Kavitanjali by Dr Ram Lakhan Prasad - HTML preview

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मत करन य र

इस दुवनय ां में वहम्मत ि िे चिते हैं अकेिे ही और उनके र्ीछे मेिे ह

ज ते हैं य र

अर्ने तकदीर की कर र्गे इांतज़ र तब यह वजांदर्गी में बहुत झमेिे

वमिते रहेंर्गे य र

21

22

मैं यह ूँ रहूँ य न रहूँ मेर र्त और मेरे सभी रचन एूँ त यहीां रह

ज एांर्गे मेरे य र ां

मैं ने यह ूँ ब य है बहुत बीज अर्ने सम्वेदन ओां क उनक सीांचते

रहन मेरे य र

एक न एक वदन ियि भी क्तखिेंर्गे और मीठ िि भी वमि ज एांर्गे

तुमक मेरे य र

इस जीिन क वसय सत के च ि ां से दयर रखन अर्ने क म से क म