Kavitanjali by Dr Ram Lakhan Prasad - HTML preview

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क म कर य र

जब तक न ह वसि ह तुम्ह री मांवज़ि त िैसे जीिन के सिर में

आर म कैस य र

अजुपन के तरह हम र वनश न नहीां तब इस छ टी सी वजांदर्गी क

िड़ ई कैस य र

अर्ने जीिन के सब िक्ष्य क सद स मने रख और उसी क अर्न