Kavitanjali by Dr Ram Lakhan Prasad - HTML preview

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आश और वनर श

हम वनर श के दीर् बुझ कर आश ओां के दीर् जि ते हैं

अर्ने जीिन के वदश में िैिे र्गम क क स ां दयर भर्ग ते हैं

प्य र रुर्ी दीर् ां क जि के इस जीिन में उवजय र ि तें हैं

वमट देतें हैं मन के अिक र क जीिन की ज्य वत जि ते हैं

अर्ने स वथय ां के ह ूँथ र्कड़ के उनक अर्ने शरण में ि तें हैं

तुिसीद स के भ ांवत इस जर्ग क र मभक्ति क र् ठ र्ढ़ ते हैं

जीिन के हर क्षण में ह ती आश

और वनर श है।

हम रे जीिन के हर क्षण में भी ह ती आश और वनर श है

िेवकन हूँसते रहन आर्गे बढ़न मेरे जीिन की र्ररभ र्ष है

वजसने जीिन क जीन सीख बस उसक ही चैन वमि है

ज अर्ने विर्वत्त से नहीां िड़ ि ही हर र्ि बेचैन रहत है

अर्गर हम सांकक्तल्पत ह आर्गे बढ़ें त वमिती नहीां हत श है

कमप र्वथक ह चिते ज एां त जीिन क सब क म बनत है

सययप उवदत ह निर्गवत से त सुबह बने और श म ढित है

कमपठ ह कर वनज क म करें त हर र्ि नय स िर्गत है

जब ह र्गी नहीां वनर श तब नहीां रहेर्ग यह जीिन बनकर एक तम श

सुख वमि है ज भी हमक उसक र्यज म नें रखतें हैं यही सब आश

स्र त छुर् है दुुः ख क मन में हम अर्ने सभी सुख ां क र्हच न िेते हैं

सुख त दुुः ख क आध र रह है अर्ने मन में वचिन हम ज न िेते हैं

सच्च सुख देते रहतें हैं हमक सब कमप और धमप हम रे र् िन ह तें हैं

और ां की खुवशय ां क देख सुन के जब हम अर्न भी सुख र् ज ते हैं

शेर्ष न रहते तब हम रे क ई भी अूँवधय रे उवजय रे ही मुस्क ते रहतें हैं

यही त इस जीिन क दस्तयर है की दुुः ख से दयर सुख में ही हम रहतें हैं

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आवहस्ते चि मेरी वजांदर्गी

हम र कहन है अब आवहस्त चि आय मेरी वजांदर्गी

अभी वकतने िजप चुक न है और कुछ कजप भी ब की है

वकतने दुुः ख ददप वमट न है बस आवहस्त चि मेरी वजांदर्गी

रफ़्त र से चिने में कुछ ि र्ग रठ र्गए त कुछ छयट र्गए है

अभी रठ ां क म नन और र त ां ज अभी हस न ब वक है

कुछ ररश्े बनके टयट र्गए और कुछ त जुड़के भी छयटे हैं

उन सभी टयटे छयटे ररश् ां क अभी त वमि न भी ब की है

मेरी कुछ हसरतेंअधयरी सी हैं उनक र्यर करन जरुरी है

मेरे जीिन की कुछ उिझी र्हेिी क ठीक से सुिझ न है

जब यह स ूँसें रुक ज एांर्गी विर यह ूँ क् ख न और र् न है

िेवकन हम र ये मन बड़ चांचि है उसे बहुत कुछ करन है

अर्ने मन की वज़द्दी रर् क कई ब त अभी बत न ब वक है

आवहस्त चि ि मेरी वजांदर्गी अभी बहुत कुछ करन ब की है

वकतने ददप अभी वमट न है कई िजप क यह ूँ वनभ न ब की है

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सुख-दुख

अर्ने ह ांथ ां से छय सकयूँ उतन सुख वमि है मुझे इस जीिन में

कुछ आक शव्य र्ी से दुख वमिे विर भी जी िेती हूँ जीिन में

मेर र्िड़ त वबांदु क भ री ह र्ग वसांधु से हम रे इस जीिन में

हम च हते जर्ग में हम क सुख ही वमिे वनरिर,इस जीिन में

रहे सद दुुः ख की र्रछ ई क स ां की दयरी र्र मेरे इस जीिन में

सब सुख र् ने क दौड़ते रहे अर्नी सुधबुध ख कर इस जीिन में

वनकि रह है सुख अनज न र् स हम रे ह कर मेरे इस जीिन में

अवधक सुख ां की इच्छ रहती है मेरे मन में र्िती इस जीिन में

हम रे प्य से जीिन क थ र ां में मृर्गतृष्ण बन छिती है जीिन में

बड़े सुख ां के इसी िेर में छ टे सुख भी ख ते रहे हैं इस जीिन में

समय र्गूँि ते थे अर्न स र दुुः ख क र न र ते थे इस जीिन में

सुख हम र्र छ ते रहते कभी दुुः ख के ब दि छ ज ते जीिन में

वकरण खुशी की आती है कुछ दुखी र्ि ओझि ह ते जीिन में

दुुः ख में भी हम सुख ख जें त खुवशय ां आ ज ती है इस जीिन में

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आर्गे बढ़ इस जीिन में

वजांदर्गी वजांद वदिी क न म है बस वहम्मत से क म ि और आर्गे बढ़ते चि

तुम्ह रे र ह ां में च हे ियि वबछे ह ां य क ांटे भरे ह ां बस आर्गे ही बढ़ते चि

इस वजांदर्गी के र हें कवठन हैं र्र अर्ने वहम्मत और र ह ां क मत छ ड तुम

च हे वजतनी भी वबर्त एां आज यें अर्ने मुख क उन से जर भी न म ड़ तुम

स थ रहे य न रहे क ई स थी की र्रअर्ने म न मय पद क कभी न छ ड तुम

वनकि र्ड़ अर्ने सभी नेक क म ां र्र वफ़क्र वकसी की कभी नहीां कर तुम

कृर् की भीख वकसी से कभी न म ांर्ग अर्ने ही बि बयते र्े वबस्व स रख तुम

भर्गि न् बड़ दय िय है सद उस र्रम वर्त र्रमेश्वर र्र कर र्यर भर स तुम

द अक्षर प्रेम क बड़ मह न है खुद इसक र्ढ़ और दयसर ां क र्ढ़ ते रह तुम

वजांदर्गी छ टी त है र्र जब तक तन में ज न है तब तक आर्गे ही बढ़ते रह तुम

ये तुम्ह र सद क न र ह और यही सन्देश सब क देकर आर्गे चिते रह तुम |

मांवज़ि वमि र्गए है

जबसे हम ने अर्ने इस वज़न्दर्गी क ठीक से समझ है

तब से यह वजांदर्गी एक सरि सी वजांदर्गी िर्गने िर्गी है

वजस वदन से हम ने अर्ने वजांदर्गी के स ये में आ र्गए हैं

ऐस िर्गने िर्ग है की अब हम क मांवज़ि वमि र्गए है

अब मेरे इन आूँख ां में शर रत है शर ित भी रहतें हैं

अब मेरे में हैं ब ि की श क्तखय ूँ ये कैसी क़य मत है

हर वदन इस कदर नजदीवकय ां कहती है इश र से

र्हुूँच र्गए हैं हम अर्ने मांवज़ि र्े वदि की र ह ां से

इस छ टी वजांदर्गी के ब त ां में कई ऐसी भी ब तें हैं

कुछ देर से समझे हैं मर्गर सब दुरुस्त ही ब तें हैं

कई अरम न हैं वदि में और उिझन भी रहतें हैं

ज न िेि बन र्गई है म हब्बत हम प्य र करतें हैं

ह आ र्गए हैं हम वज़न्दर्गी में एक ऐसे म ड़ र्र

जी नहीां सकते म हब्बत क यह द मन छ ड़कर

इस वजांदर्गी के आवशकी क अब क् कहे हम

अब अर्ने इस वदि की िर्गी क क् करे हम

जबसे हम ने अर्ने इस वज़न्दर्गी क ठीक से समझ है

तब से यह वजांदर्गी एक सरि सी वजांदर्गी िर्गने िर्गी है

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मैं क् करूँ

इस जीिन में ज भी म नि जब अर्नी र्यरी क वशश से ज र िर्गत

है त र्त्थर भी वर्घि ज त है

मैंने भी सद से ही खुद से जीतने की वजद्द िर्ग रक्खी थी और

इसीविए अब मुझे खुद क हर न है

मैं इस दुवनय ां के क ई भीड़ में त नही ां हूँ क्यांवक हम रे अांदर स रे

ज़म ने के ि र्ग ां क र्यर ख्य ि रहत है

हमने ब ांसुरी से सीख थ एक नय सबक की ये वजांदर्गी में च हे

ि ख जखम ह त भी िह र्गुनर्गुन त रहत है

हम रे बुजुर्गों ने कह थ की बबुि करन तुम कुछ एस की तुम्ह रे

जीने क क ई अफ़स स ब की न रह ज ए

अर्ने वदि की हर एक हसरत ां क करते रहन र्यर वजस से क ई

भी तुम्ह रे मन की अरम न ब की न रह ज ए

इस वजांदर्गी में सब क सब कुछ वमित रहे ऐस त बेसक नही ां

ह त है त इस सत्य क सद य द रक्ख ज ए

िेवकन ज भी वमित रहत है इस जीिन में उनकी भी कही ां क ई

च हत और उमीदें कही ां ब की न रह ज ए

इस सांस र के सभी बदिते दौर ां से ि वकि रहन जरुरी है इस

विए सद सांभि कर चिन उवचत ह र्ग ब बय

इस तरह से सांभि के चिन की कही ां तुम्ह री क ई तमन्न और

तजुब प ब की न रह ज ए और वदिक रखन क बय

मैंने इस जीिन में सभी से प्य र म हब्बत करत रह इस विए इस

बुढ़ र्े में भी मुस्कुर ते वजांदर्गी वबत रह हूँ

अब यह देखन है की इस जीिन में अर्न ां के विए क ई मुर द और

वजस्म र्े क ई घ ि भी नही ां रहे इर द कर रह हूँ

इतन जरर य द रखयूँर्ग की सभी जख् ां की िित ह और र्त्थर ां

से अर्न खैररयत म ियम करत रहूँर्ग

टयटे हवथय र ज घर आूँर्गन में वबखरें हैं उनक समेटयांर्ग और अर्ने

ह र ज ने क सभी सबब म ियम करूँर्ग

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अर्ने ज र्गती आूँख ां के सभी ख्व ब ां क अर्न ग़ज़ि क न म

देकर अर्ने करिट ां के सबब य द करूँर्ग

चित ही रहूँर्ग इन र ह ां में र्र श म तक िौट आियांर्ग ह ांथ ां क

ख|िी विए र्र इस वजांदर्गी में झयमत रहूँर्ग

वकसी से क ई वशक यत नही ां करूँर्ग अर्गर क ई र्यछे ह ि हम री

त कह दयांर्ग की अब मैं क् करूँ ऐसे रहूँर्ग

वबस्व स रखत हूँ

इस जीिन में जीत वकस के विए ह ती है और ह र वकस के विए है जरुरी नहीां है

जीतत िही है ज वसकांदर वदि ह त है ह रेर्ग ि ज क ई क म के विए नहीां है

ज भी आय है इस सांस र में ि ज एर्ग एक वदन त इतन अहांक र वकस विए है

जब तक यह जीिन है यह ूँ तब तक मेहनत मसक्कत करते रह इसी में खुसी है

जब से मैं चेत हूँ तब से मैं केिि सही िैसिे ही िेने में अर्न वबस्व स रखत हूँ

इतन ही नहीां बक्ति सही िैसिे िे कर उनक स वबत करने में वबस्व स रखत हूँ

उम्र में हमसे क ई बड़ य छ ट नहीां ह त बड़ िही ह त ज हम रे क म आत है

हम रे विए मह न त िही है वजसके वदि में सब के विए प्रेम और सम्म न रहत है

इस सांस र में कई ि र्ग ां के र स्ते, मांवज़िें और तकदीर भी बदि ज य करते है

र्र क् ां नहीां उनके वदि बदिते हैं जब उनके रहन सहन बदि ज य करतें हैं

हम री रह रहती है वकतने ब र अिब र िेवकन हम रे िब हूँसते ही रहतें हैं

हम रे बह र और अांदर के कई विज यें भी समय देखकर बदि ज य करते हैं

क ई चि ज त है इस वजांदर्गी से दयर बहुत दयर त हमक बड़ दुुः ख िर्गत है

न ज ने ह ि त ां क देख के हम रे ह ांथ ां के िकीरें भी क् ां बदि ज य करतें हैं

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क् क् कहती है हम री यह छ टी सी

वजांदर्गी?

क् क् कहती है हम री यह छ टी सी वजांदर्गी जर हमसे क ई

कहेर्ग

जब तक चिेर्गी स सें हम री कही ां प्य र और कही ां टकर ओ भी

वमिेर्ग

जब कही ां अांतमपन से हमक सम्बि ह र्ग कही ां वकतन आभ ि

वमिेर्ग

कही ां वमिेर्गी प्रसांस और म न सम्म न कही ां न र जर्गी क भ ि

वमिेर्ग

कभी सच्चे मन से दुि वमिेर्गी त कभी भ िन ओां में भी दुभ पि

वमिेर्ग

जब बन ज एांर्गे र्र ये भी अर्ने त कभी अर्न ां से भी क्तखांच ि

वमिेर्ग

ह र्गी खुश मदी हम री त कभी र्ीठ र्ीछे र्गहर बुर ई क घ ि

वमिेर्ग

घबर न मत र ही चिते रहन अर्ने कमपर्थ र्र तुमक सुकयन

वमिर्ग

जैस तुम्ह र भ ि स्व भ ि रहेर्ग ठीक िैस ही तुमक प्रभ ि भी

वमिेर्ग

रखन अर्ने स्व भ ि में शुद्धत तुमक अिश्य वजांदर्गी क मज

वमिेर्ग

ज चि र्गय उनक क् मि ि करें हम ज ह वसि है उससे

सि ि करें

बहुत दयर तक ज ती हैं य द ां की क विि क् ां र्ुर नी य द ां क य द

करें

यह त सही ब त है की इक कमी में थमी है वजांदर्गी क् ां उसकी

वफ़क्र करें

वमि ही ज येर्ग जीने क ि ख बह न चि इत्मीन न से इसक

इांतज़ र करें

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सांस र और सांस्क र बदिें हैं

कैस जम न आर्गय है जब रहन सहन और र्हर ि बदि र्गए त शमप ि ज सब

भ र्ग र्गय है

म त जी क बन र्र ठ र्गय अब वर्य जी क खरीद ब्रेड वमि त सब त कत

भ र्ग र्गय है

घर आूँर्गन के ियि ज र्गए प्ल क्तस्ट्क के त अब उन में सुांदरत और खुशबय कह ूँ

से आएर्ग

हर चहरे र्र इतनी बन िट ह र्गई है त अब वकसी क रांर्ग रर् र्हच नन र्गजब

ह ज एर्ग

हम रे र् ठश ि के वशक्षक ह र्गए हैं वभच्छक त अब ग्य न ध्य न क भी क ई

र्त नहीां है

िॉजन भ जन सब र् इजन ह र्गए हैं तब हम री तन्दुरुर्षती क अब क ई ख़ स

र्त नहीां है

धरम करम के सब प्र ग्र म अब र्गयर्गि से वमिते हैं त सांस्क र और सत्क र सब

र्ग यब ह र्गए

हर क ई अब क ई न क ई दुुः ख से र्ीवड़त हैअब सब दय द न म न ज न भी

र्ग यब ह र्गए

घर घर में ि ईि ई और ह ईि ई की िर्ट चि रही है त हल्ल र्गुल्ल में जीिन

र्गुजरत है

भक्ति करने ि िे भि भी सब शक्तिहीन ह र्गएूँ हैं त ईश्वर भी हम सब से दयर

ह ने िर्ग है

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द स्ती

द स्ती ज शब् है उस क सही अथप बड़ ही मस्त और मजेद र ह त

है | जब हम उस शब् क “द +हस्ती के रर् में देखतें हैं क्यांवक

जब द हक्तस्तय ां वमिती हैं तभी हम री द स्ती बनती है। इस सांस र में

द स्ती वसफ़प विश्व स र्र ही वटक ह त है इस विए आांख बांद करके

भी द स्त ां र्र भर स वकय ज सकत है। द स्त ही हम रे जीिन में

ऐसे ह ते हैं वजनक हम अर्ने मन से चुनते है। द स्त ही ह त है ज

हमें अर्ने वनर श जनक जीिन से दयर िे ज कर ढेर स री खुवशय ूँ

देत है। हम रे हर सुख और दुुः ख में अर्नी हर सहभ वर्गत वनभ त

है। इस द स्त जैसे अनम ि शब् क समझने के विए मैं आर्के

समक्ष आज द स्ती र्र कुछ कवित एूँ रचने ज रह हूँ। उम्मीद करत

हूँ आर्क यह र्सांद आएर्गी।

हम रे इस छ टी सी वजांदर्ग नी में कई प्रक र के द स्त हमें वमिे, क ई

च य की चुक्तिय ां के स थ वमिे, क ई र्ग िां के चौर हे र्र त क ई

र् ठश ि य विर क म करते िि वमि र्गए । वकतन के स थ में

र्गविय ां भी ख ई और वकतन ने क्तखिि ई भी। र्र द स्ती हम से हर

एक ने क् ख़यब वनभ ई और आज भी वनभ रहें हैं। द स्त ां के न म

र्र हम ने अर्ने जीिन भर वकतने जश्न, त्यौह र तथ खेि कयद रच ते

रहे। च य के शौकीन त हम बर बर के वनकिे, विर क् थ जब भी

समय वमित थ सब के स थ ह थ में च य विए र्गुफ्तर्गय करते रहे।

धीरे-धीरे द स्ती में और भी र्गहर ई,आयी तथ अर्ने ढांर्ग की नये रांर्ग

ि ई। कुछ भक्तिम न स थी बन र्गए त कुछ िूँर्ग वटय र बन र्गए।

कुछ के स थ वदि वमि र्गये और कहीां रक्ष सयत्र बांध र्गये। जब दौर

र्गितिहवमय ां क भी आय , त कभी र न कभी मन न , कभी

रठन कभी समझ न थ । अर्नी जीिन के य द ां में एक वहस्स यह

भी बन य थ ज आज भी चित है। बचर्न बीत , जि नी आयी

र् ररि ररक जीिन भी आय र्र द स्ती क यम रही। समय र्गुजरत

र्गय और हर क ई अर्नी र ह ां में बढ़त र्गय , आज क ई र् स त नहीां

मर्गर सब स थ है। वमिते आज भी हैं सब, द स्ती की यही त ब त है, ये िेख एक कह नी नहीां, ये मेरी द स्ती की द स्त न है।

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स र ररश् वनभ ते रहें हैं

र्रम त्म ने हमक हम रे द स्त ां से वमि य और हम रे विए द स्ती क स र

ररश् वनभ ते रहें हैं

इस विए हम री सभी द स्ती सद क यम रहेर्गी क्यांवक मैं अर्ने सब द स्ती क

वनभ न ज न र्गएूँ हैं

जब भी मैं अर्ने य द ां क वर्ट र ख ित हूँ त हम रे कुछ ख़ स द स्त हमक

बहुत य द आतें हैं

और जब मैं अर्ने र्ग िां के र्गविय ां से र्गुजरत हूँ और र्ेड़ ां के छह ां में बैठत हूँ

त द स्त य द आतें हैं

ि हूँसते मुिुर ते द स्त न ज ने वकस र्गिी य शहर में ख र्गए हैं िेवकन िे

आज भी य द आतें हैं

कई ि र्ग कहतें हैं की इतन द स्ती मत कर की तुम्ह रे द स्त तुम्ह रे वदि

वदम र्ग र्र सि र ह ज एूँ

िेवकन मैं सद से यही कहत आय हूँ की द स्ती इतनी कर की दुश्मन क भी

तुमसे प्य र ह ज एूँ

मैं अक्सर स चत करत थ की हम री भी कभी एसी द स्ती ह र्गी के हम रे

स थ द स्त ां की हस्ती ह र्गी

िेवकन मैं स्वर्गप के र्गविय ां की ख्व ब क् ां देखयां जब हम रे द स्त हम रे स थ हैं

त नरक भी जन्नत ह र्गी

दुवनय द री के म मिे में भिे मैं कच्च हूँ िेवकन सद से अर्ने द स्ती के म मिे

में हम सच्चे रहतें हैं

अब हम री सच्च ई बस इस ब त र्र क यम है की आज हम रे स रे द स्त हमसे

भी बहुत अच्छे हैं

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हम र सही द स्त कौन ह त है ?

यह त हम सब ज नतें और म नते हैं की ह ांथ ां के िकीर से वकसी की तकदीर

नहीां बनती है

इस विए अर्ने सभी ररश्े क सच्चे वदि से वनभ न है क्यांवक यह जीिन दुब र

नहीां वमिती है

इस सांस र में कौन वकसी क वदि ज न से च हत है क्यांवक हर क ई अर्ने ह ि

से मजबयर ह त है

द स्ती के म मिे में हम इतन ही ज नतें हैं की हम र हर ररश् म ती त हर

द स्त क वहनयर ह त है

यह छ टी सी वजांदर्गी च हे वकतने भी खयबसयरत क् ां न ह र्र खुशवमज ज़ द स्त ां

के बर्गैर नीरस ह त है

हम रे िड़खड़ ते कदम ां क ज भी जन सूँभ िमे के क वबि ह िही ह ूँथ

भक्तिम न द स्ती क है

वजन के सभी ब त ां क सुनते ही हम र वदि हांसने िर्गे ठीक िही ब त हम रे

सही द स्त ां क है

ज भी नजररय हम रे सभी जिते अांर्ग र ां क ठांड कर के सुन्दर ियि बन दे

िही ज दय द स्ती क है

ज बदि कर रख दे हम री सभी भयि ां क ठीक िही त कत की ज र हम रे सब

सही द स्ती क है

ज हम रे सभी क िी अांधेर ां क करत रहे र शन ठीक िही सही दीर्क हम रे

द स्त ां से वमित है

ज हम रे हर आांसय क बदि कर म ती कर दे ठीक िही स र्गर क सीर् हम रे

द स्ती क ह त है

हम रे वदि और वदम र्ग र्र क हर ददप क बने मरहम ठीक िही सही दि हम रे

द स्ती क है

ज हमक हम रे भटक ि ां के हर म ड़ र्र सह र देत रहे ठीक िही र्न ह हम रे

द स्ती क है

हम रे हर न क वमय ां क ज सभी ह र से जीत में बदि दे ठीक िही रीत हम रे

सही द स्ती क है

तथ हर ज़म ने में रहे ज हम रे स थ जीवित ठीक िही हम र द स्त सद अमर

और अजर ह त है

यह त हम सब ज नते और म नते हैं की च ूँद की द स्ती हर र त से िेकर हर

सुबह तक ह ती है

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तथ हम यह भी ज नते और म नते हैं सयरज की द स्ती हर सुबह से िेकर हर

श म तक रहती है

िेवकन हम री द स्ती और हम रे द स्त ां की द स्ती बड़ी अजीब सी है और चिती

ही रहती है

क्यांवक हम री यह द स्त ां की द स्ती हम रे र्हिी मुि क त से आखरी स ूँस ां तक

चिती रहती है

िह वदि ही क् है इस दुवनय ां में ज अर्ने द स्त ां से वमिने की दुआ न करती रहे

अर्ने द स्त ां क भयि कर हम जीतें रहें ऐस हम रे विए कभी भी र्रम त्म न करे

बस चिती रहे हम री सब द स्ती हम रे इस जीिन भर के विए बस ऐस ही रहे

यही ब त त बड़े मजे की है की हम री इस जीिन की र्ग डी अर्ग डी चिती ही रहे

बचर्न की बस्ती

मेरे बचर्न की बस्ती म सयवमयत की भरी मस्ती थे जब खुवशय ूँ थी सस्ती

अर्न क प्य र अन ख सांस र थ सर्न ां की बहती थी जह ूँ मेरी कश्ी

मैं अर्नी सभी खुशबय से अनज न थ कस्तयरी-वहरण सी ि थी मेरी हस्ती

आूँख ां में चमक, अांद ज में धमक क्तखिक्तखि हट से र्गुांज उठती थी खनक

मेरे ब त ां में ह ती थी चहक मैं िे कर चित थ अर्नेर्न की ख स महक

हम रे सि ि ां के रहत ढेर खेिने के िेर वकसी से नहीां ह त थ क ई बैर

कि ां र्र बैठ कर वर्त के करते थे अर्ने सभी खेत ां की सर् ट और सैर

वशकिे-वशयत ां की कभी आती न थी भ र्ष न थ अर्ने र्र ये क भेद क ई

यही थी मेरे बचर्न की बस्ती, म सयवमयत से भरी मस्ती प्य रे थे सभी क ई

छ टी-छ टी चीज ां में खुवशय ूँ थी बड़ी-बड़ी वमिती थी श ब वशय ूँ घड़ी-घड़ी

न थ क ई र्रेश नीय ां क मेि न वजम्मेद ररय ां क झमेि की वफ़क्र र्ड़ी

िर्ग ई ज ती थी जब तरकीबें नई-नई िर्ग ज ती थी मन-मांवदर में िुिझड़ी

सभी भ िी सी हम री शैत वनय ूँ, अल्हड़ सी न द वनय ूँ करते थे मनम वनय ां

आज आजी से सुनी ज ती थी कह वनय ूँ सच िर्गती वजनकी स री जुब वनय ूँ

कुदरती ि सभी खयबसयरती ढयांढते है आज खुद में सभी ह त नहीां है वबस्व स

िि के बदिते करिट ां के स थ बदित र्गय है हम र बचर्न क एहस स

र्र आज भी है ि बचर्न बड़ ख स है हम रे वदि के र् स ऐस ही िर्गत है

ि बचर्न की बस्ती, म सयवमयत भरी मस्ती की सब खयबी अब य द िर्गत है

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इस ब त क समझ िेन

एक वदन ऐस आएर्ग की हम री वजांदर्गी एक ऐसे मुक म र्र र्हुूँच ज येर्गी

जह ूँ से मुड़न दुिपभ ह ज एर्ग और हम री द स्ती वसिप य द ां में रह ज एर्गी

हर ब त द स्त ां की य द वदि ती रहेर्गी और हूँसते हुए आूँखें नम ह ज एूँर्गी

र्ैसे त र् स बहुत ह ांर्गे िेवकन खचप करने के सभी िम्हें बहुत कम ह ज एूँर्गी

हम जी िेंर्गे इस र्ि क भी य र क्यांवक हम री ये वजांदर्गी दुब र नहीां वमिेर्गी

इसी विए मैं कहत हूँ की ज भी द स्त हैं हम रे र् स उनसे ही सुकयन वमिेर्गी

हम कहीां दयर चिे ज एूँ त जर इांतज़ र कर िेन और इतन एतब र कर िेन

हम िौट के जरर आएांर्गे अर्गर कहीां भी चिे ज येंर्गे इस ब त क समझ िेन

हम री सभी दयररय ां

अक्सर हम री सभी दयररय ां ही हम रे द स्त ां क हम रे नजदीक ि ती रहती हैं

विर अक्सर यही सब दयररय ां ही हम रे द स्त ां क एक दयजे की य द वदि ती हैं

मैं म नत हूँ की इस सांस र में दयर ह कर भी वकतने ि र्ग हम रे करीब ह तें हैं

कभी हम री यही दयररय ूँ हमक अर्ने द स्त ां के ब त ां क एहस स वदि ती हैं

इस विए हम र यह भी कहन है की द स्ती के ररश्े च हे कैसे भी हम रखेंर्गे

उनक त ड़ देने से हम रे वदि और वदम र्ग र्र बहुत ही दुुः ख - ददप भी रहेंर्गे

हम रे द स्त च हे जैसे भी ह उनकी मौजयदर्गी हमक सद खुश ही रखत है

जैसे र् नी च हे कैस ह अर्गर हम र प्य स नहीां त आर्ग त बुझ सकत है

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छ टी सी वजांदर्गी

हमने अर्ने इस छ टी सी वजांदर्गी में यह महसयस वकय है की अक्सर क ांट ां र्र चि कर ही इस

वजांदर्गी में ियि क्तखितें हैं। अर्गर हम अर्ने विश्व स र्र सद चिते रहें त हमक भर्गि न् क सही

आशीि पद अिश्य वमिते हैं। िेवकन मैं एक ख़ स ब त अर्ने जीिन में सद ही य द रखत हूँ की

सुख में हमक सब वमिते रहतें हैं र्र दुुः ख में केिि भर्गि न् हमक सह र देतें हैं। ि ह रे हम री

वजांदर्गी तेरे ख्व ब ां क भी खयब कम ि है क्यांवक तय हम र्गरीब ां क उन आविश न महि ां की

सुनहरे सर्ने वदखती है वजन में अमीर ां क नीद नहीां आती है। जब हम न द न थे त अर्ने

वजांदर्गी के खयब मजे विय करते थे र्र अब जब बुढ़ र्े के समझद री आर्गयी है त अब हम री

वजांदर्गी हम री मज िे रही है। यह भी इस वजांदर्गी क एक कम ि है। ि ह रे वजांदर्गी तय ने भी खयब

अर्न च ि वदख य है !

मैंने अर्ने जीिन में बहुत र्हिे ही अर्ने सभी वदि की ब त ां क और अर्ने कई भेद क क र्गज

र्र विखने की आदत ड ि दी थी क्यांवक अर्गर मैं एस नहीां कर र् त और ि सब मेरे वदि में ही

रह र्गए ह ते त इतन आर्ग ह ज त की स रे वदि और वदम र्ग में उन के र्गमी से छेड़ ह ज ने क

डर थ । आज मेरे र्च स से भी ज्य द र्ुस्तक ां क र्ढ़ कर ि र्ग मेरे वदि और वदम र्ग क थांडर्गी

र्हुांच रहें हैं । अब जब सब आर्ग वनकि र्गई है त मैं आजकि वकसी र्र भी न र जर्गी वदख ने से

र्हिे हरिि अर्नी कुछ् ख स र्गिवतय ां और भयि ां क दुब र ठीक से वर्गन विय करत हूँ ।

वदि और वदम र्ग क बड़ सुकयन वमित है इस बुढ़ र्े में । अब कभी कभी मैं यह भी स चत

रहत हूँ की ि र्ग मुझ से मेरे जीिन में झयठ नहीां ब िते थे क्यांवक सच्च ई और झयठ की र्रख

हमक तब वमि ज ती थी जब मैं ि र्ग ां क सही खैररयत र्यछ करत थ । मैं उनक सच ई और

झयठ सब उनके झयठे जि ब ां से र् ज त थ ।

इस विए मेरे विए यह दुवनय सद एक स र् ां की बस्ती की तरह िर्गती थी और मैं जर देख भ ि

कर आर्गे बढ़त थ क्यांवक मैं यह ज न र्गय थ की यह ूँ के कई ि र्ग हमक बड़े प्य र से डसन

ज नते थे । इन सब क ज नकर मैं ने देख की िि कब क् क् रांर्ग वदख दे हमक , हमक इन

सब क ज्ञ न रखन जरुरी है । र म यण से इस की वशक्ष हमक वमिी थी की श्री र म क जब

एक श म क र ज्य वमिने ि ि थ िेवकन दयसरे सुबह उनक बनि स वमि र्गय थ । बस यही

िि क तक ज है ।

अब आर् ही देख िीवजये की कई ि र्ग ां क कहन है की कि रांर्ग अशुभ ह त है िेवकन िही

क िे रांर्ग क ब्लैक ब डप मेरे ज़म ने में स्कयि में मेर स र जीिन ही बदि ड ि थ । र्ढ़ विख

कर त मैं दौित कम ने के भयख में क म करने वनकि र्ड़ थ र्र जब मुझ क दौित खयब वमिी

त मेरे ह ांथ से धीरे धीरे मेरे ररश्े वनकिने िर्गे थे और विर जब अर्ने र्ररि र और बच्च ां के

स थ रहने की िुसपत वमि त बच्चे भी घर से ब हर वनकि र्गए अर्ने जीिन अर्ने ढांर्ग से वबत ने

के विए । अब मैं देखत हूँ की र्ररक्तस्तवथय ूँ जब विर्रीत ह ती है तब अर्नी प्रभ ि और दौित

नहीां र्र अर्नी स्व भ ि और सम्बि क म में आतें हैं । अब बुढ़ र्े में यही स चत रहत हूँ की

बचर्न में जह ां भी हम च हते थे हांस िेते थे और जह ूँ च हते थे िह ां र भी िेते थे िेवकन अब

बुढ़ र्े में मुस्कुर ने के विए भी तमीज और एक ांत की जरुरत ह ती है तथ आांसय बह ने के विए

तन् ई की जरुरत ह ती है । ि ह रे वजांदर्गी तय ने भी खयब अर्न च ि वदख य है ।

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सबक वजांदर्गी क

सांघर्षप जीिन क एक ऐस भ र्ग है ज इांस न क नयी ऊांच इय ां प्रद न करत है। ज

इांस न सांघर्षप क टने से डर ज त है, वजांदर्गी उसे बब पद कर देती है य विर ि भी स री

दुवनय की तरह र्गुमन मी में अर्न जीिन र्गुज र देते हैं। िेवकन ज मुवसबत ां से नहीां

डरते और आर्गे बढ़ते रहते हैं उन्ें ि ह वसि ह त है ज वकसी स ध रण व्यक्ति क नहीां

ह त । ‘सबक वजांदर्गी क ’ कई ब र जररत ह ती है त बस प्रेरण की और ि प्रेरण

हमें अर्ने आस-र् स से भी वमि ज ती है। िही जीिन जीने की प्रेरण देने के विए ये

कवित ि ये है ज सांघर्षो से भरी जीिन क बत ती है सबक वजांदर्गी क ।

इक्तिह न ां के दौर ने जीन वसख

वदय ।

खुशनुम दौर चि रह थ वजांदर्गी क

वक मुसीबत ां ने डेर ड ि सब कुछ वहि वदय

सबक अधयर ही थ अभी वजांदर्गी क

और इक्तिह न ां के दौर ने जीन वसख वदय ।

टयटते हौसि ां क सांभ ि रह थ मैं

जब देख न र्गय ज़म ने से

त हर कदम र्र नय ज ि वबछ वदय

बदि र्गय नजररय हम र दुवनय द री क

र्द प आांख ां से हमने झयठी उम्मीद ां क वर्गर वदय ।

उठत रह हर ब र मैं वर्गर-वर्गर कर

मुक्तिि ां की चट्ट न ां र्र मैंने

क मय बी क वनश न बन वदय ।

िि के स थ बीत र्गय बुर दौर वजांदर्गी क

टयटे हुए अरम न ां क बट र

हमने नय मुक म बन विय ।

बद पश् न हुआ ज देखने ि ि ां से

बब पद करने क मुझे

हर ब र नय र ह बन विय ।

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वर्गर ते रहे मुझे मेरे अर्ने ही

हर ब र वर्गरते ही मैंने हौांसि बढ़ विय ।

शुक्रर्गुज र हां ख सकर च हने ि ि ां क मेरे

मुझे बदन म करने की क वशश ां ने इनकी

जम ने भर में “र मिखन” मेर न म बन वदय ।

सबक अधयर ही थ अभी वजांदर्गी क

और इक्तिह न ां के दौर ने जीन वसख वदय ।

हम त यह नहीां कहते हैं की हम रे वजांदर्गी में आर्गे क् ह र्ग

एस वबिकुि नहीां स चें की कभी भी हम र बुर ह र्ग

बस हम आर्गे बढ़ते रहें अर्ने मांवजि के ओर च हे ज भी ह र्ग

हमक च हे कुछ वमिे न वमिे हमें तजुब प त नय वमि ज येर्ग

आजकि देख यह ूँ खुवशय ां कम हैं और हम रे अरम न बहुत हैं

वजस वकसी क देख उनकी र्रेश वनय और तकिीि बहुत हैं

अर्ने घर क करीब से देख त धुि ां हैं दयर से उसकी श न बहुत है

ि र्ग कहतें हैं की सच क क ई मुक बि नहीां झयट क ब िब ि है

मुक्तिि से यह ूँ वमित है सच्च आदमी ययूँ त यह ूँ इांस न बहुत हैं

यह ूँ ि ख ां ि र्ग दुखी और र्ीवड़त हैं क्यांवक उनकी वनयत ख़र ब है

मैं म नत हूँ की हम री ये वजांदर्गी यह ूँ छ टी जरर है

इतनी छ टी भी नहीां र्र हम ि र्ग देरसे शुर करतें हैं

मैं त थक र्गय हूँ अर्ने इस वजांदर्गी के आजम इश ां से

क्यांवक कभी ख़तम नहीां ह ती है उसकी िरम इश ां से

बस इतनी सी र्गुज ररश है कर दे सभी बेचैनी दयर थ ड़

ऐस करदे की हमक यह ूँ वमि ज ए अमन चैन थ ड़

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सर्ने

अर्ने जीिन में हम सर्ने त बहुत सज ते हैं और सज ने भी च वहए। र्र ये सर्ने

तब ही र्यरे ह ते हैं जब हम उसके विए उवचत कमप करते हैं। हम रे कमप ही हम रे

जीिन क श्रेष्ठ बन ते हैं। कहते हैं समय बहुत बिि न ह त है। हम रे वकये कमों

क िि यह देर-सिेर हमें देत ही है। इसविए जैसे हम कमप करते हैं िैस ही

हम र जीिन बन ज त है।

य द रखन य र जैसी करनी ह र्गी तुम्ह री िैस ही िि तुम र् ि र्गे

इस के ब द तुम्ह री क् औक त है प्य रे यह िक़्त ही तुम्हें बत िेर्ग

सब वदन मेहनत से ही चिती है र्ग ड़ी ि कभी न अर्ग डी चि र् िेर्ग

ज न समझे इस ब त क प्य रे न बचे िक़्त की म र से हम बत िेर्ग

ज अर्न सब क म अब आरांभ वकय न तुम ने अांत क ि र्छत िेर्ग

जब तुम क म कर र्गे न क ई और हर ब त ां र्र तुम बह न बन िेर्ग

इस की वकस्मत के ब रे में जब तुमक ज्ञ न ह र्ग त क म बन ज िेर्ग

कुछ भी ह वसि उसक क् ह र्ग ज हर म ड़ र्े स त ही रह ज एर्ग

इस के ब द तुम्ह री क् औक त है प्य रे ये त िक़्त ही तुझे बत एर्ग

यह म नी ब त है की कई र ज बने हैं रांक यह ूँ कई रांक बने हैं र ज

अर्ने िक़्त की सही मवहम क ज न समझ उसक त बजे है ब ज

हौसि बड़ी चीज है ह र्ग हौसि वजसमें िही अर्ने सर्न ां क र् एर्ग

तुम भी रक्ख अर्ने वदि में हौसि तुम्ह र बेड र् र ह त ही ज एर्ग

वकसी क भी भ ग्य से वमिे न ज्य द इसी में सबर और सांघर्षप रखन

इतन जरर करन की खुद से करन ये ि द और वनभ ते भी रहन

हम रे र्ुरि ज्य कहे थे आर्गे िही बढ़ेर्ग विर ज सद ि द वनभ एर्ग

इस के ब द तुम्ह री क् औक त है प्य रे ये त िक़्त ही तुझे बत एर्ग

इस सांस र में तन-मन ज करत है समवर्पत िक्ष्य उसी क वमित है

म न ब त मेरी सबसे आर्गे ि रहत विर उसके र्ीछे जर्ग चित है, कमप य र्गी ही ज इस जीिन में ह र्ग बस िही नय इवतह स रच एर्ग

सब क म करके जीिन में न म कम ओ तुम्ह र भी भि ह ज एर्ग

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क् ख ज रहें हैं

क् ख ज रहें हैं हम इस सांस र में जब सब कुछ हम रे ही अांदर है

क् ां हम दयसर ां में कुछ देखतें हैं जब हम र मन ही हम र दर्पण है

एक ही स्थ न क हम र दौर नहीां की जह ूँ से वमिेर्गी ज भी च हतें हैं

जर रककर अर्ने अांदर ख ज श ांवत वमिेर्गी िही त सब च हतें हैं

अर्ने भविष्ये के र्गहर इय ां क समझन और अच्छ इय ां र्र चिन है

सद सत्ये ब िने की आदत ड ि इस जीिन क खुि कर वबत न है

इतन य द रहे आिस्य हम र दुश्मन है र्ुरुर्ष थप क वमांत्र बन न है

इस जीिन के रहस्य क समझ खुवशय ां से हमें जीिन वबत न है

वजसकी यह ूँ र्े क ई भी र्ग रांटी नहीां उसक ही न म वजांदर्गी है

िेवकन वजसकी इस सांस र में र्ग रांटी है उसक न म मौत है

सांघर्षप के र ह ां र्े ज िीर सद चित है ि अर्ने क बदि िेत है

वजसने यह ूँ अिक र,दुुः ख मुसीबत से जीतत िही चमक करत है

ज ि र्ग अर्ने क़दम ां के क़ बवियत र्े वबस्व स करते हैं सिि िही ह ते हैं

अर्ने सब मांवजि ां क नजर के स मने रखते िही अर्ने मांवजि क र् तें हैं

इस जीिन के रेत र्र अर्न वनश न च ह त अर्ने कदम र्ीछे मत रखन

र्रम त्म र्र वबस्व स है त िह तुम क जीिन भर देर्ग हांसी खुशी से रहन

सांघर्षप करके वहम्मती ि र्ग चिते रहतें हैं स र दुवनय ां भी स थ देत रहत है

वजन र्र इस जर्गत के ि र्ग हूँसे थे िही िीर ां ने त हम र इवतह स रच य हैं

इस विए केिि एक सिि व्यक्ति बनने की क वशश करन छ ड़ द य र ां

बक्ति ऐस कर की अर्ने सही मयल्य ां र्े चिने ि ि व्यक्ति बन मेरे य र ां

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