Kavitanjali by Dr Ram Lakhan Prasad - HTML preview

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फ़ररय द न कर

ज ह र्ग ि ह कर ही रहेर्ग तय कि की सिर में अर्ने आज क बब पद न कर

हांस मरते हुए भी र्ग त है और म र न चते हुए भी र त है ये वजांदर्गी क िांद है

दुख ां ि िी र त नीांद कह ूँ आती है और ख़ुशी ि िी र त क कौन स त है

िब्ज ही एक ऐसी चीज़ है वजस के बजह से इांस न य त वदि में उत्तर ज त है य

वदि से उत्तर ज त है

वजांदर्गी की कश्म कश में िैसे त हम क िी व्यस्त रहते हैं िेवकन िक़्त क

बह न बन कर अर्न ां क भयि ज न हमक नहीां आत है

जह ां य र की य द न आये ि तन् ई वकस क म की वबर्गड़े ररश्े न बने त खुद ई

वकस क म की

हम सब क बेशक अर्ने मांवज़ि तक ज न है र्र जह ूँ से अर्ने द स्त न वदख ई

दे ि ऊांच ई वकस क म की

न श| म हब्बत क ह य शर ब क ह य ि सत क ह ह श त तीन में ख

ज तें हैं िकप वसिप इतन है

शर ब सुि देती है, म हब्बत रुि देती है और ि सत य र ां की य द वदि| देती है

आर म कीवजये

हम र समय भ र्ग रह है त कुछ नय कुछ र्ुर न नजर आत है

सब र्ुर ने र्ीछे छयट ज तें हैं और हम र ख्व वहश नय ह ज त है

बहुत कुछहमक वबन म ांर्गे वमि ज त है कुछ कवठन ह ज त है

क ई हमक छ ड़ के चि ज त त कुछ नय ररश् वमि ज त है

कई ि र्ग हम से खि भी ह ज तें त वकतने ि र्ग खुश ह ज तें हैं

वकतने हमक भयि भी ज तें हैं िेवकन वकतन क हम य द रहतें हैं

इस सांस र में कई ि र्ग र्रेश न हैं वकतन क अर्न ां क इांतज़ र है

वकतने ि र्ग अर्ने िजप से अनज न हैं कुछ सही हैं कुछ र्गित भी हैं

हमसे क ई र्गिती हुयी ह त मुझक म फ़ कीवजये और य द कीवजये

ये नए जीिन र्र ध्य न दीवजये र्ुर ने क भयि कर अब आर म कीवजये

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उम्मीद की ट करी

म ऊसी में दुखड़े तब म ियम ह तें हैं जब हम रे आांसय र्गिे से ररसकर वदि क छयटें

हैं

हम रे आि ज़ ब वझि ह ज तें हैं ब िय के तरह उांर्गविय ां से सब कुछ विसि ज तें

हैं

तब हम अर्ने उम्मीद की ट करी क िे कर देखतें हैं की उसमें क् क वमि िस्तु

है

कभी कभी त र त ां के करिटें और टयटे हुए खुशनुम सर्न क हम देखतें ही

रहतें हैं

विर एक म वचस की कड़ी क ढयांढते हैं वजस से अर्ने उम्मीद के वकरण ां क

जि ते हैं

जब हम रे आांसय ह र कर आांख ां से टर्क कर र्ग ि ां तक आतें हैं ि हम रे वफ़क्र

ह तें हैं

र् स की चिती हि सयख देर्गी उन आांसुओां क इस जीिन में अब बस ऐसे ही

ह तें हैं

इन सब से हमक वफ़क्र त ह र्गी र्र मैं िैसे ही मुस्कुर त रहूँर्ग की सब िजह

िीकी हैं

इस वजांदर्गी के बहुत ही हौसि ां क देख विए त चविए अब कुछ र ज और जी

िेते हैं

खयब स य भी ज र्ग भी र्र नीड र्ीछे वदन ां की ब की है ख्व ब अर्गिे वदन की

देखतें हैं

हर र ज आजकि हम भी एक सुनहरे चमक ि िे क विि क वझिवमि ते

देखतें हैं

यही त ि उम्मीद की ट करी िे के दौड़े ज रहें हैं हम बस उनक देखते ही रहतें

हैं

आजकि न ज ने घयर् इतनी कर हती क् ां है अब छ ह ां की वनश न नहीां देख

सकतें हैं

अब त टुकटुकी ब ूँध िी है हम री आूँखें भी त अब हम भी र स्ते ि र्सी के

देखतें हैं

अब र् वनय ां से हम री ये उम्मीद की प्य स बुझती नहीां चि क ई अच्छी शर ब

र्ीतें हैं

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मेरे जीिन की अनम ि ज्ञ न

मेरे सुनने और देखने में यह हमेश आय है की ज व्यक्ति खुद अर्नी च ि

चिन और आच र विच र क सुध र नहीां कर सकत है त ि विर वकसी भी

ह ि त य क ई भी ि र्ग ां क वशक यत करने क क ई भी अवधक र नहीां रखत

िेवकन अहम् ब त त यह है की जब क ई व्यक्ति अर्न सही तरह से सुध र कर

सकत है और सही र्ुरुर्ष थप क र स्त अर्न कर अर्ने जीिन में आर्गे चित है

त उसक वकसी ह ि त य वकसी र्गैर के मदद के विए समय सद रहेर्ग और

उस के र् स न ही क ई बुर इर द ह र्ग । मैंने अर्ने जीिन में यह सीख है की

सत्य एक विश ि बृक्ष के तरह है तथ उसकी जैसे जैसे और ज्य ां ज्य ां सेि वकय

ज य त िैसे िैसे और त्य ां त्य ां उसमें अनेक स्व वदष्ट् िि ,सुन्दर ियि और हरेभरे

र्त्ते नज़र आते रहतें हैं और इन सब क अांत ही नहीां ह सकत है। इसी तरह

हम रे सभी ररश्े एक दयसरे क भिी भ ांवत ख़य ि रखने के विए और उवचत

र्रिररश के विए ह तें हैं न वक एक दयसरे क क ई अनुवचत इस्तेम ि करने के

विए बन ये ज तें हैं। मैंने अर्ने स रे जीिन में कभी भी आश क नहीां छ ड़ है

और भर स से अर्न मुख कभी नदी म ड़ है क्यांवक मैं कभी यह नहीां ज न

सक थ की हम र आने ि ि कि मेरे विए क् ि ने ि ि है। मेरे बुजुर्गों ने

मुझे यह ब त बड़े अच्छे से वसख य थ की मीठी जुब न, अच्छी आदत, अच्छ

व्यिह र और हम र श्रेष्ट् विच र सभी सिन ां और अच्छे ि र्ग ां क ेेस बहुमयल्य

र्गहन है वजस से हम र उवचत सम्म न और आदर सत्क र हम रे सम ज में सद

ह त रहेर्ग ।

वजनक बृत ि सुन कर, वजनक देख कर और वजनक सुमरन य य द कर के

हमक सुख चैन और आनांद प्र प्त ह त है उन प्र वणय ां क अर्न भक्तिम न

वमांत्र बन ने में हमक क ई सांक च नहीां करनी च वहए क्यांवक ऐस करने से हम

क जह ूँ सुकयन वमित है िही ऐस करने से हमक श भ देत है। जीिन में

अच्छ और नेक क म करते रहन जरुरी है च हे क ई आर्क सम्म न करत है

य नहीां। इतन सद य द रखने ि िी ब त है की वकसी के विए क ई भी अप्सब्

इस्तेम ि करन एक वचांर्ग री है ज हम रे क न ही में नहीां बक्ति हम रे तन, मन

और आत्म में ज कर र्गांभीर िर्गत है।

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मेरी मांवजि

इस जीिन में मुक्तििें बहुत थी जरर मर्गर मैं हि करने से ठहर नही ां

अर्ने सभी मांवज़ि ां से कहत रह ब र ब र की अभी मैं ह र म न नही ां

अर्ने मुक्तिि ां की हि र् ने के विए कई वदम र्गी र्ेंच िर्गत रह मैं

बैठे बैठे हम री मांवज़िें कभी नही ां वमिती इस ब त क म नत रह में

अर्गर र्गम में डयबी ह वजांदर्गी और मांवज़ि ां क र्त भी नही ां वमिती ह

च हे क ूँट ां भरी र हें ह विर भी मांवजिें वमि ही ज एूँर्गी र्गर वहम्मत ह

र्गुमर ह ि ह ते हैं जीिन में ज ह र म न के अर्ने घर से वनकिते नही ां

वहम्मत से क म िेने ि िे आर्गे बढ़ते ही रहते हैं कभी भी भटकते नही ां

मांवजि उन क वमिती है वजनके सर्न ां में ज न श न और म न ह ती है, चुर् म र के बैठने से कुछ नही ां ह त , हौसि ां से हम री उड़ न ह ती हैं

सिर ऐस कर की तुम्ह री सभी मांवज़िे वमि ज एूँ इर द रख ऐस

जब प्रभु क आशीि पद है और सभी हुनर तेरे स थ है विर डर कैस .

वजन क न मांवजि, न मकसद, न र स्ते क र्त है ि बेक र ह ते हैं

हमेश वदि में ठ स विच र िे कर ज चिे उनकी हमेश जीत ह ते है

वकसी अर्न ां य विद्व न ां की सि ह से सही र स्ते जरर वमि ज तें है, र्र अर्ने मांवजि र्े र्हुांचन ह त ि खुद की मेहनत से ही वमिते हैं

र स्त ये है मांवजि ां क र् ने क सीख ि हुनर ह ूँ में ह ूँ न वमि ने क

िही कर ज मन कहे. कर ज तन सहे, ब त है ह ूँथ र् िां वहि|ने क

हम रे सब मांवजि वमिे य न वमिे यह त हम रे मुकद्दर की ब त है

हम क वशश भी न करे चुर् च र् बैठे रहे यह त बहुत र्गित ब त हैं

इस प्रवतिध प की दुवनय में क ई भी वकसी से र्ीछे नही ां ह न च हत है

इसी च ह में अर्ने सुख-चैन क हम र सम ज बहुत कुछ ख त ज त है.

वनर श और दुुः ख की र्गहर इय ां में यह सांस र ज र ां से डयबत ज रह हैं.

अर्ने मांवजि तक न र्हुूँच र् ने के क रण ि उद स य वनर श ह रह है

कभी उनक वमिती नही ां क ई मांवजि,बदिते है ज हर कदम र्र इर दें.

अर्गर वनह र्गें ह मांवजि र्र और कदम ह र ह ां र्र, र्ुरे ह ांर्गे सभी इर दे

ऐसी क ई र ह नही ां ज मांवजि तक न ज ती ह र्गर मन में ठ स िर्गन ह

ऐसी क ई म वनि नही ां वजसक हम र् न सके अर्गर खुद र्र विश्व स ह

म न की क वशश के ब िजयद ह ज ती है कभी ह र वनर श मत ह य र, बढ़ते रहन आर्गे ही जैसे भी मौसम ह िर्गन िर्ग ने से जीत ह र्गी य र

स मने ह मांवजि र स्ते न म ड़न ,मन में ह ि सर्न उसे मत त ड़न , कदम कदम र्र वमिेर्गी मुक्तिि आर्क आर्गे चिने क नही ां छ ड़न

र स्ते कह ूँ खत्म ह ते है वजन्दर्गी के इस सफ़र में बस ख्व वहश रखन

चिते आये ह त चिते रह हौशि रख कर बस ऐसे चिते ही रहन

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हम री नजररय

हम री यह छ टी सी वजांदर्गी ने हमक कई रांर्ग वबरांर्गे ढांर्ग वदख ती चिी र्गई

हम देखते रहे हम री यह वजांदर्गी हमक क् क् नज़ रे वदख ती चिी र्गई

वजांदर्गी के एक एक र्ि आवहस्ते आवहस्ते कई खयबसयरत र्ि बनते चिे र्गए

ऐस ही ह त रह हर एक र्ि हम रे जीिन के सुनहरे वकस्से बनते चिे र्गए

हम देखते रहेऔर न ज ने कौन कौन इस वजांदर्गी क वकस्स बनते चिे र्गए

कई ि र्ग हम से ऐसे वमिे की वजनसे कभी न टयटने ि िे ररश्े बनते चिे र्गए

अब जब यह उमर ढिने िर्गी है त कुछ अर्ने भी हम से मुूँह म ड़ते चिे र्गए

मीठ रह ह य खट्ट रह ह हम त बस इस जीिन क सिि बन ते चिे र्गए

कई ि र्ग ां क हम न समझ सके त वकतन क समझ भी न सके र्र चिते रहे

अब र्छत ए से क् ह र्ग क्यांवक इस सांस र में सब चिते हैं त हमभी चिते रहे

अब जब सुबह आूँख खुिती है त प्रभु क न म िेकर इस जीिन क चि ते है

वदन ख़तम ह ने के ब द ख र्ी कर कुछ मस्ती िक्तस्त करके ये वदि बहि ते हैं

नीांद आते ही सुनहरे य द ां की ब र त सर्ने बन कर इन ख्य ि ां में आ ज तें है

ज अर्ने नजररये से देखत हूँ त सभी ि र्ग ां की ब तें मेरे समझ में आ ज तें है

हुि कुछ नही ां

इश्क़ क ददे शि कहने ि ि सुन , कुछ भी ह हमने ददप ऐ सर िे

विय है

अब मेरे वनर्ग ह ां से बच के कह ूँ ज येंर्गे हमने उनके म हल्ले में घर िे

विय है

ि र्ग कहतें हैं शर ब बक्श देती है सुकयन मैं कहत हूँ शर ब ने वकय

कुछ नहीां

एक तौब श क चेहर उदर में रह ख िी ब ति र्ी र्गय िेवकन हुि

कुछ नहीां |

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वनज की भ िन

वनज की भ िन ऐसी रहे की ख़ुशी रहे स र सांस र हमने ये सर्थ विय है

जब से हमने र र्ग द्वेर्ष क म वदक जीते तब से इस जर्ग क र्हच न विय है

विर सब जीि ां क म क्ष म र्गप क चेतन ि कर सभी क उर्देश वदय है

बुद्ध िीर वजन हरी हर ब्रह्म इन सब क आर धन करके स्व धीन वकय है

भक्ति भ ि से प्रेररत ह कर अर्न भी शुभ वचांतन क उनमे िीन वकय है

हमक विर्षय ां की अब क ई आश नहीां है हम त स भ्य भ ि धन रखते हैं

वनज र्र के वहत स धन में हम भी अब वनश वदिस तत्पर ह कर चिते हैं

सब स्व थप त्य र्ग कर अब कवठन तर्स्य वबन क ई खेद अब हम करतें हैं

ऐसे ज भी म नि हैं इस जर्ग में िे सब के दुुः ख समयह क भी हर करतें हैं

मैं अब सत्सांर्ग भी उनसे ही करूँर्ग ज ध्य न सम ज क सद से रखतें हैं

िैसे ही सिन ां के चच प कर के मेर वचत भी सद िही अनुकरण करतें हैं

नहीां सत ऊांर्ग वकसी जीि क यह ूँ ऐसी ही वसद्ध ांत ां र्र चिते ही रहतें हैं

धमपवनष्ट् और सम ज क सेिक बनके हम सद न्य य सब क वकय करें

र र्ग मरी दुवभपक्ष कही न िैिे सब जनत क श ांवतर्यिपक भि वकय करे

र्रम सुखां सत्य अवहांस देश में िैिे सभी के वहतमे ही करम वकय करे

प्रेम भ ि र्रिर ह सद और भक्ति भ ि से सब म य म ह दयर रह करे

क ई भी अवप्रय कटुक िचन अर्ने मुख रवबांद से कभी भी न वनक ि करे

बन ज एूँ हम सब देश भि और हम रे तन मन में उन्नवत क रट िर्ग रहे

खुशी सुखी से सबकी सांकट सुिझे सत्यम वशिम् सुांदरम क न र िर्ग रहे

सभी र र्ग द्वेर्ष और क म वदक अिर्गुण ां क छ ड़ अर्ने क ज न ज ये हम

स रे देश और प्रज की मुक्ति ह सब के रहन सहन क सरि बन दें हम

धनी ह र्गरीब ह विद्व न ह य अनर्ढ़ र ज य प्रज सब बर बर म ने हम

प्रेम भ ि से जीन सीखें आर्सी भेदभ ि वमट के देशभि बन के रहे हम

र म र्गरीब अब र म धनी हुि वबर्गड़ी ब त बन र्गई अब सांत र्ष र्रम धमप है

बनी बनी त र म धनी वबर्गड़ी त सब र्गड़बड़ हुई समझ ये हम र कमप है

र्र धन र्र कभी न िुभ ि सांत र्ष मृत वर्य कर तुम्ह र कल्य ण ह र्ग

जब ऐसी भ िन मन-मांवदर में ह र्गी सद ही सरि हम र व्य ह र ह र्ग

कभी अहांक र क भ ि न रखन और न ही कभी वकसी र्र क्र ध करन

देख कर वकसी की बढ़िी सिित कभी भी अर्ने वदि में इर्ष प करन

बने जह ूँ तक इस जीिन में अर्ने ि र्ग ां क सही उर्क र करते ही रहन

उवचत मैत्री भ ि इस सांस र में जर कवठन िर्गत है त ह वशय र ही रहन

क ई भी दुजपन कुरुर कुम र्गप म नि से ररश् मत ज ड़न सतकप ही रहन

अर्ने सभ्यत के अनुस र िही करन ज तुमक श भ दे बस मर्गन रहन

सभी र्गुनी इांस न से उर्युि ज्ञ न िेते रहन ये जीिन सिि सुधर ज एर्ग

ह सके जह ूँ तक उन की सेि सत्क र करते रह तुम्ह र भी भि ह येर्ग

ज भी म नि ह त नहीां कृतज कभी िैसे ि र्ग इस जीिन में दुखी रहते हैं

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वजन के र् स र्गुण ग्रहण के भ ि न रहते िे वनत्य र्श्च त र् के िि ख ते है

हम क क ई बुर कहे य भि समझे य विर धन दौित घर आये य ज ए

हम त जीने क ि िच रखते हैं च हे हम री अांत आज ही क् ां नहीां ह ज ए

हम त नहीां सुनेंर्गे उनकी ब तें च हे कैस भी अरम न क बक्स ि िे आये

कभी भी हम र र्थ हम रे िसयि ां से नीचे नहीां वर्गरेर्ग च हे कुछ भी ह ज ए

ह कर मर्गन अर्ने सुख में मैं ियित नहीां दुुः ख में कभी भी नहीां घबर त हूँ

एक वकस न क सुर्ुत्र हूँ भय नक तयफ़ न और आर्ग से भी भय नहीां ख त हूँ

जीिन में हम ने मौज वकय अड ि वनरांतर म नि स मन क दृढ बन य है

अर्ने बुजुर्गो और र्गुरुजब से अवत सुन्दर ज्ञ न ध्य न से ये जीिन बन य है

सुखी रहे सब ि र्ग इस जर्गत के क ई कभी नहीां घबर ए यही दुि करतें है

सब ि र्ग बैर भ ि र् र् अवभम न छ ड़ के मांर्गि र्ग यें ये हम आश करतें हैं

इस सांस र में घर घर चच प ह ये धमप की कुकमप वकसी क कभी नहीां चिे

वनज ज्ञ न चररत की उन्नवत कर के सब म नि की जीिन सिि ह के चिे

कभीभी र ज प्रज और देश ां में बैर न ह सब क ई बृवष्ट् समय र्े वकय करे

इस सांस र में सतयुर्ग क आर्गमन ह भर्गि न् सभी क कल्य ण वकय करे

जनम वसद्ध अवधक र यही है खुद क ख़ुशी रक्ख और ां क खुश करते रहन

वनज भ िन यही है सब ि र्ग उन्नवत करें सब क च वहए खयब क वशश करन

दुुः ख वबम री के चर्ेट में दुवनय ां के ि र्ग हैर न ह तें हैं ईश्वर हम र्े दय करते हैं

दुुः ख के ब द सुख आत है अक्सर हम भी त अर्नी वहि जत वकय करते हैं

सांस र में कई ि र्ग तरस रहें हैं प्य र से जीिन वबत ने के विए र्र यह ह त नहीां है

जब उम्र ढि ज ए आूँख ां की चमक धयवमि ह ज ए तब यह आस न ह त नहीां है

बन ठनके हमक भी वनकिन थ र्र कर्डे सब र्ुर ने ह र्गए र्हनेंर्गे उनक कैसे

अर्न ां से वमिने की तरस िर्गी है र्र सि री ही नहीां रही त उनके र् स ज एांर्गे कैसे

मेर यह वनतठुर मन स च रह है घर र्र बैठे बैठे ये समय वनकि ज एर्ग सबयरी करते

अर्ने सभी त्य ह र ां क मन ने क वदि है मौक भी है िेवकन अब ि िुत्फ़ ही कह ूँ है

हम ह िी खेि के ह िी स ह िी करते वदि िी में वदिि ि ां से अब वमिते कह ूँ है

चि हम र वनजी भ िन त भिस र्गर के र् र ह ही र्गय अब जशन मन तें है

कभी समय विर आएर्ग त अर्न ां क य द करेंर्गे और अर्ने मन क मन ते हैं

उम्मीद ां र्र वजन्द हैं

यह ूँ कहीां भी नहीां वबकती है ख़ुशी और न कहीां र्गम भी वबकत है

हम सब एक ग़ितफ़हमी में हैं की कहीां इनकी मरहम वबकत है

हम सब ि र्ग यह ूँ ऐसे ख्व वहश ां में बांधे हुए एक उड़ते र्ररन्दें हैं

ज अर्ने ही उम्मीद ां से घ यि और अर्ने उम्मीद ां र्े ही वजन्द हैं

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मैं एक वनर ि र्ांछी हूँ

मैं एक वनर ि र्ांछी हूँ और आज कुछ कहन च हत हूँ

सुनने ि ि क न ख ि कर सुनि जर मैं ज कहत हूँ

मांद-मांद बहत र्िन हूँ, मांद-मांद सुर्गक्तित उर्िन हूँ

मैं म टी की सौांधी खुश्बय हूँ, इस ब्रह्म ण्ड क अिौवकक ज दय हूँ

अांज न स एक िशप हूँ मैं, हृदय ांतर क अद्भुत हर्र्ष हूँ

अदृश्य मयक श्र त हूँ मैं, अनकहे शब् ां क िि हूँ

ब ररश में वछर्ी अश्रुध र हूँ, मैं अधयर अव्यि प्य र हूँ

सयखे ियि ां की महक हूँ मैं, कैदी र्क्षी की चहक हूँ

नन्े वशशु की मुस्क न हूँ मैं, स्वच्छांद र्क्षी की उड़ न हूँ

एक अथक-वनरांतर प्रय स हूँ मैं, ध िक की अांवतम श्व स हूँ

असीम अर्ररवमत अशेर्ष उल्ल स, मैं अनांत अचि सन तन आस हूँ

मदमस्त ह कर न चने ि ि वनवश्चि वनविपघ्न वनविपक र र् र्गि हूँ मैं

मैं कभी िघु त कभी विर ट, मैं कभी वभक्षुक त कभी सम्र ट

मैं हूँ कठ र, मैं हूँ क मि मैं ही श्वेत, मैं ही श्य मि हूँ

मैं िीर ां की ख्य वत हूँ, मैं अवि हूँ, मैं ज्व ि हूँ

मैं म त की ममत हूँ, मैं प्रेम प्रसांर्ग वनर ि हूँ

मैं िह िि ट हूँ वजसर्र सयरज ने स्वयां वतिक वकय है

मैं िह कांठ हूँ वजसने स्वयां अमृत-सुध वर्य है

श्र िण की र् िन िृवष्ट् क मैं एक जि-वबांदु हूँ

र्र अितररत ह धरती र्र, मैं असीम एक वसांधु हूँ

मैं ही श्रुवत, मैं ही स्मृवत, मैं ही रचन , मैं ही कृवत हूँ

मैं समवष्ट्य ां क िृहत सम ह र, मैं ही श्रृवष्ट्, क्तस्थवत और सांह र हूँ

मैं उस वनर क र क स्वरुर् अर् र, मैं नर से न र यण क स क्ष त्क र हूँ

मेर वर्ांड ब्रम्ह ांड क दर्पण है, मेर सिपस्व प्रभु तुझक अर्पण है

यह धरती ही मेरी जननी है, इसक सेि मेर र्रम ध्येय है

जि से थि के इस र्थ क मैं र्वथक, मैं अज्ञेय हूँ

मैं अर्ने धमप से सन तन हूँ क्यांवक वहन्दय क ई धमप नहीां है

मैं सभी र् खण्ड ां से र्रे हूँ और सभी अिविश्व स से अवत दयर हूँ

इस सांस र क एक वनर ि र्ांछी हूँ मैं आज कह वदय ज च हत हूँ

सुनने ि ि र्गर क न ख ि कर सुनिें त हम र कल्य ण जररी है |

यही हम र र्हच न है और यही हम र ध्य न है विखने क कुछ विख देत हूँ र्ढ़ने ि िे

तम म हैं

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जैसी करनी िैसी भरनी

जैसी ही हम री करनी ह र्गी इस जीिन में िैसी ही िि हम र् एांर्गे

हम री क् औक त है इस जीिन में हम रे िक़्त हम क बत एूँर्गे

ये सत्य है की मेहनत से चिती है र्ग ड़ी चिे न कभी आिस्य से

ज न समझे ब त ये जीिन में ि बचत नहीां है िक़्त की म र से

ज आज और अब आरांभ वकय न ि म नि अांत क ि र्छत येर्ग

हम री क् औक त है इस जीिन में हम र िक़्त ही हमें बत एर्ग

ज म नि क म करे न क ई भी और हर ह ि त ां र्र बन ते हैं बह ने

िैसे दुजपन की असिी वकस्मत के ब रे में हम य क ई भी कैसे ज ने

इस जीिन में ह वसि उसक क् ह र्ग ज हर म ड़ र्े स त रहेर्ग

उसकी क् औक त है इस जीिन में उसक िक़्त उसक बत एर्ग

यह भी हमने देख कई र ज बने हैं रांक यह ूँ कई रांक बने हैं र ज

इस जीिन में िक़्त की मवहम ज न समझ उसक बज र्गय ब ज

बुजुर्गो क कथन है की ह र्ग हौसि वजसमें िही सर्न ां क र् एर्ग

अर्ने सर्न क स क र करे ज िही इस जीिन में सिित र् एर्ग

यह सत्य िचन है िक़्त से र्हिे कुछ न वमिे भ ग्य से वमिे न ज्य द

इस विए अर्न सबर सद सांघर्षप में रखन खुद से कर ि यह ि द

'िखन' कथन है आर्गे िही बढ़ेर्ग विर ज सद ि द यही वनभ एर्ग

समय बड़ बिि न है जर्ग में इस क महति िक़्त ही हमें बत एर्ग

जीिन में तन-मन क ज करत है समवर्पत िक्ष्य उसी क वमित है

अर्ने सिर में सब से आर्गे ि रहत विर उसके र्ीछे जर्ग चित है

ज न यक कमपय र्गी ह र्ग जीिन में िही नये इवतह स क रच एर्ग

सबकी क् औक त है बांधय यह त हम र िक़्त ही हमक बत एर्ग

जैसी करनी िैसी भरनी यही इस जीिन क दस्तयर हैं ऐस ही ह त है

धरम करम जब सब श्रेस्ट् ह ां त म नि जीिन सिि-कुशि ह त है

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यह वजांदर्गी क् है?

बस एक वकत ब है ये वज़न्दर्गी, बनते वबर्गड़ते ह ि त ां क वहस ब है वजांदर्गी

यह ूँ हर र ज एक नय र्न्न जुड़त है ठीक िैसी ही एक वकत ब है वजांदर्गी

हर र्ि, हर क्षीण एक नय वकस्स तैय र ह त रहत है अर्न अांत र् ने क

ग़म ां के दौर में खुवशय ां की र ह तकते हैं कई ि र्ग, तड़र्ते हैं बसांत र् ने क

कभी कड़ी धयर् सी र्रेश वनय ूँ जि ती रहती हैं दुुः ख ददप की आर्ग सीने में

जब कभी खुवशय ां में आनांद वमित है त खुशबय आती है मेहनती र्सीने में

इस वजांदर्गी में मजबयररय ां क वसिवसि चित रहत है हम सब की र ह ां में

बदि देते हैं ि शख्स क यन त अर्नी ह ती है ज न हौसि ां की वजन ब ह ां में

वछर् कर रखती है कई र ज अनज ने से कहने क िैसी ही वहज ब है वजांदर्गी

हर र ज एक नय नज र वदखती है ठीक िैसी ही एक भरी वकत ब है वजांदर्गी

इस छ टी सी वज़न्दर्गी क र ज वकसने न र् य है ऐसे से चित चि आय है

इस वजांदर्गी में कभी धयर् त कभी छ य है र्रख त कभी सत्य कभी म य है

वबद्व न क कथन है की बीत रही इस वजांदर्गी क र ज़ वकसी ने भी न र् य है

सच त ये है की जब कभी हमें हांस य है इसने त कभी जी भर के रुि य है

हम री ये वजांदर्गी कभी आस कभी वबश्व स है त कभी ख़ुशी त कभी उद स है

इस जीिन के सिर में जब नजर नहीां आती त तन् ई में दुश्मन जैसे र् स है

वकसी के विए सरत ज है ये वजांदर्गी त कभी द िक़्त की र टी की म हत ज है

वकतने र -र के वनक ि रहैं है वजांदर्गी वकसी के विए ये एक अनह नी अांद ज है

वकतने त ठ कर ां से टयट र्गएूँ हैं र्र वकतन ने दयसर ां की वजांदर्गी क सज य है

इस विए आज तक इस बीत रही वजांदर्गी क सही र ज वकसी ने भी न र् य है

सच यह भी है की निरत की आर्ग विए वदि में जिते रहते हैं कई ि र्ग यह ूँ

िेवकन कुछ खुवशय ां की नुकशे ब ूँट रहे हैं वमट ने क ग़म ां के सभी र र्ग यह ूँ

हम री वजांदर्गी ने भी हमें अर्ने िि द र रर् से इस तरह से वनभ ती आयी है

की मैं भी अर्ने इस बीत रही वजांदर्गी क र ज आज तक ज न ही नहीां र् यी है

यह ूँ ज भी वजांदर्गी हमने र्गुज री है िह जीिन सुख चैन की थी

दुवनय ां क ये क् खबर की मेरी ये वजांदर्गी क् कम ि की थी

प्रेम म हब्बत सबसे रक्तखये विर देक्तखये ये वजांदर्गी क् चीज है

वज़ांदर्गी वज़ांद -वदिी क है न म मुद प-वदि ख़ क वजय करते हैं

वज़ांदर्गी ने मुझे ज़मीां न दी र् ूँि िैि ऊूँ त िर्गती है वदि र में

वज़ांदर्गी अब कैसे बसर ह र्गी वदि नहीां िर्ग रह इस दुवनय ां में

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समीक्ष और प्रस्त िन

इस जीिन के वर्छिे सत्तर िर्षों में हम ने सत्तर से ऊर्र प्रक शन अर्ने कह वनय ां, वनबांध ां, कवित ओां और अन्य िेख ां के रर् में कर चुकें हैं तथ इस कवित ांजवि के

समीक्ष के तौर र्र मैं इन में से ख स विर्षय ां क वनच ड़ और चुन कर इस प्रस्त िन में

प्रस्तुत करने की प्रयत्न कर रह हूँ। आश है की र् ठक हम रे समीक्ष क र्ढ़ेंर्गे और

आनांद उठ एांर्गे।

हम रे विच र से इांस न तब सिि ह त है जब िह दुवनय ां क नहीां बक्ति िह खुद क

बदिन शुर कर देत है। मैं भी अर्ने र्ुरि ि ां और र्गुरुजन के र्रिररश और ज्ञ न से

ही अर्ने आर् में कई मुन वसब और ि भद यक बदि ि ां क श वमि कर सकें हैं।

इसविए ज भी ि र्ग हम रे शब् ां क सही मुल्ये नहीां समझ सकतें हैं उनके समक्ष मई

सद अर्न मौन ध रण कर िेत हूँ। ह ूँ इतन जरर है की खुद की ति श में मैं कुछ ययूँ

सिर वकये ज रहें हैं की भिे हमक हम रे अांवतम मांवजि क र्त नहीां विर भी मैं अर्ने

जीिन के सिर में चिते ज रहें है बस चिते ही रहेंर्गे। मैं अर्ने जि नी में ही यह ज न

र्गय थ की हर म नि क हमेश सभी मौके से ि भ उठ न च वहए और इस के विए

सिपद नए नए मौक ां क ढयांढते रहन जरुरी है क्यांवक ज आज है िही सब से अच्छ और

उर्युि मौक ह त है हम रे विए। आक्तखर इस धरती र्र हम री एक ही त वजांदर्गी है

इसविए यह ूँ हम िफ़ एां वकस वकस से करें, अर्ने आर्से, अर्ने सर्न से, अर्नी

क़ बवियत से, अर्ने सच्च ईय ां से य विर दयसर ां के स च विच र से य त विर अर्ने

र ह ां के आने ि िी रुक िट ां से। चि धीरे धीरे इस सब उिझन ां क भी सम ध न हम

ख जतें हैं।

िैसे त हम ने भी इस छ टी सी वजांदर्गी में ऐस र् य है की कुछ भी हम रे सर्न से बड़

नहीां है क ई भी ख़ुशी, र्रेश नी य दुुः ख तकिीि हम रे सर्न से बड़ी नहीां है इस विए

मैं अर्ने जीिन भर कमर कस के आर्गे ही चित रह और बढ़त रह अर्ने सर्न क

स क र करने के विए। ह ूँ कभी झुकत थ , कभी रुकत थ , कभी वर्गरत थ र्र

अक्सर सांभि कर वनरांतर आर्गे बढ़त ही रह ।

मुझे बचर्न से ही हम रे बुजुर्गों और र्गुरुजन ने समझ य थ की भिे ही हम री यह

वजांदर्गी छ टी है र्र हमक हर ब त से खुश रहन जरुरी और बेहतर है। इस जीिन में

ज भी चहरे हम रे र् स न ह ां उनके आि ज से खुश रहन सीख , ज भी रठ ह

तुमसे उनके अांद ज से खुश रहने की क वशश कर ज चि र्गय और कभी िौट के नहीां

आने ि ि है उन सभी िम्ह ां के य द ां से खुश रह । कि वकस ने यह ूँ देख है इसविए

आज अर्ने आर्से भी खुश रह र्र अर्ने खुवशय ां क आने क इांतज़ र क् ां करते ह

द स्त ां बस अर्ने ि र्ग ां से मुि न से खुश रह । क् ां हम तड़र्ें हर र्ि अर्ने इस जीिन

में वकसी के स थ रहने क इसीविए खुद अर्ने आर् से खुश रहने की क वशश करते

रह र्र इतन म नि की यह सब उतन सरि नहीां वजतन हम कहतें है। जर स च

समझ कर इस जीिन के र ह ां में चविए य र ां।

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ह ूँ इतन जरर य द रखन की इस सांस र में मजबयत ह ने में तब मज आत है जब स री

दुवनय ां हमक कमज र कर देने र्र तुिी ह इसविए वहम्मत और धैर के भ िन ओां से

क म िेन बुक्तद्धम नी ह र्गी।

हम रे विच र से कुदरत की एक यह भी िसयि है की ज भी तुम ब ांट र्गे िही तुम्ह रे र् स

िौट के आएर्ग बेवहस ब तौर र्र विर च हे ि दौित ह , इित ह , निरत ह य विर

म हब्बत ह । यह भी बड़े मजे की ब त है की जब हम छ टे थे त हम वकतने ब त ां क

भयि ज य करते थे और हम रे बुजुर्गप कह करते थे की इन सब ब त ां क य द रख

िेवकन जब हम बड़े हुए त हर ब त त य द ही रहती थी िेवकन तब दुवनय ां कहती थी

की अर्ने ख़ुशी के विए कुछ ब त ां क इस जीिन में भयि ज न ही ठीक ह त है। बस

इसी असमांजस क विए हम यह वजांदर्गी से िड़ते वभड़ते चिे आरहें है। कभी जीत ज तें

हैं त कभी हम री ह र ह ज ती है। अब देक्तखये वकसी विद्व न ने हमक बत य है की हर

म नि के विए उनके जीिन में कवठन इय ां क ह न बहुत जरुरी है क्यांवक हम रे

कवठन इय ां के वबन हमक हम रे सिित क सही आनांद नहीां वमि सकत है।

सच ई और अच्छ ई की ति श हमने अर्नी स री वजांदर्गी वबत ई है िेवकन हमने ऐस

र् य की अर्गर िह हम रे अांदर नहीां है त िह हमक कहीां नहीां वमिेर्ग । हमने यह भी

देख है की इस ज़म ने में सच ब िने की आदत क रखन त कई ि ांर्ग से दयर रहत है

और यह भी सच ब त है की आजकि वकतने ि र्ग सच सुनन भी नहीां र्सांद करतें हैं।

हमत सद से अर्ने इर द ां र्र यकीन रखते रहें हैं इसीविए हम रे सभी ह र हम रे

हौसिे से कभी बड़ी नहीां हुयी थी और मैं अर्ने जीिन के सभी सांघर्षों से सद जीतत ही

रह |यवह हसरत अर्ने मन में रखत थ की सभी से सच्च प्य र क ररश् रक्खयूँ र्र

जब चिने िर्गी थी ज़म ने की मतिबी य र न तब मेर प्य र मेरे अर्ने भी नहीां समझ

सके थे। मैंने अर्ने सीने में क ई र्गम रख कर सम ज की सेि नहीां करत रह बक्ति

वनस्व थप भ ि से मुिुर ते हुए अर्न जीिन बीतत रह | यही सब हम रे वजांदर्गी के

ख़ुशी क क रन थ । स री दुवनय जब मुझसे कहती थी की द स्त अब त अर्नी ह र

म न िे िेवकन हम र वदि हरिि धीरे से कहत रह बबुआ बस एक ब र और विर से

क वशश कर के त देख तय जरर जीतेर्ग । बस यही िर्गन हमक हम रे सिित ओां के

करीब ि ती रही।

क ई भी िेखक, किी य कि क र क ह्रदय चुर् नहीां बैठ सकत है इसविए जैसे धरती

के नीचे क जीिद र र् नी र्त्थर त ड़ कर बह र वनकि आत है ठीक उसी तरह एक

िेखक य किी के अांदर की भ िन एां हैं िे समय देख कर उभर ही ज य करती हैं।

जैसे एक प्रेमी अर्ने प्रेम की व्यथ और सांय र्ग की सुध द न ां क दयसर ां के स मने रख

कर खुश ह त है ठीक उसी तरह एक िेखक भी अर्ने विच र ां क प्रकट कर के एक

सांत र्ष क स ांस िेत है। मैं इस रचन के जररये बस यही कर रह हूँ। मैं अर्ने इस

कवित ांजवि की सम क्तप्त सुप्रवसद्ध सांर्गीतक र वकश र कुम र के उर्युि र्गीत के मधुर

शब् ां से कर रह हूँ |

वज़न्दर्गी के सफ़र में र्गुज़र ज ते हैं ज मक म ि विर नही ां आते ि विर नही ां आते

ियि क्तखिते हैं ि र्ग वमिते हैं ियि क्तखिते हैं ि र्ग वमिते हैं

मर्गर र्तझड़ में ज ियि मुरझ ज ते हैं ि बह र ां के आने से क्तखिते नहीां

कुछ ि र्ग एक र ज़ ज वबछड़ ज ते हैं ि हज र ां के आने से वमिते नहीां

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उम्र भर च हे क ई र्ुक र करे उनक न म ि विर नहीां आते

आूँख ध ख है, क् भर स है आूँख ध ख है, क् भर स है

सुन द स्त ां शक द स्ती क दुश्मन है अर्ने वदि में इसे घर बन ने न द

कि तड़र्न र्ड़े य द में वजनकी र क ि रठ कर उनक ज ने न द

ब द में प्य र के च हे भेज हज र ां सि म ि विर नहीां आते

सुबह आती है, र त ज ती है सुबह आती है, र त ज ती है

ययूँ ही िक़्त चित ही रहत है रुकत नहीां एक र्ि में ये आर्गे वनकि ज त है

आदमी ठीक से देख र् त नहीां और र्रदे र्े मांज़र बदि ज त है

एक ब र चिे ज ते हैं ज वदन-र त, सुबह -श म ि विर नहीां आते

वज़न्दर्गी के सफ़र में र्गुज़र ज ते हैं ज मक म ि विर नहीां आते, ि विर नहीां आते…”

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वजांदर्गी में हर वकसी क वकसी न वकसी म ड़ र्र प्रेरण की जररत ह ती है, क् ांवक कई

ब र वजांदर्गी में ऐस समय आत है जब व्यक्ति द्व र कई प्रयत्न करने के ब द भी उसे

असिित ही ह थ िर्गती है, ऐसे में कई ब र व्यक्ति वनर श ह ज त है और आर्गे बढ़ने

की आश छ ड़ देत है।

इस सांस र में कई ि र्ग ऐसे ह ते हैं वजनके अांदर आत्मविश्व स की कमी ह ती है, वजसके

चिते उन्ें कई ब र अिित क स मन करन र्ड़त है। िहीां वकसी मह न व्यक्ति ने

कह है वक ज ि र्ग खुद र्र विश्व स नहीां करते, ऐसे ि र्ग र्रम त्म र्र भी भर स नहीां

कर सकते हैं।

इसविए, अर्गर वजांदर्गी में कुछ ह वसि करन है त खुद र्र भर स रखन बेहद जररी

है, अन्यथ वजांदर्गी में सिित नहीां वमि सकती है।

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“ज अर्ने िक्ष्य के प्रवत र् र्गि ह र्गय है, उसे ही प्रक श क दशपन ह त है। ज थ ड़

इधर, थ ड़ उधर ह थ म रते हैं, िे क ई िक्ष्य र्यणप नहीां कर र् ते। िे कुछ क्षण ां के विए

बड़ ज श वदख ते है; वकिु िह शीघ्र ठांड ह ज त है।- स्व मी वििेक नांद

हम र ध्येय सत्य ह न च वहए, न वक सुख। – सुकर त