भारत का सांस्कृतिक विकास: जरूरत आत्म-अन्वेषण की
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Author: Santosh Jha
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Book Description HTML
एक बेहद मासूम सी गुफतगूं की आरजू, शब्दों की सतरंगी पोशाक पहनने की जिद ठाने बैठी थी। मैंने उसे डराया भी कि शब्दों से संवाद की बदगुमानी अच्छी नहीं। पर जिद के आगे झुकना पड़ा। आपसे गुजारिश और यह उम्मीद भी कि आपकी स्वीकृति उसी प्रेम व करुणा के भावों में मिलेगी, जिस भाव में अभिव्यक्ति की अल्हड़ सी कोशिश है। लफ्जों की इस नौरंगी-नार की पजीराई कीजिए। इस संवाद से दिलरुबाई कीजिए।