Kavitanjali by Dr Ram Lakhan Prasad - HTML preview

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थ हम र

मुझक म ियम ह त रह ही मैं हूँ अर्ने सबके करीब और उनके विए

अज़ीज़ उतन

ईश्वर के दि ओां और अर्न ां के आशीि पद से हमने ख़ुशी जीिन

वबत य यह ूँ वकतन

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मेरे जीिन के इस सिर में बस च र तरीके थे वजनक मैं सद ज नत