मैं भी एक बहत दररय हूँ मर्गर स र्गर हम र आखरी मांवज़ि नहीां है
मेरे द स्त ां
कि बह ज ियांर्ग और सयये की वकरणे चुन िेर्गी मुझे आर् हमें ख जते
रह र्गे द स्त ां
मस्ती भी थी मुसीबतें भी थी इस जीिन के सिर में वसिप रौनक ह ि
च ि न थ
हम रे वदि वदम र्ग में हज़ र ां ख्व वहशें थी वसिप उनक ह वसि न कर
र् य थ
इतने मधुर सर्ने और सि ि ां में वघर रहत थ मैं यह न शि न तन