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समर्पण
हमने अर्ने सभी िेख ां के विए अर्ने बुजुर्गो क समरण वकय है
और आज भी उन्ी ां क इस प्रक शन क समवर्पत करत हूँ क्यांवक
उन्ी ां की सौजन्य से हमने अर्ने सभी र्गुण ां क ह वसि वकय है।
हमक जब भी थ ड़ी सी कुछ सहवियत वमिती है त मैं अर्ने
बुजुर्गों क आदर सत्क र करत रहत हूँ। यह सब ज्ञ न, श न
और मय पद उन्ी ां के द्व र हम क प्र प्त हुि है। मैं उन सब क
अर्न ह वदपक धन्यब द देत हूँ।
प्र थपन
अब सौांर् वदय इस जीिन क , सब भ र तुम्ह रे ह थ ां में।
है जीत तुम्ह रे ह थ ां में, और ह र तुम्ह रे ह थ ां में॥
मेर वनश्चय बस एक यही, एक ब र तुम्हे र् ज ऊां मैं।
अर्पण करदयूँ दुवनय भर क , सब प्य र तुम्ह रे ह थ ां में॥
यवद म नि क मुझे जनम वमिे, ति चरण ां क द स बनय।
इस र्यजक की एक एक रर्ग क , हर त र तुम्ह रे ह थ ां में॥
जब जब सांस र क कैदी बनय, वनष्क म भ ि से क म करूँ।
विर अांत समय में प्र ण तजयां, वनरांक र तुम्ह रे ह थ ां में॥
मुझ में तुझ में बस भेद यही, मैं नर हूँ तुम न र यण ह ।
मैं हूँ सांस र के ह थ ां में, सांस र तुम्ह रे ह थ ां में॥
अब सौांर् वदय इस जीिन क , सब भ र तुम्ह रे ह थ ां में।
है जीत तुम्ह रे ह थ ां में, और ह र तुम्ह रे ह थ ां में॥
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