Kavitanjali by Dr Ram Lakhan Prasad - HTML preview

PLEASE NOTE: This is an HTML preview only and some elements such as links or page numbers may be incorrect.
Download the book in PDF, ePub, Kindle for a complete version.

और म नत रह

इन्ीां च र तरीक ां द्व र मैं भी अर्ने इस जीिन के सिर क बड़े प्रेम

से क टत रह

हम र सभी मयिय ांकन और िर्गीकरण भी इन्ीां च र तरीक ां के

सांर्कप से ह त रह

हम यह ूँ क् करते, कैसे देखते, कैसे और क् कहते थे और कैसे

यह ूँ चित रह

मैं इस जीिन में वकतन खुशनसीब थ की मेरे ि र्ग मुझे अर्ने वदि

में जर्गह देते रहे

हमे ख़ुशी और सुखी रखने के विए खुद बेचैनी सहकर भी मुझक

हसन वसख ते रहे

इस दुवनय ां ि िे च हे ि ख हमक बदन म करें य मुझे म न सम्म न

भी प्रद न करते रहें

र्र मैं भी अर्ने िही स दर्गी के रहन सहन से हर एक के वदि में

अर्न जर्गह बन ते रहे

यह रही मेरी र म कह नी ज मेरे वदि से वनकिी और किम से

क र्गज़ र्र वबखर र्गयी य र

सभी हम री भयि चयक क म फ़ कर देन और िखन के सब र्गिवतय ां

क सुध र के र्ढ़न य र

23

Image 15

24

मैं बयढ़ ह ने िर्ग हूँ

मैं अब यह ज न और म न विय है की मैं अब बयढ़ ह ने िर्ग हूँ

क्यांवक ख िके मनच हे वकत ब के र्ैन र्ढ़ते र्ढ़ते स ने िर्ग हूँ

श यद हम रे प्य रे ि र्ग सही कहतें हैं अब मैं बयढ़ ह ने िर्ग हूँ

र्हिे सी िुती नहीां इस बदन में द कदम चिने से थकने िर्ग हूँ

अब इन स ूँस ां क क् भर स एक एक क खीांच कर जी रह हूँ

नज़र ां से देखन क म ह र्गय है और कुछ ऊूँच भी सुन ने िर्ग हूँ

भयख प्य स उतनी नहीां िर्गती अब वजन्द रहने क द न चुन रह हूँ

र्हिे वजन ब त ां र्े र्गुस्स आत थ अब उनक नज़रअांद ज़ करत हूँ

न ि नजररय रही न ही स च सकत हूँ अर्ने आर्से डरने िर्ग हूँ

प्य र ज सबसे करत थ र्हिे अब चुर् च र् बैठके सहने िर्ग हूँ

िक़्त नहीां वमिती है मन की ब त करने की त अब चुर् रहने िर्ग हूँ

तन मन में वकतने उम्मीदें भरी थी उनक भी अब खिी करने िर्ग हूँ

ये दुदपश देख के ज आांसय आतें हैं अब आूँख ां क ख़र ब कर रह हूँ

न वदम र्ग न शरीर स थ देते है अर्ने मन बि से उनक ढ ने िर्ग हूँ

छुर् ये न छुर्ती हैं अर्नी कमज ररय ां अांदर से ही दुबपि ह ने िर्ग हूँ

िह रे मेरी वजांदर्गी तुत ढिने िर्गी मैं अर्नी र्गिवतय ां वर्गनने िर्ग हूँ

च ह कर भी म फ़ी नहीां म ांर्ग सकत उनर्र अब र्छत ि कर रह हूँ

अर्न ां के सह रे की जरुरी ह ती है त मदद के क मन करने िर्ग हूँ

समय र् स बहुत क म है र्र सबक देख सुन के जी बहि ने िर्ग हूँ

ज न त हमक भी एक वदन है र्र घर के वबस्तर से ही डरने िर्ग हूँ

जीिन के सिर में चित रह खुसी से र्रअब प्र थपन करने िर्ग हूँ

क ई च हे मेरे सभी वकत ब ां क र्ढ़े न र्ढ़े मैं विर उन्ें र्ढ़ने िर्ग हूँ

अब त अर्ने सभी प्य रे ि र्ग भी कहने िर्गे हैं की मैं बयढ़ ह ने िर्ग हूँ

म न िे िखन जन दे अर्ने सभी ि र्ग ां क की मैं भी बयढ़ ह ने िर्ग हूँ

चिी चिे क मेि है आज नहीां त कि सबक ज न है मैं म न िेत हूँ

24

Image 16

25

उम्मीद

ये उम्मीद ही त है ज हम रे जीिन क बहुमयल्य जेिर है

बस एक कतर उम्मीद जीिन में जीने के विए जरुरी है

क ई न क ई आसर च वहए ये जीिन क र्गुज रने के विए

ियि ां क र्गिीच न सही र्र जमीन त वबछ द मेरे विए

अब िम्ब सिर ह र्गय है नांर्गे र् ांि थे हम रे चिने के विए.

अब र्ैर तिे जयते वमि ज ए त आर म वमिे मांवजि के विए

यह ूँ तक आ र्गए हैं हम अर्ने कई तकिीि ां क हट ते हुए

धुर् थी य तयफ़ न आये हम चिते रहे ख्व ब ां क सज ते हुए

सयरज न सही,र्र क ई वचर र्ग त जि द आर्गे बढ़ने के विए .

बस एक कतर उम्मीद वमि ज ए त आर म ह जीने के विए

अजीब कशमकश में है वजन्दर्गी कैस र ज है नक ब क विए

बेनक ब न सही जर वचिमन त उठ द स मने आने के विए

इस जीिन में बस एक कतर उम्मीद ही जररी है जीने के विए

कुछ ह न ह िेवकन क ई आस च वहए जीिन र्गुज रने के विए

उिझी र्ड़ी थी वजन्दर्गी बेमतिब की ब त ां में र्र सांभि र्गए हम

स री जीिन न ही सही,ि िही सांभि ज ए वजसक सांभ िें हैं हम

नम ह र्गयी हैं आांखें अि ां की दररय में क ई मुकम्मि स चेहर

सुनते हैं कम वदखत भी अब कम है न देख र् तें हैं सब क चेहर

र्रिर वदर्ग र क ही भर स है अब इस जीिन क वबत ने के विए

सुबह ‘िखन’ जब ज र्ग ज ते हैं जीिन बीतती है खुवशय ां के विए

25

26

मेरी मांवजि

जीिन में मुक्तििें बहुत थी जरर मर्गर मैं हि करने से ठहर नही ां

अर्ने सभी मांवज़ि ां से कहत रह ब र ब र की अभी मैं ह र म न नहीां

अर्ने मुक्तिि ां की हि र् ने के विए कई वदम र्गी र्ेंच िर्गत रह मैं

बैठे बैठे हम री मांवज़िें कभी नहीां वमिती इस ब त क म नत रह में

अर्गर र्गम में डयबी ह वजांदर्गी और मांवज़ि ां क र्त भी नहीां वमिती ह

च हे क ूँट ां भरी र हें ह विर भी मांवजिें वमि ही ज एूँर्गी र्गर वहम्मत ह

र्गुमर ह ि ह ते हैं जीिन में ज ह र म न के अर्ने घर से वनकिते नहीां

वहम्मत से क म िेने ि िे आर्गे बढ़ते ही रहते हैं कभी भी भटकते नहीां

मांवजि उन क वमिती है वजनके सर्न ां में ज न श न और म न ह ती है, चुर् म र के बैठने से कुछ नहीां ह त , हौसि ां से हम री उड़ न ह ती हैं

सिर ऐस कर की तुम्ह री सभी मांवज़िे वमि ज एूँ इर द रख ऐस

जब प्रभु क आशीि पद है और सभी हुनर तेरे स थ है विर डर कैस .

वजन क न मांवजि, न मकसद, न र स्ते क र्त है ि बेक र ह ते हैं

हमेश वदि में ठ स विच र िे कर ज चिे उनकी हमेश जीत ह ते है

वकसी अर्न ां य विद्व न ां की सि ह से सही र स्ते जरर वमि ज तें है, र्र अर्ने मांवजि र्े र्हुांचन ह त ि खुद की मेहनत से ही वमिते हैं

र स्त ये है मांवजि ां क र् ने क सीख ि हुनर ह ूँ में ह ूँ न वमि ने क

िही कर ज मन कहे. कर ज तन सहे, ब त है ह ूँथ र् िां वहि|ने क

हम रे सब मांवजि वमिे य न वमिे यह त हम रे मुकद्दर की ब त है

हम क वशश भी न करे चुर् च र् बैठे रहे यह त बहुत र्गित ब त हैं

इस प्रवतिध प की दुवनय में क ई भी वकसी से र्ीछे नहीां ह न च हत है

इसी च ह में अर्ने सुख-चैन क हम र सम ज बहुत कुछ ख त ज त है.

वनर श और दुुः ख की र्गहर इय ां में यह सांस र ज र ां से डयबत ज रह हैं

अर्ने मांवजि तक न र्हुूँच र् ने के क रण ि उद स य वनर श ह रह है

कभी उनक वमिती नहीां क ई मांवजि,बदिते है ज हर कदम र्र इर दें.

अर्गर वनह र्गें ह मांवजि र्र और कदम ह र ह ां र्र, र्ुरे ह ांर्गे सभी इर दे

ऐसी क ई र ह नहीां ज मांवजि तक न ज ती ह र्गर मन में ठ स िर्गन ह

ऐसी क ई म वनि नहीां वजसक हम र् न सके अर्गर खुद र्र विश्व स ह

म न की क वशश के ब िजयद ह ज ती है कभी ह र वनर श मत ह य र, बढ़ते रहन आर्गे ही जैसे भी मौसम ह िर्गन िर्ग ने से जीत ह र्गी य र

स मने ह मांवजि र स्ते न म ड़न ,मन में ह ि सर्न उसे मत त ड़न , कदम कदम र्र वमिेर्गी मुक्तिि आर्क आर्गे चिने क नहीां छ ड़न

र स्ते कह ूँ खत्म ह ते है वजन्दर्गी के इस सफ़र में बस ख्व वहश रखन

चिते आये ह त चिते रह हौशि रख कर बस ऐसे चिते ही रहन

सर्न क क्यांवक सर्ने स क र करने के विए जमीन र्र रहन जरुरी है

सब चीज़ वमिे त जीने क मज क् है जीने के विए कवमय ां की भी जरुरी है

26

Image 17

27

नकप और स्वर्गप

नकप कह ूँ है और स्वर्गप जह ूँ है इनक र्त कह ूँ है

सब ददप के विए दि वमि ज ए ि नुख्स कह ूँ है

नकप भी यहीां है स्वर्गप भी यहीां है हम ढयांढते कह ूँ है

सुकमप से स्वर्गप है कुकमप से नकप वमिे यही जह ूँ है

दि अब नकिी बनती है तब ददप भी सब यह ूँ है

ख न र्ीन वबर्गड़ र्गय है बीम री भी बहुत यह ूँ है

जि और शर ब र्गांदे है अच्छे बुरे में िकप कह ूँ है

र्ुण्य र् र् बर बर हैं त अब हम री कीमत कह ूँ है

ज सब हम रे अर्ने थे ि अब हम रे ही कह ूँ है

हम त िुट र्गए है सच और झयठ में िकप कह ूँ है

टयटे ररश्े क हम ज ड़ रहे है बड़ कवठन यह ूँ है

र्गौर से देख त म नि और द नि में िकप कह है

र्ढ ई विख ई वबर्गड़ र्गई अब उनक म ि कह ूँ है

ज भी हम रे मन क सुकयन दे ि हफ़प ही कह ूँ है

इस धरती क ढ ांच बदि र्गय ि सुख चैन कह ूँ है

अब म नि में सब कुछ सुध रने की तड़र् ही कह ूँ है

ि दुवनय ां के वबर्गड़ी बन ने ि िे अब तेरी दय कह ूँ है

तय भी क् करे हम रे प्र थपन में अब दम ही कह ूँ है

27

Image 18

28

हम री नजररय

हम री यह छ टी सी वजांदर्गी ने हमक कई रांर्ग वबरांर्गे ढांर्ग वदख ती चिी र्गई

हम देखते रहे हम री यह वजांदर्गी हमक क् क् नज़ रे वदख ती चिी र्गई

वजांदर्गी के एक एक र्ि आवहस्ते आवहस्ते कई खयबसयरत र्ि बनते चिे र्गए

ऐस ही ह त रह हर एक र्ि हम रे जीिन के सुनहरे वकस्से बनते चिे र्गए

हम देखते रहेऔर न ज ने कौन कौन इस वजांदर्गी क वकस्स बनते चिे र्गए

कई ि र्ग हम से ऐसे वमिे की वजनसे कभी न टयटने ि िे ररश्े बनते चिे र्गए

अब जब यह उमर ढिने िर्गी है त कुछ अर्ने भी हम से मुूँह म ड़ते चिे र्गए

मीठ रह ह य खट्ट रह ह हम त बस इस जीिन क सिि बन ते चिे र्गए

कई ि र्ग ां क हम न समझ सके त वकतन क समझ भी न सके र्र चिते रहे

अब र्छत ए से क् ह र्ग क्यांवक इस सांस र में सब चिते हैं त हमभी चिते रहे

अब जब सुबह आूँख खुिती है त प्रभु क न म िेकर इस जीिन क चि ते है

वदन ख़तम ह ने के ब द ख र्ी कर कुछ मस्ती िक्तस्त करके ये वदि बहि ते हैं

नीांद आते ही सुनहरे य द ां की ब र त सर्ने बन कर इन ख्य ि ां में आ ज तें है

ज अर्ने नजररये से देखत हूँ त सभी ि र्ग ां की ब तें मेरे समझ में आ ज तें है

ज़म ने के सभी ठ कर ां से सांभिती थी हम री वजांदर्गी मुझे ऐस िर्ग

यह सब स च कर मैंने भी बस अर्ने ठ कर ां क स थ वनभ ने िर्ग

धीरे धीरे ठ करें ख ते ख ते मैं अर्ने आर्क सांभ िन सीखने िर्ग

अब अर्ने उम्र क विह ज है त सांभि सांभि के ठ करें ख ने िर्ग

28

Image 19

29

इस वजांदर्गी क कैसे जीन है?

हमक यह छ टी सी वजांदर्गी वमिी है त हम क हांस कर जीन है, अब हमें अर्ने सभी ग़म ां क भुि कर र्यरे वदि िर्ग कर जीन है |

म न विय की उद सी में क् रख है त अब मुस्कुर के जीन है, अर्ने विए त खयब वजए हैं हम अब त अर्न ां के विए भी जीन है |

ययूँ करने क वदि च हत रहत है क्यांवकअब िक़्त के स थ ही जीन है, इसकी आदत अच्छी है जैस भी ह जुजर ज त है बस ऐसे ही जीन है

बचर्न में हम ज र से र ते थे कहते थे की अर्नी र्सांद र् के जीन है, बयढ़े ह र्गए त चुर्के से र िेते हैं क्यांवकअर्नी र्सांद छुर् के जीन है

अब अर्ने वजांदर्गी के उिझन ां क सही जि ब ढयांढ कर ही जीन है, अब कर सके हर ददप कम उस दि क ढयांढ के सुख श ांवत से जीन है

िक़्त के मजबयर ह ि त से ि च र हूँ जीने क बह न ढयांढ के जीन है, हर र ज ऐसी र ह ां क ढयांढत हूँ ज हमें बत दे कैसे आर म से जीन है

दुवनय ां बड़ी अजीब ह ती ज ती है सभी ि र्ग ां क सांभि कर जीन है

ि र्ग कीमत से नहीां वकस्मत से वमिते हैं यह भी हमक ज नके जीन है

अर्ने मन की विखत हूँ त मेरे शब् रठ ज ते हैं विर भी हमें जीन है

र्गरअच्छ भी विखत हूँ त अर्ने र् ठक रठ ज ते हैं विर भी हमें जीन है

र्गर हम अर्ने वशक्ष से र्हिे सांस्क र र्र ध्य न दें तब िह अच्छ जीन है

र्गर हम व्य र् र से र्हिे अच्छे व्य ह र वदख एां त ि बहुत अच्छ जीन है

भर्गि न् से र्हिे म त वर्त क र्हच न िे त ि भी एक अच्छ जीन है

हम रे इन ब त ां र्र जर ध्य न देदें त स रे कवठन ई से दयर ह के जीन है

29

Image 20

30

ि ह रे मेरी प्य री वजांदर्गी

ि ह रे मेरी प्य री वजांदर्गी आज है कि है आर्गे भी है वजांदर्गी

हर वदन हर र त हर घडी हर र्ि हर समय है यही वजांदर्गी

सुख में दुुः ख में ददप में ख़ुशी में नीांद में ख्व ब में भी वजांदर्गी

ि ख ां कश्मकश हैं यह ूँ क ई हि नहीां देती है ये वजांदर्गी

चि ज रह हूँ िेवकन बड़े रफ़्त र से दौड़ रही है वजांदर्गी

न ररश्े द स्त ां य दुश्मन ां की क ई कमी देती है वजांदर्गी

विर भी अकेिे में अर्ने में खुद क ति शती है वजांदर्गी

इस र्ग िांसे उस र्ग िां इस डर्गर से उस डर्गर चिती है वजांदर्गी

थक कर बैठ ज त हूँ मैं मर्गर थकती नहीां है मेरी यह वजांदर्गी

आज भी है कि भी रहेर्गी कि भी थी सद रहेर्गी यह वजांदर्गी

िही थी यह वजांदर्गी िही रहेर्गी और िही है यह हम री वजांदर्गी

र त ह य वदन ह सुबह ह य श म ह यही रहेर्गी ये वजांदर्गी

अब त सि ि भी करती है और जि ब भी देती है ये वजांदर्गी

जी भर के खेित हूँ वर्गरत हूँ सांभ ित हूँ देखती है वजांदर्गी

बचर्न की य द जि नी की जखम बुढ़ र्े की आर्ग वजांदर्गी

म नि रर् र्शु रर् र्ेड़ र् िि जि थि भी है ये वजांदर्गी

वजन्द हूँ मैं मर्गर वजन्द वदिी वदखती रहती है ये वजांदर्गी

हम भी हैं ि र्ग भी है यह भी हैं ि भी है कहती है वजांदर्गी

सब हैं यह ूँ मर्गर कभी कभी र्गुम शयम रहती है ये वजांदर्गी

कभी स च है त कभी स ज है र्ूँख विए उड़ती है वजांदर्गी

आज न ज भी है कि रहे न रहे चिती क न म है वजांदर्गी

जब कभी ग़म देती है त ख़ुशी के आांसय भी देती है वजांदर्गी

समय बिि न है त िक़्त के स थ बदिती भी है वजांदर्गी

म नि िक्ष केिि है मृत्यु िेवकन चिती रहती है वजांदर्गी

म ियम नहीां मौत के ब द भी रहेर्गी हम री यही वजांदर्गी

िक़्त से ज्य द इस वजांदर्गी में क ई और अर्न य र्र य नहीां ह त है

र्गर िक़्त अर्न ह ज ए त सभी आस र् स के ि र्ग अर्ने ह ज तें हैं

र्र र्गर हम र िक़्त र्र य ह ज ए त सभी अर्ने भी र्र ये ह ज तें हैं

इस स ध रण मस्व रे क य द कर के हम क इस जीिन क वबत न है

30

Image 21

31