गां/ ीके सरकार ीमकान

से भी छो# ा

है ।मेर ीसम

में निबलकु

ल नहीं

आया की मेरे फा

म' हाउस का सोनिनया गां/ी या उस

के सरकारी बंगले से क्या लेना देना । मुझे यह तक समझ नहीं आया की

में इसका जव

ाब क्या दूं ।

कल भी यही हुआ निबलकुल समझ नहीं आया की आखिख रफु#बा

के मैद

ान का राहु

ल गां/ ी

ने क्य ालेन ादेन ाहै।

परंतु कुछ नया शिसखाने की चाह ने मेरे दोनो कान खड़े अवश्य कर टिदए । वहां बहुत कुछ नया शिसखाने लायक हो

सकता था परंतु मेरी रु

धिच यह जानने

में थी की धिम

d अपनी एकदम असंगत बात को आखिखर कैसे हैंडल करते ह ै। अरे भाई

जो गुण खुद

में न हो उसे दूसरों से सीखा जा सकता है । मुझसे इस बात का कोई जवाब नहीं टिदय ागय ाक ीआखिख रसोनिनया

गां/ी

के सरकारी आवास और मेरे फा

म' हाउ

स क ोकैसे धिडफें

ड क

रूं , ाय

द कल शिसखन ेका अवसर था ।

खैर लंबी बहस चली और मुझे निबना सीखे ही ज्ञान हो गया की असंगत बातों को धिडफेंड नह ींनिकया जाना चानिहए

उसे हवा में उड़ा देना चानिहए । कल जिजस धिम

d ने राहुल गां/ी का जिज

क्र निकया वो पक्

के मोदी भगत है और जो फु#बा

ल की

बात कर रहे थे वो अगले आ/े घं#े तक यह समझने में व्यस्त रहे की को राहुल गां/ी को निबलकुल पसंद नह ींकरते । पहले

धिम

d मोदी को पसंद करते है राहुल को नहीं, परंतु इसमें मुझे यह सानिबत करने की जरूरत महसूस नहीं होती की में भी मोदी

को पसंद करूं या राहुल को पसंद न करूं । अरे भाई मेरे अपने त

क'

है

में जिज

से च

ाहूं पस

ंद क

रूं , में चाहे मोदी को पसंद करूं

निफर चाहे राहुल को या नीती को इस

में मुझे निकसी के सामने यह सानिबत करने की जरूरत ही कहां है की

में भी मोदी को

पस

ंद करता हूं ।

दरअसल यह सारा मसला नरेटि#व से# करने का है । निपछले एक द

में यह नेरेटि#व से

# क

र टिदय ागय ाहै की जो

राहुल या वामपंथी या सेक्युलरिरज्म का समथ'क है वो दे द्रोही है । बस इसी हीनता व लोग अक्सर खुद को राहुल /

वामपंथ / सेकुलर निवरो/ी सानिबत करन ेमें लगे रहते है निफ

र च

ाहे उनका अपन ास्#ैं

ड समथ'

न क ाह ीक्य ों

न ह ो ।ऐस ाह ीएक

अन्य उद्धरण और भी है जो निपछले 70 सालों

में से# निकए ने#ेटि#व की वजह से है और जिजसने आदमी को मू

ख' प्रजा

नित में

तब्दी

ल क

र टिदया है ।खैर नरेटि#

व तो बनते औ रनिबगड़

ते रह

ते

है ।वानिप

स म

ुद्दे प रआ

ते

है ।

जब दूसरे धिम

d लगातार त

क' से समझने म ेंलगे रहे की वो राहुल को पसंद नहीं करते (हाला

निक उनका परिरवार

स्वतंdता संग्राम से जुड़ा रहा है और उनका वो# हमे ा से कांग्रेस को ही गया है) तब आखिखर मुझे पूछना ही पड़ा की भाई

क्या जरूरत है तुम्हे यह सानिबत करने की की तुम राहुल गां/ ीक ोपसंद करते हो या नह ीं। य

टिद पह

ले धिम

d मोद ीभग

है तो

यह उनकी समस्या है और अगर तुम राहुल भगत हो तो यह तुम्हारी समस्या है क्यों दोनो अपनी अपनी समस्या एक दूसरे पर

66

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

लड़ने में वक्त जाया कर रहे हो ।

अगले आ/े घं#े तक मुझे पहले धिम

d के त

क' सुनने प

ड़े की वो मोदी भग

त नह ींहै और अगला आ/ ाघं# ादूस रेधिमd

ने बबा'

द निकया यह समझने में की वो राहुल भगत नहीं है । और मैं शिस रपी#

ते हु

ए घ रआय ा।

ाय

द असंगत बातें करते रहने का वक्त आ चुका है |

~~~~~~~~~~

Nothing is dearer to an ageing father than his son.

~~~~~~~~~~

67

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

वी आर नॉ# फूल

आजाद परिरंदा

कई दफा सफर मनोरंजन के उद्देश्य से निकया जाता है उसने कुछ नया शिसखाने की लालसा नह ींहोती परंतु निफ रभी

सीखने को बहुत कुछ धिमल जाता है । कभी कभी निबना चाहे भी कुछ मनोरंजक लोचा हो ही जाता है । टिदवाली पर शिसफ'

घूमने के इरादे से ही सफर

ुरू निकय ापर

ंतु लोच ाह ोगय ा।

टिदल्ली एयरपो

#' प

र फ्लाइ# बदलन ीथी और शिसक्योरिर#ी

जांच की लाइ

न काफी लंबी

थी । लाइन के बीच में कहीं मैं

और मुझसे आगे 4 या 5 लोग मुझसे आगे थे और उनके आगे थी एक मनिहला । एक महा य जिजनको एयरपो

#' पहुंचने में

कुछ देरी हो गई थी जल्दी जल्दी सबसे रिरक्वेस्# करते हुए आगे निनकलने का प्रयास करते हुए मुझ तक पहुंच गए । मैने भी

उन्हें आगे निनकल जाने टिदया । मनिहला जो मुझसे कुछ आगे थी वो अ

ड़ गई उनका कहना था की हम मू

ख' थोड़े है (वी आर

नॉ# फूल)

जो लाइन में खड़े है ।

ड़ गई तो अ

ड़ गई क्या निकया जा सकता था वैसे बात भी ठीक ही थी । शिलहाजा याdी मजबूरन लाइन

में उनके

ीछे लग ेऔ

र जहां तक मुझे जानकारी

है उनकी फ्लाइ

# छू

# ग

ई ।

वैसे तो सैंकड़ों चेहरे निनगाह ोंके आगे से हर रोज गुजरते है और याद नहीं रहते परंतु य

टिद क

ोई चेहर ानिकस ीघ#न ासे

जुड़ ाह ोत ोय

ाद रह भी जाता है । और वो मनिहल ाऔ रघ#न ात ोह

ाल क ीह ीबा

थी ।

68

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

वापसी याdा म ेंवो मनिहला और

मैं एक ही फ्लाइ#

में टिदल्ली एयरपो

#' तक पहुंचे ायद ऐसा संयोग हो या संभव है

छुटि•यां के निहस

ाब से दोनो का प्रोग्राम कुछ एक जैसा ही रहा हो ।

वापसी याdा में टिदल्ली एयरपो

#' पर

मैं और मनिहला एक बार निफर लाइन

में थे और वो मेरे से पीछे थी । इस बार

उनको देरी हो रही थी और वो रिरक्वेस्# कर रही थी ता

निक उनको आगे निनकल जाने टिदया जाए । कुछ लोग उन्

हें आगे

निनकलने की परधिम न

दे भी टिदए परंतु

मैं मू

ख'

थोड़े ह ी

हूं (आई एम नॉ

# फूल) ।

काफी देर बाद पता चला मनिहला शिसक्योरिर#ी से धिडमांड कर रही थी की मनिहला लाइन अलग होनी चानिहए औ रमेरे

जैसे दुष्ट यानिdय ोंसे बचाव

के शिल

ए लाइ

में जग

ह जग

ह प

र गा

ड'

खड़े हो

ने चानिह

ए ।

~~~~~~~~~~

Dream, Dream Dream Dreams transform into thoughts And thoughts result in action.

A.P.J.Abdul Kalam

~~~~~~~~~~

69

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

आफताब और प्रीनित

आजाद परिरंदा

आफताब वैसे तो कुछ खास नहीं एक अपरा/ी मा

d

है ।हर अपरा/ ीक ीतर

ह उसने भी अपने अपरा/ को धिछपाने

का प्रयास निकया औ

र सफ

ल नहीं हो सका, पकड़ा गया ।

परंतु जिजतनी हाय तोबा सो ल मीधिडया पर निव ेष तौर पर लेख

क लेखिखकाएं (आजकल अधि/कां असफल लेखक

लेखिखकाएं इसी लाइन पर चल कर अपनी जमीन तला करने के प्रयास

में है) के ग्रुप ने मचा रखी है (ऐसा लगता है की

लेखक समुदाय को प्रोपेगंडा फैलाने के अवसर की तला थी और उन्

हें वो धिम

ल गया) उससे लगता है की जैसे यूनिनव

स' की

समा

स्टिप्त क ीराह प

र चल पड़ा हो ।

इस वक्त दो निव ेष प्रोपेगंडा फैलाने का प्रयास चल रहा है जिजसमे से पहला है एक पुरुष द्वारा एक मनिहल ाप

र हुआ

अत्याचार । और दूसरा प्रोपेगंडा है एक मुल्शिस्लम द्वारा हिह

ंदू मनिहला प रअत्याच

ार या जिज

से च

ंद लोग जिजह

ाद क ान

ाम भी

दे रहे

है ।

जहां तक पुरुष द्वारा मनिहला प रअत्याचार का मामला है तो साहब यहां पर प्रोपेगंडा मास्#र ों

ने ए

क अन्

य घ#न ाको

पूरी तरह इग्नोर कर टिदया जह ांपर एक प्री

नित म ा'नाम

क मनिहल ा

ने अपन ेलाइ

व इन पा#'न रक ोगल ाका

# क रहत्य ाक रदी

और निफर उसकी ला टिठकाने लगाने के शिलए सू#केस

में भर कर चल पड़ी रेलवे स्#े न जहां पर पकड़ी गई । अब क्योंनिक

यहां एक मनिहला के द्वारा हत्या की गई और ला टिठकाने लगाने के प्रयास म ेंपकड़ी गई शिलहाजा प्रोपेगंडा नह ींबनता और

लेखक समुदाय आंखें बंद कर

के आफताब की तरफ देखने में व्यस्त है ।

70

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

ब दूसरा मामला है एक मुल्शिस्ल

म द्वारा हिह

ंदू प

र अत्याचार तो यह ांभी प्री

नित म ा'क ोइग्न

ोर निकय ाजान ास्वाभानिवक

है क्यों

निक एक हिह

ंदू मनिहला

ने मुल्शिस्लम पुरु

ष की हत्या की है शिलह

ाजा ए

क ब

ार निफ रप्रोपेगंड ा

में चम

क नह ींआत ी ।औ रजहां

चम

क न हो वहां लेखक समुदाय आंखें बंद निक

ए स

ोए हो

ने क ाटिदखाव ाकर

ने क ीपुरान ीआद

त पर ह ीचलेग ा।

वैसे जहां तक आफताब की बात है तो इसका /

म' अभी त

क स्प

ष्ट नह ींहै क्यों

निक बै

ल निप#ी

में उस

ने अपना /म'

पारसी बताया है (मेरी बेहतरीन जानकारी के मुतानिबक) । तो लगता है की रिरकॉड्'स के मुतानिबक आफताब मुल्शिस्लम नहीं

बल्शिल्क पारसी है (आफताब नाम पारशिसय ों में भी कॉमन है) । इसके साथ ही ऐसी खबर भी है की निकसी इंस्#ाग्राम में

आफताब खुद को मुल्शिस्लम बता रहा है, वैसे तो सो ल मीधिडया अपने आप में ही नकली दुनिनया है तो ऐसे

में संभव है

इंस्#ाग्राम वीधिडयो

में जो कहा गया वो निकसी एल्शिक्#ंग का निहस्सा हो परंतु यह भी संभव है की आफताब ने अपना /

म' बदल

शिलया हो । या यह भी संभव है की आफताब मुल्शिस्ल

म ह ीह ो।

चाहे जो हो परंतु जो स्पष्ट टिदखाई देता है वो यह है की जिजतने पुरुष अपरा/ी है उतनी ही मनिहला अपरा/ी भी है, जिजतने मुल्शिस्लम अपरा/ी है उतने ही हिह

ंदू अपरा/ी भी है परंतु वत'मान लेखक समुदाय समाज को आइना नह ीं टिदखाकर

अपने प्रोपेगंडा फैलाने में व्यस्त है । वत'मान पीढ़ी लेखक ोंसे वैसे तो दूर ही है परंतु आवश्यक है की सभी जीनिवत लेखकों

का ऑनिफशि यल बॉयकॉ

# निकया

जाए ।

मैं यानी की समाज का एक सामान्य नागरिरक, समाज की भलाई के शिलए प्रण करता हूं की आज के बाद भारत की

निकसी जीनिवत लेखक अथवा लेखिखका की कोई निकताब खरीद कर पड़ने से पूरी परहेज करूंगा, य

टिद पायरे#ेड (बॉयकॉ# से

बड़ा नुकसान) कहीं धिमले त ोरु

धिच अनुसार पडूंगा भी

71

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

वो आ रही है - 03

राजकुमारी प्रज्ञा

R. Singh

मुख्य अंगरक्षक होने के कारण में राणा निव

जेंद्र लिसंह के साथ हर उस जगह पर मौजूद थे जहाँ और कोई नहीं पहुँच

सकता था | ायद इसी कारण मेरी जानकारी दूसरों से कुछ अधि/क हो सकती है परन्तु उस अधि/क जानकारी की

उपयोनिगता शिसफ' वक़्त ही तय कर सकता है | राणा निव

जेंद्र लिसंह दुग'म पहाड़ी जंगल ोंम ेंबसे कबील ोंके संप

क'

में प्रथम बार

आये थे | हालाँ

निक एक राजा के तौर पर राणा निव

जेंद्र ने अपने प्रनितनिनधि/य ोंके माध्यम से कबील ोंसे संप

क' काय

म निकय ाथा

परन्तु व्यशिक्तगत तौर पर यह उनकी पहली याdा थी | ायद इसी कारण हर कबीले से धिमली जानकारी उन्

हें औ

र आगे बढ़ने

के शिल

ए प्रेरिर

त करती य ा ायद राण ानिव

जेंद्र लिस

ंह की निनय

नित उन्

हें अपन ीऔ र

खींच रह ीथी

कई टिदन की कटिठन याdा

के बाद राण ानिव

जेंद्र लिस

ंह शिसम्हा

टिद्र कबी

ले क ोबहु

त पीछे छो

ड़ आ

ये थे | शिसम्हा

टिद्र कबीले

के सरदार ने राणा साहब को आगे की याdा ना करने के शिलए स्प

ष्ट चेतावनी दी थी परन्तु राजपूती खून अपनी सीम

ाओं के

आखिखरी छोर तक जाना चाहता था और गुजरने वाले हर टिद

के स

ाथ सीम ाक्षे

d नज़द

ीक आत ा

जा रह ा

था | और निफ

र एक

टिदन राणा निव

जेंद्र लिस

ंह उस पहाड़ ीक ीचो# ीत

क पहु

ँच ग

ए जिज

से उन

के राज्

य की आखिखर ीसीम ाकह ाजात ा

था |

72

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

चारों तरफ छो#े बड़े पहाड़ और जंगल, जैसे प्रकृ

नित ने अपनी तमाम खूबसूरती इन पहाड़ ों

में उड़े

ल दी हो | पहाड़ी

की छो#ी से देखने पर जहाँ एक तरफ हरिरयाली ही हरिरयाली टिदख रही थी वह ीँदूसरी तरफ जैसे रेत का सम

ुद्र , और उस

सम

ुद्र में रेत की हलचल , जैसे रेत ज़िज़ंदा हो और अपनी इच्छा से यहाँ से वहां आने जाने के शिल

ए स्वतं

d य ा ाय

द आ

ँखों का

भ्रम | वह पहाड़ी जिजस पर राणा निव

जेंद्र मौजूद थे जैसे सीमा रेखा थी हरिरयाली और रेत के सम

ुद्र के बीच और यही राणा

निव

जेंद्र लिसंह के राज्य की सीमा भी कहलाती थी | /ीरे /ीरे राणा निव

जेंद्र लिसंह ने रेत ने न

ज़रें ह# ाक

र पहाड़ ीकी तलह#ी की

तरफ देखा तो एक और अदभुत आश्च

य' के रूप

में सैनिनक चौंकी टिदखाई टिदया, जो

निक पहाड़ी की ढलान पर बनी थी |

सैनिनक चौंकी पर लहराता राज्य का निन ा

न बता रह ा

था की वह ांराण ानिव

जेंद्र लिस

ंह

के सैनिन

क ह

ोने चानिह

ए , परन्तु इस सैनिनक

चौंकी की जानकारी ना तो राणा निव

जेंद्र लिस

ंह क ो

थी औ रन ाह ीनिकस ीअन्

य अधि/कार ीक ो|

सैनिनक चौकी के सैनिनक राणा निव

जेंद्र लिस

ंह को नह ींपहचानने थे वह शिस

फ' उन

के राज्य धिचन्

ह क ोपहचान

ने

थे | राणा

निव

जेंद्र लिसंह उस चौंकी के निवषय

में जानना चाहते थे और चौकी के निवषय

में जानकारी सरदार से हाशिस

ल की

जा सकती थी

इसशिल

ए सभी चौकी की तरफ च

ल टिद

ए |

उस सीमा चौकी की स्थापना तकरीबन 300 व

ष' पूव' राणा निव

जेंद्र लिसंह के पूव'

जों द्वारा शिसम्हा

टिद्र कबीले के सहयोग

से की गयी थी और चौकी पर रहने वाले सैनिनक राजकीय सैनिनक ही थे परन्तु चौकी को आदे राज/ानी से नह ींबल्शिल्क

शिसम्हा

टिद्र कबीले से धिमला करते थे इसीशिलए /ीरे /ीरे उनका राज/ानी से सम्बन्/ समाप्त हो गया और शिसम्हा

टिद्र कबीले से

सम्बन्/ लगभग नहीं के बराबर था इसीशिलए यह चौकी सभी मायन ों

में स्वतं

d चौकी थी | चौकी के मूल सैनिनक बहुत पहले

समाप्त हो चुके थे वत'मान

में चौकी सैनिनक ोंकी पांचवी पीढ़ी सम्हाल रही थी और वह इस बात से लगभग अनजान थे की

उनकी निनयुशिक्त निकस दुश्मन से सुरक्षा के शिलए की गयी है | उनकी जानकारी शिसफ' इतनी ही थी की चौकी राणा निव

जेंद्र लिसंह

के पूव'क प्रताप लिसंह की स्मारक की रक्षा के शिलए है जिजनकी मृत्यु इसी पहाड़ी पर हुई थी | पहाड़ी के नीचे ही सैनिनक ोंने

अपनी बस्ती बना ली थी जहाँ रहने के सभी सा/

न उप्लब्दह

थे | इसी बस्ती से कुछ दूर प्रताप लिस

ंह की स्मार

क बन ीहुई थी

राणा निव

जेंद्र लिसंह प्रताप लिसंह के नाम से परिरधिचत थे | प्रताप लिसंह राणा निव

जेंद्र लिसंह से छः पीढ़ी पहले हुए थे इस सम्बन्/ में

कुछ जानकारी राजभवन

में मौजूद थी | प्रताप लिसंह को वं का सबसे बहादुर योद्धा के रूप में जाना जाता था परन्तु

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Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

प्रताप लिसंह द्वारा निकये गए काय —के निवषय

में कोई जानकारी उपलब्/ नह ींथी उनकी मृत्यु सम्बन्/ी जानकारी भी कह ींखो

गयी थी |

अपनी सीमाओं पर एक बहादुर योद्धा की समा

धि/ और ए

क भुला दी गयी सैनिन

क चौक ीक ीखोज राण ानिव

जेंद्र लिसंह

के शिलए इनितहास को न

ए शिसरे से शिलखने के सामान था | परन्तु वह जानना चाहते थे की यहां चौकी निक

स दुश्म

न के खिखलाफ

स्थानिपत की गयी | राणा निव

जेंद्र लिसंह ने कई सैनिनक ोंसे बात की परन्तु सबके पास छो#ी छो#ी कहानिनयां थी निकसी

के पास

निवस्तृत निववरण मौजूद नहीं था | प्रताप लिसंह की खोई हुई कहानी एक सू

d

में निपरोने के शिलए निकसी इनितहास कार की

जरूरत थी इसीशिलए राणा निव

जेंद्र लिसंह ने सैनिनक चौकी को समाप्त करने एवं सभी सैनिनक ोंको राज/ानी लौ#ने का आदे

टिदया | इसके साथ ही स्मारक को भी राज/ान ी

ले जान ेक ानिनण'

य निकय ागय ा|

सैनिनकों के अथक परिरश्रम के फलस्वरूप स्मारक को सुरभिक्षत रूप से छो#े छो#े #ुकड़े

में बाँ# टिदया गया और उन

#ुकड़ों को एक पालकी नुमा गाड़ी की सहायता से राज/ानी तक पहुँचाने की व्यवस्था की गयी | स्मारक को तोड़ने पर दो

व्यशिक्तयों के ारीरिरक अव ेष भी प्राप्त हुए जो

निक अपने आप

में रहस्मयी थी | दोनों रीरों के अव ेष भी राज/ानी ले

जाने की व्यवस्था की गयी |

स्मारक

के कुछ दूर दूसरी तरफ तीन झोंपधिड़य ां

थी जिजन

मे

से शिस

फ' ए

क ह ीसह ीसलाम

त थी | इन तीन झोंपधिड़य ोंमें

एक परिरवार रहता था | यह परिरवार निपछले कई पीटिढ़य ोंसे स्मारक की देखभाल का काम कर रहा था | कुछ व

ष' पहले

परिरवार के बुजुग —क ीमृत्य ुहो जाने

के बाद अ

ब ए

क कन्या ही रह रही थी |

जिजस परिरवार के वं ज प्रताप लिसंह की स्मारक की देखरेख करते रहे हो उनको यहाँ वीराने में छो

ड़ देना संभ

व नहीं

था इसीशिलए र

ाजा निव

जेंद्र लिसं

ह उ

स कन्या क ोभ ीराज/ान ी

ले

जाने ए

वं सरक्ष

ण देन ेक ानिनश्च

य क रचु

के

थे |

कई टिदन बाद राणा निव

जेंद्र लिसंह अपने अंगरक्षक ोंएवं चौकी के सैनिनक ों

के अलावा उस कन्या एवं स्मारक के #ुकड़ों

के साथ अपनी राज/ानी की तरफ रवाना हुए | राणा निव

जेंद्र लिसंह का कानिफला शिसम्हा

टिद्र कबीले के पास से गुजर रहा था

जब कबीले का सरदार सामने आये | सरदार को देख कर कानिफला रुक गया | जिजस वक़्त राणा निव

जेंद्र लिसंह शिसम्हाटिद्र

74

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

सरदार को सैनिनक चौकी और स्मारक के निवषय

में बता रहे थे उस वक़्त शिसम्हा

टिद्र सरदार निव

जेंद्र लिसंह के साथ आयी उस

खूबसूरत कन्या को देख रहे थे |

“राणा निव

जेंद्र लिसंह वह चौकी शिसम्हा

टिद्र

के निनदs

में ”

थी

“हां मुझे इस निवषय म ेंबताया गया था”

“त ोक्या यह आवश्यक नहीं था की हमसे पराम '

के ब

ाद निनण'

य ल ”

ेते

“ऐसा निकया जा सकता था परन्तु वहां मुझे कोई दुश्मन टिदखाई नहीं टिदया इसीशिलए मैंने चौकी ह#ाने का आदे दे

टिदया”

“हर दुश्मन टिदखाई नह ींदेता”

“पहाड़ी के पार रेत का जंगल है परन्तु रेत के अनितरिर

क्त वहां और कुछ नह ींहै मील ोंदूर तक फैली रेत निकस ीदुश्मन

का रास्ता रोकने

में सम

थ' ”

है

“हो सकता ”

है

“अ

ब आप क्या चाहते है”

“तुम्हारे साथ जो कन्या है उसे हमारे हवाले कर दो”

“यह कन्या उ

स परिरव

ार की आखिखर ीजीनिवत वं

है

जो स्मार

क की देखभाल करता था मैंने इसे संरक्षण टिदय ा

है मैं

इसे निकसी को नहीं दे सकता जब तक की कन्या खुद सहमत न हो”

“क्या यह तुम्हारा आखिखर ीफैसला है”

“आखिखरी फैसला इ

स कन्या को करना है”

“ठीक है तुम जा सकते हो और जब तुम्हें हमारी आवश्यकता हो तो हमें नीली पहाड़ ी

के जंगल ों

में तला करन ”ा

“क्या आप इस जगह का त्याग कर रहे है”

“इस जगह का वक़्त पूरा हो चुका

है अ

ब यहाँ मौत के अनितरिर

क्त औ रकु

छ नह ींर

ह सकत ”ा

“क्या आप अपनी बात का खुलासा करेंगे”

“वह सैनिनक चौकी और समारक निबना कारन नह ींथी अब दोनों ह#ा टिदए गए है तो अब उस रेत और रेत

में धिछपे

दुश्मन को रोकने का सा/न नह ींहै अब वह रेत और रेत में धिछप ादुश्म

न इ

न जंगल ों

में र

ाज करेग ाइसशिल

ए ह रजीनिव

त प्राणी

अथवा जानवर को यहाँ से जाना होगा”

75

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

“क्या रेत और रेत में धिछप ादुश्मन ?”

“और राजपूतों की तलवारें इस दुश्मन

से नहीं ल

ड़ सकती”

“यह सैनिन

क रेत औ

र रेत में धिछ

पे दुश्म

न क ोरोकन ेके शिल

ए कु

छ नह ींक रर

हे ”

थे

“चौकी और स्मारक की मौजूदगी ही दुश्मन को रोकने के शिल

ए पया'

प्त ”

थी

“य

टिद ऐसा है तो

ीघ्र ह ीवहां एक व्यवल्शिस्थ

त चौकी स्थानिप

त क रद ीजाएग ”ी

“उससे कुछ फायदा नहीं होगा राणा निव

जेंद्र लिस ”

ंह

“त ोक्या उपाय है”

“यह कन्या”

“इसे मैंने संरक्षण टिदय ा ”

है

“तब त ोशिसफ' ए

क ह ीउपाय बचता ”

है

“वह क्या”

“अपनी निनय

नित क ोपहचानिनय”े

और उसके बाद ायद निकसी के पास कहने के शिलए कुछ ेष नह ींथा इसशिलए सब अपने शि निवर ों

में चले गए |

अगले टिदन राणा निव

जेंद्र लिसंह अपने कानि™ले के साथ राज/ानी की और एवं शिसम्हा

टिद्र कबीले के नागरिरक नीली पहाड़ी की

और रवाना हो गए | कई टिदन की याdा के बाद राणा निव

जेंद्र लिसंह राज/ानी लौ# आये | जहाँ उन्होंने सेनाप

नित से निवचार

निवम ' के बाद सेना की कुछ #ुकधिडया सीमा की तरफ दुश्मन से लड़ने के शिलए जंगल ों

में भेजी | शिसम्हद्री कबीले से प्राप्त

जानकारी के मुतानिबक रेत

में धिछपे दुश्मन से लड़ने के शिलए तलव

ारें उपयोगी नह ींथी इसीशिल

ए सेना की य

ह #ुकड़ ीक

ई तरह

के रसायनों का घोल एवं कई तरह के हशिथयार ों

से सम्प

थी |

सेना की यह #ुकड़ी वानिपस नहीं लो#ी बल्शिल्

क च

ाँद सैनिन

क ही लो#े |

जो सैनिनक वानिपस लो#े उनसे राणा निव

जेंद्र लिसंह

को महतवपूण' जानकारी हाशिसल हुई उनकी सुचना के मुतानिबक जंगल

में रेत के अलावा को अनजान एवं रहस्य्मयी शिक्त

भी मौजूद थी इसीशिलए र

ेत

से जीतन ाअसंभव था |

राणा निव

जेंद्र लिसंह जिजस कन्या को साथ लाये थे उसे राजमहल में ही रखा और उसे राजकुमारी के रूप में सरक्षण

76

Men's HUB – 027, 1st Jan 2022

टिदया |

उस खूबसूर

त कन्या का नाम प्रज्ञा था

~~~~~~~~~~

For to be free is not merely to cast off one’s chains but to live in a way that respect and enhances the freedom of others.

स्वतं

d होना ,अपनी जंजीर को उतर देना मा

d नह ीं

है ,बल्शिल्क इस तरह जीवन जीना है की औरो का सम्मान और स्वतंdता

बढ़े।

~~~~~~~~~~

77

Image 18

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