Kavitanjali by Dr Ram Lakhan Prasad - HTML preview

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च वहए

चि य र आर्गे बढ़ते रह तुि त ां से मत डर अर्नी कश्ी उठ ि और जीिन

के स र्गर में उतर ज ओ

इस जीिन में ज मुक्तिि ां की िहरें उठती हैं उनक उठने द कर न अब क ई

अर्गर मर्गर चिते ज ओ

यह दुवनय की जीिन बस एक तम श है हर शख्स यह ूँ र्र अर्ने सिित ओां

क बड़ ही प्य स है

अर्ने इस प्य स क बुझ ने की क वशश करते रह औरआर्गे बढ़ने की िर्गन क

ठहर के प्य स बुझ ि

वजन्ें सर्ने अर्ने र् ने हैं बन ज ते ि त दीि ने हैं अर्गर िक्ष्य स ध है तुम उसे

अर्ने मन से िर्ग ि

र्गुमन म से ह कर तुम क् ां भटक रहे ह अर्ने र ह ां में क् ां तुम अटक र्गए ह

त कत अर्नी अब िर्ग ि

जीिन में ह ज ए अर्गर र त अूँधेरी विक्र है क् क्यांवक एक वदन आएर्गी अर्नी

सबेर मन क बत ओ

ज र ह न वमिे घबर न मत नई र स्ते बन के खुद क अर्नी आि ज और

वदिचिी क विर वदख ि

बस कभी रुकन नहीां अर्ने र ह ां में बस चिते रहन त कट ज एर्गी जल्दी यह

डर्गर वमिेर्ग सुझ ि ां

तुम्ह री मांवजि वजस वदन तुम्हें वमि ज येर्गी स री दुवनय में ज न ज ओर्गे इस

ब त क वदि क म नि

इस जीिन में मौत न तुझक म र सकेर्गी तुम ह ज ओर्गे अमर तब तुम झयम र्गे

और खुवशय ां म नि

तुम्ह रे र ह ां में च हे ियि क्तखिे ह ां य विर क ांटें ह ां र्र र ह ां क अर्नी हरवर्गज़

छ ड नहीां तुम

च हे वकतनी भी कवठन वबर्त एां आती रहें तुम्ह रे जीिन में अर्ने मुख क कभी

न म ड़ तुम

च हे तुम्ह र क ई स थ दे य न दे वफ़क्र मत कर र्र अर्न वहम्मत कभी भयि के

न छ ड तुम

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कभी नहीां कृर् की वभक्छ वकसी से म ांर्ग र्र अर्ने बन ये हुए र ह ां र्र वनडर

ह कर चिते रह तुम

इतन जरर य द रहे की अर्ने ईश्वर र्र सद रख भर स और र्थ प्रेम भ ि क

र्ढ़ते चि तुम

जब तक तुम्ह रे तन में स ूँसें चि रहीां हैं तब तक आर्गे ही बेधड़क ह कर चिते

बढ़ते रह तुम

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हम सब इस सांस र के कैदी हैं

इस सांस र क व्यिस्थ हम रे जीिन क एक महत्वर्यणप अांर्ग है जह ूँ हम सब इस

सांस र के एक प्रक र के कैदी ही त हैं। सांस र एक जेि व्यिस्थ है वजसे हम

क र र्ग र य सुध र र्गृह भी कहतें है। जब जब म नि इस सांस र क कैदी बनत

है उसक वनष्क म भ ि से कमप करने क धमप वमित है और विर अर्ने जीिन

के अांत में म नि जब अर्न प्र ण तजत है त िह वनरांक र र्रम त्म में सम ां

ज त है। स ध रण जेि से जीिन क कैद एक ऐसी जेि है ज इस सांस र के

सभी ि र्ग ां के विए ह ती है और विशेर्ष जेि से त त्पयप ऐसी जेि से है ज कुख्य त

अर्र वधय ां तथ र जनीवतक अर्र वधय के विए उर्िब्ध कर यी ज ती है और

वजसके बदिे में िह ां के अवधक री मह दय क भी अच्छी सुविध यें उर्िब्ध

कर यी ज ती हैं । िेवकन जब हम इस सांस र के कैदी बन ये ज तें है त हम र

स र जीिन उस वनरांक र प्रभु के आधीन ह ज त है और हम सम ज के वनयम ां

क र् िन करने िर्गतें हैं। वजन ि र्ग ां से वनयम ां क र् िन नहीां ह र् त है िे

अर्ने र्गिवतय ां, र् र् कमों और बुरे क म से इस सांस र के एक कैदी बन ज तें

हैं। हम रे सम ज के क नयन के अनुस र द प्रक र के क र ि स क प्र िध न है

एक स ध रण क र ि स और दयसर सक्षम क र ि स । िेवकन क नयन में

प्र िध वनत क र ि स ां और ि स्तविक क र ि स ां में अत्यवधक अिर है ।

ि स्ति में क र ि स त केिि स ध रण अर्र वधय ां के विए है तथ विशेर्ष श्रेणी

के अर्र वधय ां के विए क र र्ग र त सुरवक्षत आर म र्गृह और र्ुविस ि दयसरे र्गैंर्ग

से बचने क सुरवक्षत स्थ न ह त है ।

इस सांस र के कैदी हैं हम जैसे एक वर्ांजरे की र्ांछी ह ती है

हम अर्न दुुः ख ददप सब सह्तें हैं यही इस जर्गत की रीती है

क ई र्गिती हुई त म फ़ी म ांर्गी य विर प्र वश्चत करनी ह ती है

र् र् करते र्कड़े र्गए त कैद हुई छयट र्गए त आज दी ह ती है

भिे चमक धमक से रहतें हैं वदि ां में निरत बेिि ई ह ती है

ररश् ां की क ई कीमत नहीां अर्न ां से िड़ ई झर्गड़ ह ती है

*****

ज ने अनज ने में इस जीिन में हम से भी कई र्गिवतय र् र् कमप र्गए थे

हम र्कडे र्गए आज आज द र्ांछी की तरह घयम रहे है यह हम म न र्गए थे

इन्स ि के तर जय के स मने हम र्ेश वकय ज त हम भी एक कैदी ह ते

त जुब अब िर्गत है की भिे हम आज द है िेवकन इस जीिन के कैदी ह ते

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कैस श र है

एक वदन हमने र्रम त्म से र्ुछ के हम रे अांदर ये कैस श र है

र्रम त्म ब िे की तुम्ह रे च हतें कुछ और हैं और र स्ते अिर्ग है

तुझे अर्ने रह क सांभ िन थ र्र सयरत सांभ िन तेर श न है

अब खुिे आसम न के च ूँद त र ां के तरह तुझे सांस र में रहन है

िेवकन तय अब दुवनय ां के बांद दीि र ां में यह वजांदर्गी वबत रह है

तय हर िक़्त सर्ने देखत है ऐश्व आर म क र्र एक कैदी बन है

इस कैद से वनकिन जरुरी है और मेरी भक्ति भ ि र्र ध्य न रहे

मैं म नत हूँ र्र इस ढिती हुयी उम्र में जीन दुिपभ है ये ध्य न रहे

हम री वजांदर्गी इठि ती हुई ब िी उम्र वकसी की भी ठहरती नही ां है

मेरे कदम के सांघ चिते रह समय स थ देर्ग जीिन आस न नही ां है

जीिन में हम रे सिर की क ई हद्द नही ां जह ूँ तक हम रे वनश न बने रहे

मैं ये सांकल्प करत हूँ की चित ही रहूँ जह ूँ तक यह आसम न क अांत रहे

जब भी उठ ऊां मैं अर्न कदम हम री सही ख ज सद हम री मांवजि ही रहे

मज त तब वमिेर्ग इस जीिन में जब हम रे र्ैर ां में क ई भी थक न नही ां रहे

अर्गर क ई ज िस ज सक्स वमिे इस जीिन में उसे द स्त न म न ये ध्य न रहे

इस धरती की र्गहर इय ां ने डयब विय मैं च हत थ हम रे सर र्े आसम न रहे

हम रे बीच ज भी समझौत और अद ित है यह सब बस हम रे दरवमय न रहे

मैं क ई वसत र ां क िसि म ूँ ऊर्ग सक भिे इस जमीन र्े वकतने र्गर्गन रहे

मैं त सि मत हूँ यह ूँ िेवकन सद से च हत हूँ की यह जुब न भी सि मत रहे

अब क ई वसकि वशक यत नही ां है वकसी से बस मेरी यह जीिन खुशह ि रहे

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र्गीत र्ग त रह र्गुनर्गुन त रह

अर्ने र्यरे जीिन में हमने भी अर्ने ढांर्ग के र्गीत र्ग त रह र्गुनर्गुन त रह

क्यांवक हम ने भी अर्ने आर् से यह ूँ सद हूँसते रहने क ि द करत रह

श यद इस विए अब मैं भी अर्ने जीिन में सद क ई र्गीत र्ग त रहत हूँ

यही क रन हैं की मैं अर्ने चहरे र्र सद एक हि स मुस्क न रखत हूँ

हम रे स रे जीिन में प्य र म हब्बत के हम रे सभी र्ि बहुत अनम ि रहे

अक्सर मैं अर्ने ररश् ां क वनभ त रह और ियि ां से सुन्दर मेरे ब ि रहे

हम रे जीिन में ईश्वर ने इतनी ख़ुशी दी है की वकसी क कभी खबर नहीां

मेर मन मेर दर्पण रह हैं ज सद वनखरत रह ये वकसी क खबर नहीां

खुशबयद र ियि ां की म ि र्हनत हूँ मैं र्ग त भी हूँ और र्गुनर्गुन त भी हूँ

ज वहर है स फ़ स फ़ की मैं अब मैं भी दर्पण के स मने मुस्कुर त रहत हूँ

हूँसते रह र्ग ते रह और र्गुनर्गुन ते रह क्यांवक यह वजांदर्गी छ टी है

आसर् स के सभी ि र्ग तुम्ह रे ब िी ब नी र्र कड़ी नज़र रखतें हैं

य द रहे हांस जरर र्र कभी न हांसन और र्र यह बुरी ब त है

जब र्कडे ज ओर्गे त सज वमिेर्गी त ऐसे हांस वजतन अिक त है

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आज क द स्त ूँ अब हम री है

ज हम रे मन की थक न क उत र दे अब हम क ि अिक स च वहए

क्यांवक इस ज र से दौड़ती वजांदर्गी में मुझक िुसपत की ि स ांस च वहए

च ह थ केिि चेहर ां क नहीां र्र वदि ां क र्ढ़ने क िक़्त हमक वमि ज ए

इस छ टी सी जीिन में िम्बे भ र्षण देने ि ि ां से जर सांन्य स वमि ज ए

यह ूँ ि र्ग कहतें हैं कुछ और करतें है कुछ और हमक यह नहीां च वहए

िैसे ि र्ग ां की यह ूँ जरुरत है ज ि कहतें िही ज उनक करन च वहए

जीिन भर हमने खयब सम ज की सेि सत्क र करत रह वदि ज न से

जर अिक स वमि ज ए अब हम र मन भर र्गय है सब म न मय पद से

इस उम्र में बन ज ियां क ई र्ररांद य वततिी बस ऐस क ई आभ स च वहए

हम रे वदि और वदम र्ग की थक िट वमट दे बस िही ऊूँची उड़ न च वहए

इस उम्र में भी भिे सभी दुुः ख ददप हिे हैं और अब हम रे स ांस भ री हैं

हम री यह वजांदर्गी ही ऐसी है की यह ूँ वजए ज ने की ि ख्व वहस ज री है

अर्ने ही ि र्ग ां के दरवमय न हर घडी हमने उनके स थ ख़ुशी से र्गुज री है

भिे हमने र त ां में च ांदनी क च दर ओढ़ थ वदन की च दर नहीां उत री है

आसम न र्र क ई सांर्गीत क कहकह त क्तखिे मेरे चुप्प की चमन भ री है

कि क हर ि वकय हम रे बुजुर्गों क थ र्र आज क द स्त ूँ अब हम री है

एक वकत ब है वज़न्दर्गी, बनते वबर्गड़ते ह ि त ां क वहस ब है वजांदर्गी, हर र ज एक नय र्न्न जुड़त है वजसमें ि ही एक वकत ब है वजांदर्गी।

हर र्ि एक नय वकस्स ,तैय र रहत है अर्न अांत र् ने क , ग़म ां के दौर में खुवशय ां की र ह तकते हैं कई ि र्ग, तड़र्ते हैं र्ेड़ और र्ांछी र्तझड़ में जैसे बसांत र् ने क ।

कभी कड़ी धयर् सी र्रेश वनय ूँ जि ती रहती हैं ददप की एक आर्ग सीने में, कभी खुवशय ां में आनांद वमित है त खुशबय आती है र्सीने में, मजबयररय ां क वसिवसि चित रहत है सबकी र ह ां में, बदि देते ि शख्स क यन त अर्नी ह ती है ज न हौसि ां की वजनकी ब ह ां में

वछर् कर रखती है कई र ज अनज ने से कहने क ि वहज ब है वजांदर्गी

हर र ज एक नय र्न्न जुड़त है वजसमें ि ही एक वकत ब है वजांदर्गी।

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िक़्त िर्गत है

तय यह दुवनय द री और न द नी से दयर ह ज ख न र्ीन क ख़य ि रखन ह र्ग

मुझे नफ़रतें,दयररय ां,वशक यतें, न समझी और अकेि र्न क ख्य ि रखन ह र्ग

मैं इस दुवनय ां के चमन क एक चित विरत मुस विर हूँ ये य द रखन ह र्ग

अर्ने र्गुजरते िक़्त ां के स थ एक वदन मुझे इस दुवनय क छ ड़ के ज न ह र्ग

कर दयांर्ग कुछ आूँख ां क नम वकतने वदि ां में बस अच्छी य दें बन के रह ज ियांर्ग

ज ने के ब द जब वकसी क मेरी य द आएर्गी त मैं कह ूँ यह ूँ िौट के आियांर्ग

वकतने ि र्ग ां क कहन है की र् नी क बिप में बदिने में समय त िर्गत ही है

विर ये भी त सच है की ढिे हुए सयरज क दयसरे वदन वनकिने में िक़्त िर्गत है

इस विए मैंने अर्ने आर् से कह की धीरज रख थ ड़ और ज र िर्गते रहन यह ूँ

िेवकन इतन य द रखन की वकस्मत के दरि ज खुिने में समय िर्गत है यह ूँ

ज भी तय कहत है उस क कर के वदख त वजांदर्गी रांर्ग ि एर्गी कर यकीन मेर

जब भी ब दि र्गजरतें हैं त िर्ष प नहीां ह ती क्ुकी बरसने में समय िर्गत है जर

अर्ने हकीकत से अनज न थ

न ज ने ि मेर सर्न थ जब मैंने अर्ने मौत क करीब से देख थ

बहुत से ि र्ग िह ां खड़े थे अर्ने ह ूँथ ब ांधे ि एक िम्ब कत र थ

कुछ ि र्ग र्रेश न थे कुछ हैर न भी थे र्र कई ि र्ग जर उद स थे

जह ूँ कुछ ि र्ग सुसुक रहे थे िहीूँ कुछ छुर् रहे अर्नी मुस्क न थे

अजीब िर्ग की दयर खड़ मैं भी देख रह थ इन सभी मांजर ां क

तभी वकसी ने आकर र्कड़ विय थ हम रे क ांर्ते हुए ह ांथ ां क

जब मैंने उनक चेहर देख त मुझे एक हैर नी सी आ र्गयी थी

हम र ह ूँथ र्कड़ने ि ि क ई और नहीां मेरे प्रभु की शक्ति थी

इस रर् में िे भी नांर्गे र् िां थे र्र उनके चहरे र्र एक चमक थी

िे हांस के ब िे भि तुम हर वदन द घडी हम र न म जर्त थ

मैं आज उस सब क तुम्ह र कजप चुक ने के विए यह ूँ आय थ

तब मैं र ने िर्ग थ अर्ने आर् क देख कर ऐसे सब दश क

वजनक मैं ने केिि द घडी ही जर् ि आये थे मुझे िच ने क

वजनमे मैं हर घडी रम रहत थ ि मुझे शमश न र्हुूँच ने आये थे

तभी हम री आूँखें खुि र्गयी और मेरे शरीर हम रे वबस्तर र्र ही थे

वकतन थ न द न मैं की इन सभी हकीकत ां से र्यर अनज न थ

अर्ने मौत क खुद सर्न देखन हम रे विए एक ब त मह न थ

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मेरे कुछ अर्ने विच र

जब से मुझ में चेतन आयी है तभी से मैं अर्ने सभी आांतररक िेदन ओां क क र्गज़ र्र

विखते आ रह हूँ और आज तक र्च स से भी ज्य द वकत ब ां क वनम पण कर चयक हूँ ।

हम रे वजांदर्गी के स रे भेद ि र्ग ां क मेरे वकत ब ां में वमिेर्गी क्यांवक मैं यह ठीक से ज नत

हूँ की अर्गर यह सब वदि ही में रह र्गए त उन की धधकती आांच से वदि और वदम र्ग में

ह ज एांर्गे कई छेद ।

मैं ज नत हूँ की ि सब झयठे हैं ज कह करतें हैं की हम सब वमटटी के बने हैं क्यांवक मैं

कई अर्न ां से ि वकि हूँ वजन के वजर्गर र्त्थर के बने ह ते हैं ।

मैं यह भी ठीक से र्रख विय हूँ वक इस दुवनय ां में क ई वकसी क तहे वदि से हमददप

नहीां ह त है क्यांवक आजकि ि र्ग हम रे जन जे के स थ भी चिेंर्गे त िे ऐस वसिप

अर्नी ह वजरी वर्गनि ने के विए ही करते हैं ।

मुझे इस वजांदर्गी में बहुत कुछ वमि र्गय है र्र कभी कभी आज भी मैं बस सही ि र्ग ां से

सही िक़्त र्र सही मदद, भर स , द स्ती य प्य र म हब्बत वमिने की आस िर्ग ए रहत

हूँ और वनर श ही र् त हूँ ।

अब यही देख िीवजये की तुिसी द स ने क् ही र्ते की ब त विखी थी "आित ही हर्षपय

नहीां नैनन नहीां स्नेह, तुिसी तह ूँ न ज इये कांचन बसरे नेह" य नी वजस स्थ न य वजस

घर में आर् के ज ने से ि र्ग खुश नहीां ह ते ह तथ उन ि र्ग ां के आूँख ां में आर् के विए न

त क ई प्रेम और न ही क ई स्नेह ह त िह ां आर् क कभी नहीां ज न च वहए च हे िह ूँ

धन दौित और म ि खज ने की ही िर्ष प ह ती ह ।

जब हम छ टे थे त ज र ज र से र ते थे अर्नी र्सांद क र् ने के विए और अब इस बुढ़ र्े

में चुर्के से र ते हैं अर्नी र्सांद छुर् ने के विए ।

उन जख् क भरने में हम क सद ज्य द िक़्त िर्गत है वजनमें जख् ां क देने के विए

अर्न ां की मेहरब नी श वमि ह ती है ।

आजकि इांस न वसिप आर्ग से ही नही जिते हैं क्यांवक कुछ ि र्ग त हमक खुश

देखकर भी जिते हैं ।

वजांदर्गी भर जब भी मैं अर्ने मन की विखत रह त मेरे सही शब् ही रठ ज ते थे और

अब जब सच विखने िर्ग हूँ त अर्ने ही रठ ज ते हैं ।

अब क् करूँ कुछ समझ में नहीां आत है र्र यह वदि और वदम र्ग विखने से इांक र ही

नहीां करत है । त चि अब अर्ने वदि और वदम र्ग क खुश रखने के विए समय समय

र्र मैं अर्न किम क अर्न तीर बन कर चि ते रहूँर्ग जब तक स ांस चिती है ।

भर्गि न् से यही प्र थपन है की मुझे शक्ति और प्रेरण देते रहें ।

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र्गुज री हुयी वजांदर्गी

र्गुज री हुयी वजांदर्गी क कभी य द न कर तकदीर में ज विख है उसकी