जर र्गौर से र्वढयेर्ग आज हम री अर्नी कुछ ख़ स ब त ां क मेरे
य र ां
मैं और क् क् करन च हत हूँ अर्ने इस ब की जीिन में मेरे य र ां
दयसर ां की ख वमय ां क वनक िने से मैं अर्न िक़्त बब पद नहीां करत
हूँ
अर्ने खुद क विश्लेर्षण करके तभी ही मैं दयसर ां की क ई ब तें करत
हूँ
अर्ने क ई ख़ स सिर य मांवज़ि क एक सिि र ही ह न च हत
हूँ
विर अांत में वकसी घने जांर्गि के बहते दररय क बह ि ह न च हत
हूँ
िहीूँ र्र दयर आसम न से वर्गरते हुए झरने में कहीां खुद ख ज न
च हत हूँ
इस तरह की जीिन से अर्ने आर् क सज धज कर रखन च हत
हूँ
वबन वकसी ररि ज ां और ररश् ां की अर्नी मधुर वजांदर्गी बन न
च हत हूँ
बहुत सुख से वजय हूँ सम ज की सेि कर के मैं अब मैं ह न च हत
हूँ
खुद क इतन भी न बच कर जीिन के सब ब ररश ां में भीर्गन
च हत हूँ
ज नत हूँ मुझे क ई च ूँद नहीां देर्ग र्र अर्ने चहरे क चमकन
च हत हूँ
म नत हूँ की ददप हीर और म ती से हैं उनक आूँख ां से न बह न
च हत हूँ
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हम री हसीां ह ांठ ब नी है क म ि ने की उन्ें सद मुिुर ने देन
च हत हूँ
ब ररश और धुर् में ब हर अर्ने आूँर्गन में ज कर खेिन कयदन
च हत हूँ
कौन कहत है वदि वमि ने क बस अर्ने द स्त ां से ह ूँथ वमि न
च हत हूँ
कुछ भी मेरे सर्न से बड़ नहीां ह त र्र र्ररश वनय ां में सुन्दर सुन्दर
सर्ने देखन च हत हूँ
क ई दुुः ख भी मेरे सर्न से बड़ नहीां है र्र रुकत झुकत वर्गरत
सांभ ित चिन च हत हूँ
जब भी कभी शवदपय ां के मौसम आएां त मैं वदन के ओस ां की र्गरम
बयूँदें बन ज न च हत हूँ
िेवकन सभी र्गमी के मौसम ां में सुबह की उन धुांध के वकरण ां में मैं
कही ां छुर् ज न च हत हूँ
जब ि िम्बी र तें नहीां कटती त मैं र्गुम चुर् ह कर आर म की नीांद
में स ज न च हत हूँ
इस छ टी सी वजांदर्गी के खयबसयरत र ह ां में अर्ने सभी नेक वनश न ां
क छ ड़ ज न च हत हूँ
इस मनम हक दुवनय ां के खुिे नीिे आसम न क देख र्रख कर िह ां
उड़ ज न च हत हूँ
कुछ इस तरह मैं आर म से चित रह जीिन में बहुत थक र्गय अब
वबखरन च हत हूँ
अर्ने वदि और वदम र्ग क कभी सख्त नहीां वकय अब टयटन नहीां
र्र वर्घिन च हत हूँ
जब से ह स सांभ ि तबसे वजांदर्गी क वहस ब िेत रह र्र अब मैं भी
बहकन च हत हूँ
भिे द ही र्ि की यह वजांदर्गी है र्र जबतक जीऊांर्ग मैं सद ियि ां के
तरह महकन च हत हूँ
सीधे स धे रहें हैं कुछ र्ेंच और कुच ि नहीां थे अब जीभर आत है त
थ ड़ र िेन भी च हत हूँ
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इस जीिमां में एक खुिी वकत ब थे हम अब क ई र्द पद री नहीां ज
कहन है अब कह देन च हत हूँ
ददप वजसक भी ह त थ छिकती थी आूँखें मेरी उस दय दृवष्ट् क
कभी कम नहीां करन च हत हूँ
क ई दुश्मनी निरत वर्गि य वशक यत न रखन वकसी से बस अब
सभी से म फ़ी म ूँर्गन च हत हूँ
ख़ुशी त ह ती रही है य द कर के सभी उन मौसरे य र ां की अब क ई
बेवदिी नहीां करन च हत हूँ
र्गुजर चेकें है चौर सी िर्षों के सभी शुभ वदन र तें महीने स ि उनक
अब द हर न नहीां च हत हूँ
न ज ने वकतने अच्छे अच्छे र्गुफ्तर्गय हमने वकये अर्ने वजर्गरी द स्त ां से
उनक य द रखन च हत हूँ
जब भी कभी भीड़ में अर्ने आर् क तनह र् त हूँ त अर्नेर्न क
सही एहस स भी कर िेत हूँ
अर्ने वजर्गरी ि र्ग ां के स थ वबत ई थी ज हसीन र्ि ां क उनक अब
अर्ने वदि से य द कर िेत हूँ
मैं ऐस नहीां रह की अर्ने र्रेश वनय ां से िड़ न सक र्र अब वबन
र्रेश वनय ां के रहन च हत हूँ
वबन दुुः ख के सुख क सही एहस स वकसीक नहीां ह त मांवजि तक
जरर र्हुूँच न च हत हूँ
म नत हूँ की यह दुवनय ां वकसीक अर्न नहीां अर्न ती र्र मैं सद
सच्चे प्य र क म नत ज नत हूँ
वजतन भी कुछ म विक ने हमक वदय है ि जीने के विए क िी है
सबक धन्यब द देन च हत हूँ
अर्गर कभी हम र आांसय बहे तब यह महसयस ह त है की हम र
जीिन द स्ती के वबन वकतन सयन ह त है
हम रे सभी द स्त ां की जीिन स र्गर जैस र्गहर ह त है
हम रे द स्त ां के जैस द स्त कह ूँ वकसी के र् स ह त है
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इस वजांदर्गी क एक झिक
जब हमनेअर्ने इस वजांदर्गी क एक झिक देख त ि मेरे र ह ां में
र्गुनर्गुन रही थी
जब ढयूँढ मैने उसक इधर उधर त िह मुझ से आूँख वमचौनी खेिती
नजरआती थी
इस बुढ़ र्े में आर्गय मुझे भी कर र की ि खयब सहि सहि कर
मुझे सुि रही थी
तब हम द न ां स थी क् ां न र ज ह ां एक दयजे से मैं उसे और ि मुझक
समझ रही थी
अांत में मैंने उससे र्यछ ही विय की ि क् ां कभी कभी मुझे दुुः ख ददप
वदय करती थी
तब ि थ ड़ हांसी और ब िी की मैं तेरी वजांदर्गी हूँ र्र्गिे तुम क जीन
सीख रही थी
इस वजांदर्गी में उांच ि चढ़ ओ त िर्ग ही रहत है इसी क हम सही
वजांदर्गी कहतें हैं
दुुः ख ददप के ब द सुख सांत र् वमित है इसी तरह अर्ने वजांदर्गी क
र्हच न िेते हैं
अक्सर ि र्ग जि ज तें हैं हम री मुस्क न से क्यांवक मैं ददप क नुम इश
नही ां वकय है
इस वजांदर्गी से ज कुछ वमि क़ुबयि थ वकसी और िस्तु क
िरम इश नहीां वकय है
इस वजांदर्गी क र्ुरे तरह समझन मुक्तिि थ क्यांवक मेरे जीन क
अांद ज अिर्ग थ
जबभी जह ूँ ज कुछ वमि उसक अर्न विय र्र ज न वमि
उसक ि िच नहीां थ
यह मैं म नत हूँ की र्गैर ां के मुक बिे में वकसी से ज्य द कभी हमने
र् य ही नहीां थ
हमक इतन िक्र है की मैं 'सांत र्षम र्रम सुखम' क न र सद ही
िर्ग य करत थ
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बस हम री यह वजांदर्गी ययूँही सुच रु रर् से चिती रही और मेरी यह
सिर ज री रह
कुछ ि र्ग हम रे वदि के करीब ह विए र्र कई ि र्ग भयि र्गए थे की