We Indians believe women don’t lie but at the same time boys are frequent lairs.
But the mind set has no background. Why ? Do we have any medical / scientific reason behind such beliefs ? I believe it is all about what type of lie we are talking about. For example if we are talking about age or weight there are more chances of a lie from a woman. Men normally accept their age and weight easily.
One of the study shows
● 33 % women lie about weight loss compare to 23 % men
● 37 % women lie to come out from a date compare to 27 % of men
● 39 % of women lie about health to avoid the work compare to 37 %
of men
● 60 % women lie about gifts compare to 43 % of men
● 35 % women lie about ‘on the way’ compare to 35 % of men 60
Menʼs HUB 26
Ravan - Casual Misandry
So the study shows men are not bigger liars but women in many cases. Yes there are chances that men lie more than women in some cases, but if that makes a man a bigger liar then why can't we consider women a bigger liar according to the above given facts ?
Can we change this mind-set?
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MEN’S HUB
Oct 1st, 2022
माफ
अनाम
डो फ अभी कॉलेज के आ खर चरण म थी । कुछ मह न बाद उसका कॉलेज ख म हो जाने
वाला था और फर उसे भी बाक टूड स क तरह एक अ छ नौकर क तलाश करनी थी ।
डो फ के सपने बा कय से कुछ अलग थे वो लेखक बनाना चाहती थी । हज़ार असफल लेखक
जैसे उसके उ साह को ख म कये दे रहे थे । शायद यह कारण था क उसे आगे बढ़ने का रा ता समझ
नह ं आ रहा था ।
फर एक दन उसके दमाग ने एक आई डया ि लक कया िजसने उसके जोश को कई गुना बढ़ा
दया और डो फ अपनी कताब पर पूरे जोर शोर से काम करने लगी । पूरे तीन मह ने क भाग दौड़ के
बाद कताब पूर हो सक । छपवाने म और एक मह ना गुजर गया ।
आ खर कताब के वमोचन का समय आ ह गया और कताब खर दने वाल क लाइन लग गयी
। एक नई ले खका क पहल कताब के लए लोगो क भीड़ आ चयजनक थी । कताब बे ट सेलर
सा बत हुई और लगातार लंबे समय तक डमांड म बनी रह । एक कताब क सफलता ने डो फ को ना
केवल लेखक के प म था पत कया बि क उसे अमीर लेखक क ेणी म भी ला खड़ा कया ।
डो फ ने इस एक कताब क ंखला म कई कताब नकल ।
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माफ
एक अनजान नई ले खका क पहल कताब के लए भीड़ यंू ह नह ं आ गयी थी इसके लए
डो फ ने वटर पर घोषणा क थी क वो कताब उसके अपने जीवन के अनुभव का ना य पांतरण है
। डो फ क एक भावुक अपील भीड़ को बुक टोर पर खींच लाई ।
सोलह साल बाद आज एक बार फर डो फ
वटर पर घोषणा करने जा रह थी । इस बार उसे
माफ मांगनी थी । सोलह साल पहले डो फ ने वटर पर घोषणा क थी क उसके ोफेसर ने उसका रेप
कया और उसी घटना पर यह कताब लखी गयी है । ोफेसर साहब ने सोलह साल जेल क सलाख के
पीछे गुजरे और पछल शाम ह बाइ जत बर होकर आए थे ।
जज साहब अपने े के बहुत माने हुए जज थे और अपनी याय य के लए जाने जाते थे । वो
ोफेसर साहब को बर करते व त ह असल मुज रम को स त से स त सजा सुनाने का हंट दे चुके थे ।
एक बार फर डो फ ने वटर के इ तेमाल कया और इस बार एक छोट सी माफ वाला वीट
उड़ चला लोगो के दल दमाग पर का बज होने ।
रात भर म ह माहौल बदल चुका था । अब एक बार फर डो फ जज साहब के दल को छू रह थी
। जज साहब क नज़र म माफ मांगने के लए बहादुर होना ज र था इसी लए अब डो फ ाि चत क
आग म जल रह थी और उसे अब सज़ा क आव यकता नह ं थी ।
मी डया डो फ क बहादुर और जज साहब के याय और द रया दल का गुणगान कर रहा था
ठ क उसी व त ोफेसर साहब अपने बेड म म अकेले थे और उनक नज़र अपने अलमीरा क तरफ बार
बार जा रह थी । जहां एक जहर क शीशी के बगल म एक रवा वर भी मौजूद था ।
कानून प ट तोर पर बता चुका था क उसके पास ोफेसर साहब के लए कोई याय नह ं है ।
नोट : अमे रका कोट म चले एक मुकदमे का ना य पांतरण ।
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Oct 1st, 2022
ववाह एवं तलाक
अनाम
A Sword is a Sword Even if I call it Needle ववाह एक ऐसा श द है िजससे तकर बन हर यि त प र चत है पर तु सम या यह है क ववाह
का असल मतलब शायद ह कसी को पता हो | उससे भी बड़ी बात शायद ववाह हमारे सामने इस तरह
से रखा गया है क शायद ह कोई यि त (पु ष एवं म हला दोन ) ऐसा हो िजसने ववाह करने के बारे म
न सोचा हो कुछ यि त (अ धकांश भारतीय) तो इससे भी आगे जाकर यह सोचते है क य द ववाह नह ं
कया तो जीवन बबाद हो जायेगा इस सोच के पीछे कारण भी आसानी समझा जा सकता है |
अभी कुछ दन पहले एक बहुत पुराना सी रयल महाभारत देखने का अवसर मला बचपन म
कभी महाभारत देखा था पर तु उस व त उ के उस दौर से गुजर रहे थे क मनोरंजन ह अ धक
मह वपूण था आज उ का वह दौर है जब मनोरंजन के साथ सोच वचार क आंधी भी चलती है |
महाभारत देखते व त एक घटना का िज कर कया जाना आवशयक है जब महाराज पा डु अपनी
पि नओं के साथ जंगल म व त गुजर रहे थे उस व त एक ऋ ष उनको पतृ ऋण के बारे म बताते है जो
क संतान उ प त के वारा ह उतारा जा सकता है जब पा डु ाप के कारण संतान उ प त म असमथ हो
जाते है तब महाराज पा डु इतने अ धक याकुल दखते है य क उनका इस संसार म आना पूण प से
सफल नह ं हुआ और वग म वेश नह ं हो सकता |
महाराज पा डु एक सफल और जापालक राजा और हर तरह से स पन यि त है पर तु उनके
सामने संतान उ प त इतनी अ धक मह वपूण है को वह खुद को असफल यि त मानना आर भ कर
देते है िजस व त महाराज पा डु हुए उस व त शायद यह सोच सह रह हो उस व त भारत क
जनसँ या कम रह होगी और लड़ाइय एवं अ य कारण जैसे क जंगल और जंगल जानवर के हमले, 64
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ववाह एवं तलाक
बमा रय आ द के कारण मृ यदर काफ अ धक रह होगी इसी लए संतान उ प त survive करने के
लए आव यक रहा होगा शायद इसी कारण संतान उ प त को धम ( वग नरक और पता नह ं या या) के साथ जोड़ दया गया |
पर तु या यह इतना आव यक रहा होगा क य द कोई संतान उ पन नह ं कर सकता को अपना
जीवन ह यथ समझने लगे शायद ऐसा इसी लए था य क संतान उ प त को धरम के साथ जोड़ दया
गया वतमान म हमार जनसँ या बहुत अ धक है तो या वतमान म भी संतान उ प त उतनी ह
आवशयक है ? मेरे वचार से नह ं पर तु अ धकांश इसे धम से जुड़े होने के कारण आज भी अ त
आवशयक मानते है|
जब संतान उ प त एक अ त आवशयक काय बन कर सामने आती है तो भारतीय के लए ववाह
भी एक अ त मह वपूण सं था के प म उभर कर सामने आती है (हला क अब हालत कुछ सुधरने लगे है
और आने वाले वष म और बेहतर ह गे) संतान उ प त के लए ववाह आव यक नह ं है पर तु भारतीय
सं कृ त म ववाह ह
ी पु ष स ब ध का एकमा
प रहा है आज बदलते व त के साथ
ी पु ष
स ब ध सफ ववाह तक ह सी मत नह ं रहा गया है ऐसे म या ववाह उतना ह मह वपूण रह गया है
?
शायद नह ं
पर तु यह ववाह नमक सं था क क पना कसने क या इसे भगवन ने बनाया?
हमारे समाज म ववाह क आवशयकता को इस हद तक हावी हो चुक है क अ धकांश लोग इसे
भगवान न मत मानते है एक बहुत ह सामा य इ तेमाल करने वाल टेटमट ‘जो ड़यां वग म बनती
ह‘ पर तु यह स य नह ं है शायद आज कोई नह ं जानता क ववाह नमक सं था क प रक पना कसने
क पर तु यह नि चत है क कसी मानव ने हज़ार साल पहले ववाह नामक सं था क क पना क
ता क उसका समाज अ छ तरह चल सके और यह क पना इतनी अ धक पॉपुलर हुई क सामा यता
जहां जहां मानव समाज न मत हुआ ववाह कसी न कसी प म च लत हो गया
शायद इस सं था के सफल होने का मु य कारण यह रहा क इस सं था के नयम और कायदे
बहुत सोच समझ कर बनाये गए थे हर सं था कुछ नयम पर चलती है बना नयम के कोई सं था
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ववाह एवं तलाक
बनाई तो जा सकती है पर तु उसे चलाया नह ं जा सकता शायद ववाह नमक सं था के नयम बहुत सोच
वचार कर बनाये गए थे क उन नयम ने सं था क सफलता सु नि चत क ववाह नमक सं था का
एक धा मक पहलु भी दखाई देता है और शायद ववाह नमक सं था के ल बे चलने के पीछे एक कारण
यह भी रहा क इसे धम के साथ जोड़ दया गया और यि त या समाज धम का पालन करने म
गौरवाि वत महसूस करते है (वैसे डर भी एक कारण है) |
मेर तरफ से म यह दावा तो
तुत नह ं कर सकता क मने ववाह के सभी धा मक एवं
सामािजक पहलँुओं का अ यन कया है पर तु काफ हद तक समझने क को शश अव य क है सभी
पहलँुओं पर वचार करने का अथ शायद क से को बहुत ल बा खंच देगा इसी लए सफ एक मसले पर
वचार करना उ चत है जो क ववाह से जुडी हुई िज मेदा रय से जुड़ा हुआ है
अगर ाचीन भारत से जुड़े हुए सा ह य महाभारत, रामायण आ द का अ यन कया जाये तो एक
बात प ट प से सामने आती है क ववाह नामक सं था म िज मेदा रय को 3 भाग म बांटा जा
सकता है
(1) घरेलु िज मेदार
(2) बाहर िज मेदार
(3) धा मक िज मेदार
शायद धा मक िज मेदार (रामायण म एक कार आता है िजसमे राम एक यघ करना चाहते है
और उनको सीता क मू त बना कर रखने यघ म बैठने का आदेश मानना पड़ता है य क प नी के बना
यघ पूण नह ं हो सकता) ऐसी है िजसम प त एवं प नी दोन सहयो गक प से नभाते है इसके अलावा
घरेलु िज मेदार (घर क यव था जैसे क भोजन) पूर तरह से प नी पर तथा बाहर िज मेदार (भोजन
के लए आव यक धन आ द क यव था) प त पर डाल गयी है
या यह यव था सह है ?
शायद यहां पर सह अथवा गलत का
न नह ं है बि क
न सफ यव था का है जब तक
समाज एक यव था पर चल रहा है समाज से स बं धत लोग नयम पर चलते रहगे पर तु य द समाज
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ववाह एवं तलाक
म बदलाव आता है तो समाज से स बं धत लोगो को भी बदलना पड़ेगा बदलाव आव यक भी है य क
व त बदलने पर य द नयम नह ं बदले जाते तो नि चत प से सं था ल बे समय तक नह ं रह सकती
य द यह बदलाव संतु लत प से हो तभी थायी हो सकता है अ यथा सं था के व वंस का कारण बन
सकती है|
वतमान समाज इसी कार के व वंस को देख रहा है वशेष प से ववाह नमक सं था वतमान
समाज के नयम बदल रहे है बदलने क र तार शायद बहुत तेज़ है शायद इसका मुख कारण साइंस के
े म होने वाल ां त से है पर तु समाज बदल रहा है इसी लए आव यक यह है क ववाह से स बं धत
नयम म भी बदलाव हो पर तु यह बदलाव संतु लत होना चा हए अगर असनतु लत बदलाव होगा तो
नि चत प से ववाह नमक सं था ज द ह ख म हो जाएगी
या पछले कुछ दशक म हुआ बदलाव काफ हद तक असंतु लत हुआ है सवाल यह पैदा होता है
क कौनसे बदलाव क यहाँ बात हो रह है इससे पहले क हुए बदलाव क बात क जाये यह ज र है क
कुछ घटनाओं का वचार कया जाये
वैसे तो बहुत सार घटनाएं है शायद अन गनत पर तु म सफ 2 घटनाओं का जीकर करना
चाहूंगा पहल घटना रामायण से है रामायण के 3 पा ल मण, हनुमान एवं रावण जब राम ल मण से
सीता के गहन को पहचानने के लए कहते ह तो ल मण कहता है क उसने कभी सीता का चेहरे क तरफ
नज़र उठा कर नह ं देखा इसी कार हनुमान जब सीता से मलता है तो सीता को माता कह कर पुकारता
है इसी कार रावण भी िज कर भी मह वपूण है कहा जाता है क रावण क कैद म सीता कई मह न तक
रह पर तु कैद के दौरान रावण ने सीता को बेइ जत नह ं कया इसके अलावा सु ीव एवं वानर सेना भी
पीछे नह ं रह यह सब घटनाये म हला के त पु ष क इ ज़त को द शत करती है
य द कसी को रावण गुजरे ज़माने क घटना लगे तो उसके लए महारानी प मनी का उ धरण
दया जा सकता है जहां पर महाराजा प मनी को वरोधी राजा के हवाले करके आसानी से अपनी एवं
सेना क जान बचा सकते थे पर तु महाराजा ने महारानी प मनी क इ ज़त बचने के लए खुद क एवं
सैनक क जान क परवाह नह ं क
एक और उ धरण दया जा सकता है जो क 1857 क आजाद क लड़ाई के व त का है जब कई
अं ेज ि यां भारतीय सपा हय क कैद म फस गयी तो उ ह ने म हलाओं को सुर त अं ेज छावनी
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ववाह एवं तलाक
तक पहुंचा दया (इस तरह क घटनाये बहुत है पर तु म िजस घटना का जीकर कर रहा हूँ वह द ल से
स बं धत है एवं उस व त क है जब भारतीय सपाह मेरठ से द ल पहुँच कर क ज़ा कर लेते है, इस
घटना का जीकर न केवल सा ह य म बि क इं लड म छपने वाल कई कताब एवं यूज़ पेपर म भी
मलता है)
जब हम इन घटनाओ का िज कर कर रहे है तो सीता एवं प मनी का य हार क वचारणीय है
सीता ने रावण के
ताव ना मानकर एवं प मनी ने जोहर करके महाराजा का साथ दया एवं बेहतर न
उ धरण पेश कया
पर तु यह घटनाएं सफ चंद घटनाएं नह ं है पूरा भारतीय इ तहास ऐसी ह घटनाओं से भरा हुआ
है य द कोई अ यन करना चाहे तो लाख या शायद उससे भी यादा मा णत उ धरण दए जा सकते है
यह सभी घटनाएं भारतीय पु ष के उ च च र का उ धरण है पर तु अचानक य कैसे बदल
गया अचानक वह पु ष जो बेहतर न च र का मा लक था सभी बुराइय क जड़ बन गया रे प ट बन
गया आ खर ऐसा या हुआ ?
ऐसा नह ं है क प रवतन म हज़ार साल लगे हो बि क मु य प रवतन पछले २० साल म ह
हुआ है शायद इसका कारण स पक साधन म हुए अ तय षत वृ ध है पछले २० या ३० सालो म संपक
साधन बहुत बढ़ गए है और अ य सं कृ तयां जो क भारतीय सं कृ त को भा वत करने क ि थ त मे
आ गयी िजसने बहुत तेज़ी से अस तु लत प से प रवतन को बढ़ावा दया िजसके प रणाम व प
प रभाषाय भी बदल गयी जो नयम या यव थाएं कसी व त उ न त या सामज य का कारण रह वह
नीयम डि
मनेशन दखाई देने लगे इस लए नह ं क यह डि
मनेशन था बि क इस लए य क
प रभाषा बदल गयी एक उ धरण से इसे समझा जा सकता है जैसे क मने पहले कहा क घरेलू यव था
देखना म हलाओं के ह से म आया था और बहर िज मेदार पु ष के ह से आयी और यह यव ता
स दय तक सफल सामािजक यव था का नमाण कर क य क म हलाओं ने अपना ह से क
िज मेदार और पु ष ने अपने ह से क िज मेदार अ छ तरह से नभाई पर तु वह बदलते व त के
साथ पु ष वारा म हलाओं पर कये अ याचार के प म देखा जाने लगा|
बदलते प र य ने म हलाओं को अपनी िज मेदार से मु त करने के यास शु कर दया पर तु
यह बदलाव असंतु लत बन गया य क म हलाओं को उनक िज मेदार से मुकत कर दया गया पर तु
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ववाह एवं तलाक
पु ष को उनक िज मेदार से मु त नह ं कया गया ऐस म यह कहा जा सकता है बदलाव असनतु लत
हो गया य द हुआ बदलाव दोन को िज मेदा रय से मुि त दान करता तब शायद बदलाव असंतु लत
एवं व वंसकार नह ं होता बि क ग त दायक होता पर तु ऐसा हो नह ं सकता
यह मुम कन है क कुछ लोग बदलाव के समथक हो और कुछ अ य बदलाव के समथन म न हो
ऐसे म दोन प
म खींचतान वाभा वक है ऐसी खींचतान ेम ववाह बाल ववाह आ द कई मामल म
पहले भी देखने को मल है पर तु खींचतान वनाश का कारण तभी बन सकती है जब क प रवतन
असंतु लत हो वतमान ने कई कारण जैसे क राजनै तक (वोट बक) एवं सामािजक (अ व वास एवं
वाथ) कारण से प रवतन संतु लत नह ं हो पा रहा
उ धरण के तौर पर बहुत सारे लोग को यह कहते हुए सुना जाता है क ‘मने अपनी लड़क को
लड़को क तरह पाला है‘ या ‘मेर लड़क लड़को से कम नह ं है‘ अ धकांश मामल म इस कार क
लड़ कयां घरेलु िज मेदार नभाने के लायक नह ं बनाई जाती और न ह बाहर िज मेदार नभाने लायक
| भारतीय यव था म लड़क को बचपन से ह बहर िज मेदार उठाने लायक बनाया जाता है वतमान म
लड़क को घरेलु िज मेदार के लायक बनाने क अपे ा भी क जाती है मतलब क दोहर िज मेदार
पर तु लड़ कय क दोन िज मेदा रय से मु त कया जा रहा है शायद काफ लोग सहमत न हो तो ऐसे
म कुछ उ धरण पेश कये जा सकते है
1) भोजन क यव था करना पु ष क िज मेदार थी वतमान म यह यव था या उससे भी एक
कदम आगे बढ़ कर अपना ल गयी है वतमान म ऐसे कानून पास कर दए गए है क प नी कह ं भी रहे
चाहे वह प त के साथ रहे या अपने कसी ेमी के साथ उसे खच देने क िज मेदार प त क है |
2) प नी अगर अपने ेमी के साथ physical relation बनाना चाहे तो प त आप
नह ं कर
सकता बि क आप करने का मतलब सफ जुम करना है
3) ब च क सम त िज मेदार उठाने के बावजूद उसे ब च से मलने का अ धकार प नी क
मज़ पर नभर करता है
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ववाह एवं तलाक
4) बेटे जब 18 वष के हो जाये तब उनक िज मेदार उठाना पता क मज़ पर रखा गया पर तु
बेट आगे 40 क भी हो तो भी उसक िज मेदार कानूनन पता पर रखी गयी और य द ववा हत हो तो
प त पर |
5) प नी कसी भी अ य पु ष से स ब ध बना सकती है एवं प त आप नह ं कर सकता |
6) प नी अगर प त से स ब ध न बनाना चाहे तो यह उसका अ धकार है पर तु अगर प त
स ब ध न बनाना चाहे तो यह प नी के त ू रता है |
इसके अलावा एक और मामला है जो देखने म ह अजीब लगता है | म हला के माता पता क
िज मेदार उसके प त पर डाल द गयी (प त क िजंदगी म उसके सास ससुर का योगदान कुछ भी नह ं
है) | या न क म हला को सब अ धकार तो दए गए पर तु उसक िज मेदार उठाने के लए हमेशा एक
अ य आदमी क तलाश क गयी |
यह सफ चाँद उ धरण है िजनसे प ट है क ववाह नमक सं था के नयम एकतरफा बदल गए
है जो क अ यायपूण है वतमान म वोट बक क राजनी त के कारण TTT बल के वारा एक बार फर से
न केवल पु ष वग से उसके अ धकार छ न लए गए है बि क पु ष वग को अपराधी घो षत करने क
नयी प रभाषा भी बना द गयी है और ऐसा पहल बार नह ं हुआ बि क लगातार होता रहा है िजससे क
पु ष वग को अपराधी च र ह न आ द घो षत कया जाता रहा है प ट है क पु ष वग अपराधी नह ं है
बि क उसे अपराधी घो षत करने के लए प रभाषाएं बदल द गयी है
ववाह नमक सं था पूर तरह एकतरफा बना द गयी है ऐसे म इस सं था का भ व य या है ?
यह सवाल महतवपूण है पर तु य द समाज म जाकर लोगो से पुछा जाये क वह ववाह करना
चाहते है या नह ं तो एक मु दा सामने आता है क अ धकांश लोग ववाह से तो प र चत है पर तु ववाह
के साथ जुड़े हुए कानून से बलकुल प र चत नह ं है ऐसे म समाज से आये हुए इनपु स के आधार पर
कया गया नणय सह नह ं हो सकता हमे जाग क इनपु स से ह नणय करना पड़ेगा और जाग क
इनपुट से मला हुआ जवाब सफ एक ह बात कहता है क ‘Sword is a Sword, Even if we call it Needle, It is risky to get marry, There are great great chances that you may lose your reputation/money/life everything you have‘.
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ववाह एवं तलाक
ऐसे म या ववाह इतना आव यक है क सब कुछ गवा कर भी ववाह कया जाये मेरे वचार से
यह संभव नह ं है बहुत सारे पु ष इसे समझ चुके है और जो नह ं समझ रहे वह भी ज द ह समझ जायेगे
एवं अंत म ववाह नमक सं था का समा त होता तय है य द भारतीय समाज से बाहर नकल कर देखे तो
पाएंगे क अ धकांश पु ष ववाह को ाथ मकता नह ं देते भारतीय अभी इस प रि थ त से थोड़ा दूर ह
पर तु इतना दूर नह ं क इसे देखा ह न जा सकता हो
ऐसे म सोचा जा सकता है क या ववाह नमक सं था को बचाना ज र है या बचाया जा सकता
है ?
यह मह वपूण नह ं है क इस सवाल का जवाब या है मह वपूण है क यह सवाल उठ खड़ा हुआ
है ऐसे म जवाब समझने के लए एक प रि थ त पर वचार करते है
मान ल िजये क कसी कमरे म 3 कु सयां मौजूद है और उस कमरे म 6 लोग आते है तो 6 लोग
3 कु सय का इ तेमाल कैसे करगे सम या वकट है पर तु इस सम या के कई हल हो सकते है
सभी 6 लोग 3 कु सयां share karke बैठ सकते है
सभी लोग ज़मीन पर बैठ सकते है
3 लोग कु सय पर और 3 ज़मीन पर
3 लोग को कमरे से भगाया जा सकता है
3 नई कु सयां बनाई जा सकती है (Iron Men)
3 लोग को मार दया जाये तो बचे हुए 3 लोग 3 कु सय पर बैठ सकते है (By Thonas) इसके अ त र त भी अ य कई उपाय आ सकते है और सच भी यह है क अलग अलग लोग
अपने समझ के अनुसार अलग अलग उपाय अपनाएंगे
कर ब कर ब यह यव था ववाह के लए भी है ववाह के साथ जुड़े खतर को देखते हुए नि चत
है क ववाह एक ऐसी सं था बन जायेगा जो क अवां छत होगी पर तु कुछ लोग सभी खतर को
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ववाह एवं तलाक
नज़रअंदाज़ करके भी ववाह करते रहगे यह आज हम अमे रक समाज म देख रहे है अमे रका म
अ धकांश युवा ववाह नह ं कर रहे है और कुछ कर भी रहे है शायद यह भारतीय ववाह का भी भ व य है
तो या यह एक बुरा भ व य है ?
नह ं इसका बुरा या अ छा होने से कोई वशेष लेना देना नह ं है सम या सफ वतमान है जब क
पु ष जाग क नह ं है उनको नह ं पता क ववाह करके दाव पर या लगा रहा है और कतनी बड़ी क मत
वह चुकाने जा रहे है एक बार जाग कता आ जाये तब पु ष अगर दाव खेलना चाहेगा तो यह उसक
अपनी इ छा अनुसार होगा जब जुआ खेला जाता है तो खेलने वाले को पता रहता है क वह दाव हार भी
सकता है पर तु ववाह नाम के जुए म वतमानं म दाव बना riskfactor क जानकार के ह लगाए जा रहे
है
ऐसे म जो लोग दाव लगा चुके है और अब वह दाव से बाहर आना चाहते है उनके लए सम या
गंभीर हो सकती ऐसे लोग के लए न केवल इमोशनल लेवल पर सम या है बि क सामािजक एवं कानूनी
तौर पर भी सम या है य क पु ष अनजाने म ववाह नमक सं था जो क उसके लए एक जाल बन
चुक है उसमे फसा है उसके लए जाल से नकलने का नणय इमोशनल लेवल पर घातक है य क उसे
ववाह के जो सपने समाज ने दखाए या यूँ कह क समाज ने उसे गुमराह कया ववाह वह सुनहरा सपना
नह ं नकला ऐसे म पु ष के लए यह इमोशनल एक झटका है इसके अलावा उसके सामने सामािजक
एवं ल गल दबाव भी है
सामािजक तौर पर तलाक को अभी उस हद तक वीकायता नह ं मल पायी है ह दू सं कृ त म
ववाह का ावधान तो रखा गया पर तु तलाक का ावधान नह ं रखा गया य क िजस व त के समाज
ने ह दू सं कृ त का नमाण कया उस व त ववाह जीवन बि क 7 ज म का बंधन माना गया इसी लए
तलाक का ावधान नह ं रखा गया बदलते व त ने तलाक के ावधान को कानूनी प दया पर तु पर तु
सामािजक तौर पर अभी भी कुछ लोग इसे वीकार नह ं कर पाए है एवं तलाक को बुर एवं बदनामी
लायक हरकत मानते है
ऐसा ह एक उ धरण मेरे सामने आया िजसमे क call करने वाले पु ष ने कहा क उसके प रवार
एवं र तेदार म कसी का तलाक नह ं हुआ … … … … … … इस तरह क सोच पु ष पर भार
समाजीक दबाव का काम करती है इसके अलावा एक अ य पु ष भी मेरे म है जो क हमेशा इस बात पर
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ववाह एवं तलाक
जोर देते ह क ह दू सं कृ त म तलाक का ावधान ह नह ं है हुए बदलाव को वह हमेशा
इ नोर/अ वीकार कर देते है इस तरह का य हार अ धक कॉमन है इस य हार को समझने के लए
अ मश पाठ क ‘ शवा ओलो य‘ अथवा ‘ तज क संतान‘ एक बेहतर न पु तक हो सकती है इसके
अलावा भी कई पु तक है जो बदलाव क अ वीकृ त को बेहतर न तर के से ए स लेन कर सकती है
इसके अलावा कानूनी मुि कल भी ह िजनका सामना पु ष को करना पड़ता है मु य तौर पर पु ष
को कई तरह के आपरा धक आरोप भी कोट म झेलने पड़ सकते है इसके अ त र त न केवन कानूनी
ावधान बि क कानूनी ावधान क पालन करवाने वाले भी बहुत अ धक झुकाव रखते है और यह
झुकाव पु ष के वरोध म है इस लए यह कोई पु ष ववाह पी जाल से नकलने क सोच भी ले तो इस
यास म उसका तमाम िज़ंदगी क मेहनत एवं इ ज़त और कई मामल म तमाम िज़ दगी गुजर सकती
है एक उ धरण के तौर पर हम उस यि त को ले सकते है िजसने 33 साल क आयु म तलाक क अज
दा खल क और आज उसक आयु 45 वष है पर तु अभी तक उसक आि लकेशन लोअर कोट म ह
प डंग चल रह है जब क पछले 12 साल के दौरान उस पर 7 आपरा धक मामले दायर कये गए िजनमे
से उसको बाइ ज़त बार कया गया
इस सम त घटना म का एक पहलु नफरत का और भी है िजसपर शायद अ धकांश लोग सोचना
भी नह ं चाहते फर से उसी यि त का उ धरण ले सकते है िजसका तलाक का केस 12 साल बाद भी
प डंग है जब म उस यि त से बात क तो सामने सफ इतना ह आया क अब उस यि त के दल म
लड़क और प रवार के लए इस हद तक नफरत भर चुक है क वह कसी भी क मत पर कोई भी फसला
नह ं करना चाहता बि क वह लड़क के प रवार के हर सद य को अपना दु मन मानता है और दु मनी
अपनी मृ यु तक नभाने का इ छुक है चाहे इसक कोई भी क मत उसे चुकानी पड़े यह उ धरण
यि तगत दु मनी का है अगर इस उ धरण को छोड़ दया जाये भी दया जाये तो अ य कई उ धरण
सामने आये है सबसे नया उ धरण मीतू के बाद आया जब कई पु ष ने म हलाओं के साथ काम करने से
इंकार कर दया य क वह इसे अपने लए सुर त नह ं मानते अतः प ट है क म हला अवं पु ष के
बीच दू रयां बढ़ रह है जब तक प रवतन वीकाय होगा तब तक म हला अवं पु ष इस हद तक दूर हो
चुके ह गे क शायद कोई यव था दू रय को भर न पाए और ऐसा सफ इसी लए य क प रवतन
संतु लत न होकर पु ष वरोधी रह गया है
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ववाह एवं तलाक
हाल ह म सु ीम कोट वारा दया गया नणय िजसके टहल मै रटल रपे वारा गभधारण को
म हला अपनी इ छा अनुसार कभी भी गभपात करवा सकती है | यह नणय न केवल मै रटल रपे क
अवधारणा को था पत करता है बि क पता को सफ एक पम डोनर के प म था पत करता है |
यक़ नन यह नणय आने वाले वष म पु ष क आँख खोलने वाला सा बत होगा | बेशक अभी अगले कुछ
साल म कई पु ष को कुबान होना पड़ेगा पर तु अंततः उसे समझ आ ह जायेगा क उसक भू म अब
सफ एक ोवाइडर या गुलाम क है िजसके पास कोई अ धकार नह ं |
शायद यह व त है जब क हम वीकार करना होगा क ववाह का अथ अपना पूरा जीवन क
मेहनत दाव पर लगाना है और यह नयी जनरेशन को बताने क एवं जाग क करना ह व त क ज रत
है
Marriage is A Sword accept it before it is too Late 74
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Oct 1st, 2022
Who Care for My Safety
Sandeep Mehta
Just a few days back India witnessed an incident in BHU. The incident was neither unique nor new. I hope you remember the news about girls' safety in University.
Question is what is new in that, such demand is common and every few days in some part such demand rises. Is the demand wrong ? No I am not saying if demand is wrong, but the way such demand is raised by media and women groups it looks like every Indian Male is nothing more than a monster. They are waiting in every corner for girls to come out and hunt them. Well the news about universities and their demand reminds me of a scene from a movie.
‘NAAM SHABAANA’. No no, I am not talking about any girl named Shabana, but I am talking about a movie titled ‘Naam Shabaana’. In the same movie the hero was killed by another boy on the road. If someone is not remembering, let me describe the scene.
Hero is coming back after a late night dinner. in the way 5 or 6 goons start commenting on girls. This continued for a few seconds then the goons went away. Now the important thing is during these few seconds both hero and actress stay calm (if we ignore the look on actress face). As soon as goon goes away the hero comments something and the actress replies when it was time to speak u was silent (this looks like a provoking to do something). In the same bike riding both meet with the same goon 75
Menʼs HUB 26
Who Care for My Safety
again and this time the actress herself goes into a violent fight (there was enough room to go away, even if goons try to stop them). Important is the hero try to stop actress but she goes on fight (she is a boxer) and finally hero jump into fight and get killed.
Ok now the points we can notice :
● Hero is not interested in fighting. He wanted to go away without a fight.
● Actresses are more interested in fighting and enter into unnecessary fights.
● Hero tries to jump into the fight even though he know the risk very well.
Now my answer for all doughs is ‘Men understand where the risk is’ and ‘Women don’t understand the risk’. Also one more thing to notice is that men have a habit of saving women, even if they are aware of the risk factor.
Here I am talking about the movie scene but the same applies to Indian Society too. I believe there is risk out for everyone without caring for Gender, but men know the risk and he also knows how to handle the situation and he enjoys his freedom by staying away from risk. At the same time women were not aware of risk and they wanted to enjoy freedom without staying away from risk.
I may be wrong, but if I am, please explain how women is in more danger and don’t say every Indian men is monster.
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Oct 1st, 2022
केशव & शमा - दशेरा और
रावण
केशव - शमा जी नम कार | कहाँ जा रहे ह |
शमा : रावण को मारने आज दशेरा है न
केशव : रावण को मारने ....... !!!
शमा : केशव जी रावण के पुतले को जलते हुए देखने जा रहा हूँ | हमारे अंदर कोई रावण नह ं है िजसको
मारने क ज रत हो | हम राम के वंशज है हम मी डया आपसी नफरत ने बदनाम कया है | हम अ छे
लोग है रावण नह ं |
केशव : वाह शमा जी मज़ा आ गया | दो मनट कए म भी चलता हूँ रावण को मारने ....... ओह सॉर
रावण के पुतले को जलते हुए देखने |
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MEN’S HUB
Oct 1st, 2022
01 - हंगामा
सुबह से ह घर के बाहर हंगामा हो रहा था । एक बार बाहर नकल कर देखा भी परंतु ऐसा कुछ
नह ं था िजसमे मेर दलच पी हो बस इसी लए काफ लेकर ट वी के सामने आस न जमा लया ।
जब काफ देर तक हंगामा बंद नह ं हुआ और ड टबस कुछ यादा ह बढ़ गया तब मजबूरन कु े
को जंजीर खोलनी पड़ गई और बस फर हंगामा दूर होता चला गया । हंगामा सफ दूर हुआ है ख म
नह ं, अब इंतजार है पु लस के आने का ।
वैसे तो हंगामा बना वजह ह हो रहा था परंतु यह िजंदगी के मेरे कनारे क बात है दूसरे कनारे
के लए यह बात सह नह ं है । दूसरे कनारे के लोग मुझे दोषी ठहराने के लए हर ह थयार इ तेमाल कर
रहे है और आगे भी करगे इसम कोई शक नह ं । वैसे आज का हंगामा नया नह ं है ।
असल क सा तो वैसे शु हुआ था तकर बन एक साल पहले जब मेर उससे मगनी हुई थी ।
शाद इस साल होनी थी । एक दन होने वाले ससुर के घर पर बहुत हंगामा हुआ , इतना हंगामा क मुझे
जाना पड़ा । पता चला क होने वाले ससुर क लड़क वै या बनाना चाहती है । होने वाले ससुर आग बबूला
हो रहे थे । मुझे भी अजीब लगा परंतु उसका फैसला था तो ऐसे म दखल देना उ चत नह ं था । लहाजा
उसके फैसले का स मान करते हुए मैने ससुर को कह दया करने दो जो करना चाहती है । होने वाले ससुर
ने मुझे घूर कर देखा और फर शांत हो गए । वो हाई ोफाइल वै या बन गई ।
कल शाम होने वाले ससुर आए थे शाद क तार ख तय करने । मेरा इंकार सुनकर उखड़ गए बस
इसी लए आज दोनो बाप बेट सुबह सुबह आकार हंगामा कर रहे थे ।
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हंगामा
हंगामे का अंदेशा पहले से ह था य क पता है उसे दूसरे के फैसले का स मान करना सखाया ह
नह ं गया । मेरा जवाब प ट है उसके फैसले का स मान मैने कर दया उसे भी मेरे फैसले का स मान
करना चा हए , परंतु सुनेगा कौन ?
हंगामा फर होगा, पु लस भी आयेगी, पेपर मेरे खलाफ बहुत कुछ छापगे, दहेज , डोमेि टक
वायलस, रेप के आरोप भी लगगे परंतु आ खर म उसे यह मानना ह होगा क जो फैसला कसी और का
अ धकार है उसमे उसका कोई दखल वीकार नह ं कया जा सकता ।
वै या बनाना या नह ं बनाना उसका अ धकार है, वै या से कसी क म का संबंध रखना या नह ं
रखना मेरा और सफ मेरा अ धकार है ।
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Oct 1st, 2022
आजाद प रंदा – आ म नभर
न मता सुबह 7 बजे ह यूट पालर पहुँच गयी थी | यूट पालर चलाने वाल म हला उसक
सहेल थी और वशेष तौर पर न मता के अनुरोध पर ह यूट पालर इतनी सुबह खुला था | यूट पालर
म न मता ने पुरे 2 घंटे सजने सवरने म गुजारे थे | लहाज़ा जब न मता घर पहुंची तो उसक भाभी को
उसे काला टका लगाने क ज रत महसूस होने लगी | न मता दखने म खूबसूरत थी और आज मेकअप
के बाद तो गजब ढा रह थी |
न मता को सजने सवरने का शोक था पर तु आज तो उसे अ वनाश देखने आ रहा था इसी लए
उसने वशेष तौर पर तैयार होने के नदश उसक माँ ने दए थे | अ वनाश का न मता क भाभी से बहुत
दूर का स ब ध था | स ब ध इतनी दूर का था क भाभी क अ वनाश से कभी मुलाकात नह ं हुई थी |
र ता तय करने म भाभी के माता पता का मह वपूण सहयोग रहा | र ते के बारे म पं डत जी ने बताया
और गहन पूछताछ से मालूम हुआ क अ वनाश का भाभी के मायके क तरफ कुछ र तेदार नकलती है
और उसके बाद तो भाभी के माता पता ने ह बात को आगे बढ़ाया | अ वनाश का न मता को देखने आना
एक फॉम लट मा थी सब बात प क हो चुक थी | अ वनाश के माता पता न मता को देख चुके थे उसे
पसंद भी कर चुके थे यहाँ तक क शगुन भी देने जा रहे थे क तभी कसी ने, पता नह ं कस कलमुहे ने
टोक दया | वैसे बात कुछ वशेष नह ं थी बस कसी ने कह दया क एक बार अ वनाश से बात कर ल
जाये | बस इतनी सी बात थी अब य क बात सह थी और व त क ज रत थी बस इसी लए अ वनाश
क माता जी ने शगुन डालने के लए आगे का दन तय कर दया था और बता दया था क तार ख से
पहले अ वनाश आकर न मता को देख जायेगा | अ वनाश क माता जी ने प ट कह दया था क
अ वनाश का देख जायेगा नए ज़माने क फॉम लट है बा क तय तो हो ह चुका है |
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आजाद प रंदा – आ म नभर
हला क सब तय था फर भी कुछ अ नि चतता तो मन म थी ह इसी लए न मता के माँ बाप ने
अनजान कलमुहे को इतनी गा लयां नकाल द थी क उसक सात कुल का नरकगामी होना तो तय हो
ह चुका था |
न मता के माता पता लखप त थे और न मता खूबसूरत थी और इसी लए न मता के लए अरब
प त घराने क तलाश थी | इससे पहले क करोड़प त घरान से बातचीत चल और लगभग सब तैयार थे
पर तु न मता के माता पता अरब प त क उ मीद लगाए हुए थे और अ वनाश अरब प त से भी कुछ
ऊपर घराने से तालुक रखता था इसी लए न मता के माता पता इस र ते को कसी क मत पर छोड़ना
नह ं चाहते थे |
अ वनाश के माता और पता अ यापक थे और उसका लालन पालन म यमवग य प रवार म
हुआ | कॉलेज के समय से ह अ वनाश ने अपना यापार करने के सपने देखना आर भ कर दया | सफ
सपने ह नह ं देखे बि क अपने आप को सम पत कर दया | नतीजा कॉलेज समा त करने के 1 मह ने के
अंदर ह उसने अपना टाटअप का उदघाटन कर लया | और फर अगले 7 साल कब गुज़रे कैसे गुज़रे
अ वनाश के अलावा कोई और बयान नह ं कर सकता | पर तु प रणाम तो बहुत ब ढ़या तर के से तराशे
हुए ह रे से भी यादा चमकदार है इसी लए अ वनाश के बना बताये ह उसक मेहनत दखाई देती है |
अ वनाश क कंपनी जी कसी व त एक छोटे से कराये के कमरे से शु हुई थी आज देश के सभी बड़े
शहर म कंपनी के ऑ फस थे , अरब का सालाना प ॉ फट एवं कई हज़ार कमचार | अ वनाश के माता
पता जो कभी पैदल अपनी नौकर पर जाते थे आज उसके लए महंगी वदेशी कार वद धर ाइवर के
साथ हर व त मौजूद रहती है |
अ वनाश ने बहुत मेहनत क आज भी मेहनत करता है इसके बावजूद अपने माता पता के साथ
बैठना उसे अ छा लगता है और हर ह ते कुछ समय नकाल कर वह अपने माता पता क ख़ुशी और
सु वधा जानने के लए उनके पास बैठता है | इसी लए अ वनाश के माता पता नि चंत है क जैसा
उ ह ने तय कर दया है अ वनाश वैसा ह करेगा, देखने जाना तो बस बदलते व त क मा फोम लट है |
वैसे न मता के माता पता ने वतं साधन से िजतना पता लगाया है उससे उनको यह
जानकार मल है क अ वनाश वह करेगा जो उसके माता पता तय कर दगे | इसी लए न मता के माता
पता भी नि चंत है फर भी कह ं न कह ं थोड़ी आशंका तो है ह |
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आजाद प रंदा – आ म नभर
पर तु या वा तव म अ वनाश वैसा ह करेगा जैसा उसके माता पता चाहते है ?
यह सवाल िजतना पेचीदा है उतना ह रह मयी भी है |
जब न मता के पता को अ वनाश के बारे म पता चला तो वह अपने समधी के पास पहुंचे और
अपनी मंशा जा हर क | पहले तो समधी महाशय अ वनाश या उसके माता पता को पहचान ह नह ं
सके | याद दलवाने पर र तेदार समझ म आयी तो आ वासन दे बैठे क य द र तेदार है तो कोई न
कोई जानकर मल ह जायेगा | और अगले ह दन समधी साहब वमा जी के घर पहुँच गए | वमा जी और
अ वनाश के पता एक ह गाओं म उ पन हुए थे इसी लए आज भी मलने जुलने का स ब ध था | वमा
जी से ह समधी साहब को जानकार मल क अ वनाश क शाद तो उसके माँ बाप ह तय करगे और
अ वनाश वह करेगा जो उसके माँ बाप कहगे |
वैसे वमा जी कभी अ वनाश से नह ं मले थे | जहाँ तक वमा जी को याद पड़ता है दो मह ने पहले
एक बार अ वनाश ने तीस फ़ ट दूर से वमा जी को हाथ जोड़ कर नम ते ज र क थी और बस इसके
अलावा वमा जी ने अ वनाश क आ ाका रता के क से सुने या देखे थे | जैसे क एक बार जब वमा जी
अ वनाश के पता के पास बैठे थे तब उ ह ने अ वनाश को वमा जी के लए पान खर द कर लेन का हु म
सुना दया था | वैसे तो यह काम नौकर करता था पर तु य क आदेश अ वनाश के नाम लेकर दया
गया था इसी लए अ वनाश तुरंत ह नज़द क पान वाले से पान क कई बीड़े पैक करवा लाया | एक तर के
से अ वनाश के पता ने आ ाका रता क पर ा ल या यंू कहा जाये क आ ाका रता का दशन कया
और अ वनाश उसमे खरा उतरा | अ वनाश के माता पता अवसर मलने पर अपने आदेश क शि त क
पर ा अ सर करते रहते थी और अ वनाश ने कभी भी उनको नराश नह ं कया | बस इतनी सी बात थी
िजसके कारण वमा जी ने कह दया को होगा वह जो अ वनाश के माता पता तय कर दगे |
न मता के पता ने सुनी सुनाई बात पर यक न नह ं कया बि क अपने वतं सोस से पता
लगाया | उनको पता चला क अ वनाश के पुराने मकान के बगल म जो नमल बाबू रहते है उनके
अ वनाश से बहुत अ छे स ब ध है | और नमल बाबू न मता के पता के दो त के ऑ फस म लक है |
तो उनको बुलाया गया पूछताछ के लए और नमल बाबू ने इस बात पर प क मोहर लगा द क वह
होगा जो उसके माँ बाप तय कर दगे |
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Menʼs HUB 26
आजाद प रंदा – आ म नभर
वैसे नमल बाबू का क सा बस इतना सा है क एक दन उनको ऑ फस के काम से अ वनाश के
मु य ऑ फस म जाना पड़ा | उनको बस कुछ बल वहां पर एक लक को देकर आने थे | जब नमल बाबू
वहां पहुंचे तब कसी पद के लए इंटर यू चल रहा था और ा थय क लाइन म उनके मोह ले का एक
लड़का भी मौजूद थे | नमल बाबू उस लड़के के पास क गए | बस एक सय ग मा था क अ वनाश के
पता ने नमल बाबू को देख लया और पहचान भी लया और उनसे मलने क इ छा जा हर क |
अ वनाश नमल बाबू को बुलाने वयं ह नीचे चले आये और अ वनाश ने न केवल नमल बाबू को अपने
पता का स देश दया बि क उनके घुटन को भी पश कया (आजकल पाव तक नह ं झुका जाता बि क
घुटनो तक ह झुका जाता है) और जब नमल बाबू अ वनाश के पता से साथ बैठे थे तब अ वनाश उनके
थोड़ी दूर खड़ा हुआ था | और उस दन एक मथक का ज म हुआ क अ वनाश अपने पता के सामने
बैठता नह ं जब तक क पता आ ा न दे | वैसे सच बस इतना ह था क अ वनाश उस दन कसी सोच म
डूबा हुआ था और उसे बैठने या खड़े रहने का याल ह नह ं था | कुछ सयोग ऐसा रहा क नमल बाबू के
जानकर का इंटर यू सफल रहा और मोह ले म यह बात फ़ैल गयी क नमल बाबू का अ वनाश से बहुत
खासम खास स ब ध है | और नमल बाबू ने इस अफ़वाह का खंडन नह ं कया | वैसे नमल बाबू क
अ वनाश और उसके पता से उसके बाद दोबारा कभी मुलाकात नह ं हुआ |
पर तु नमल बाबू जैसे अपने सभी प र चत को संतु ट करते थे वैसे ह न मता के पता को भी
संतु ट कर दया | शक क कोई गंुजाईश नह ं फर भी जब अ वनाश आ रहा है तो यह मह वपूण है और
उसके लए सब तेया रया क गयी है |अ वनाश को 11 बजे आना था और ठ क 11 बजकर कुछ सेकंड पर
अ वनाश क गाडी न मता के पता के घर के सामने थी | अ वनाश के वागत क तैयार क गयी थी
पर तु जब अ वनाश पहुँचा तब कोई भी वागत के लए मौजूद नह ं था कसी को यक न नह ं था क थीं
11 बजे अ वनाश उनके घर क घंट बजा देगा | दरवाज़ा खोलते ह सामने अ वनाश को देखकर एक बार
तो न मता के पता बोखला गए पर तु अनुभवी यि त थे अपनी बोखलाहट छपाकर वागत कया और
अ वनाश को ब ढ़या तर के से सजे हुए ाइंग म म ले आये | फूल मालाओं एवं गुलाब जल के छड़काव
का इंतज़ाम कया गया था पर तु प रि थ त ऐसी बन गयी क बस जुबानी वागत ह कर पाए | फर
भी अ वनाश का चेहरा देखा कर न मता के पता संतु ट थे |
न मता एवं अ वनाश के प रवार आपस म मल चुके थे वतमान मुलाकात न मता एवं अ वनाश
क ह थी इसी लए चाय ना ते के बाद दोन को अकेले छोड़ दया गया | न मता वशेष प से सजी धजी
थी जब क अ वनाश लगभग वैसे ह आ गया था जैसे अपने खाल व त म कसी भी सामा य यि त को
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Menʼs HUB 26
आजाद प रंदा – आ म नभर
होना चा हए | न मता अ वनाश से उसक
च खाने पीने क आदत , व त पास करने के साधन , उसक
इनकम कतना कुछ था िजस बारे म जानना चाहती थी जब क अ वनाश क इन सब बात म जरा भी
दलच पी नह ं थी वह बात करना चाहता था भ व य के ो ाम के बारे म |
अ वनाश : हेलो
न मता : हेलो
अ वनाश : हाउ आर यू
न मता : आई ऍम फाइन एंड यू
अ वनाश : ेट
न मता : आप दन म कतने घंटे काम करते है
अ वनाश : िजतनी आव यकता हो
न मता : खाने म आपक पसंद या है
अ वनाश : व त पर जो मल जाये
न मता : और खाल व त म या करते है
अ वनाश : जो इ छा हो
न मता : शायद इस बारे म बात नह ं करना चाहते
अ वनाश : यह वषय मह वपूण नह ं है
न मता : या यह मह वपूण नह ं है क हम एक दूसरे के बारे म जाने िजससे क भावी िज़ंदगी
खुश हाल हो सके
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Menʼs HUB 26
आजाद प रंदा – आ म नभर
अ वनाश : या एक पोलो खलाड़ी और शेयर मा कट का द गज खुशहाल रह सकते है
न मता : बलकुल ीतपाल एवं रेशमा देश के मशहूर यि त है (का प नक) अ वनाश : बलकुल म उ ह दोन क बात कर रहा था
न मता : वशेष तौर पर उनक ह य
अ वनाश : दोन क चयाँ बलकुल अलग है फर भी खुश हाल है
न मता : फर भी एक दूसरे के बारे म जानना सहायक हो सकता है
अ वनाश : उसके लए पूर िज़ंदगी पड़ी है
न मता : आपक नज़र म खुश हाल रहने के लए या आव यक है
अ वनाश : जीवन के त नज़ रया
न मता : वह कैसे
अ वनाश : आपक पढाई कहाँ तक है
न मता : M.A.
अ वनाश : शायद 2 वष हो गए पढाई छोड़े हुए
न मता : नह ं अभी P.Hd. म एड मशन लया हुआ है
अ वनाश : P.Hd. म एड मशन कस मकसद से लया
न मता : माता पता चाहते थे क शाद कर द जाये पर तु सह पाटनर क तलाश म कुछ समय
तो लगना तय है ऐसे म कुछ तो करना ह था |
अ वनाश : मतलब क P.Hd. करने का मकसद सफ इतना है क खाल दखाई न दे
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आजाद प रंदा – आ म नभर
न मता : हा ऐसा ह कुछ
अ वनाश : या यह समय क बबाद नह ं है
न मता : कैसे
अ वनाश : इन दो वष म कुछ सकारा मक भी तो कया जा सकता था
न मता : जैसे क
अ वनाश : जैसे क कुछ ऐसा िजससे बौ धक वकास म मदद मल सके या कुछ ऐसा िजससे
अपने पैर पर खड़े होने म मदद मल सके या कुछ ऐसा िजससे कसी ज़ रतमंद क मदद हो सके
न मता : समाज सेवा जैसा कुछ
अ वनाश : बहुत सारे उपयोगी काम म से यह भी एक है
न मता : मेरे पता अनाथ आ म को एवं कई मं दर को चंदा देते है
अ वनाश : जा हर है उ ह ने अपनी पूर िज़ंदगी काम कया है तो अब कुछ समाज सेवा भी कर
लेते है यह अ छ बात है
न मता : पछले मह ने ह मेरे नाम से वामी जी को मं दर नमाण के लए 2 लाख का डोनेशन
दया है
अ वनाश : आपके पता ने बहुत ब ढ़या काम कया
न मता : चेक मेरे नाम से दया गया है
अ वनाश : दया तो आपके पता ने है
न मता : जा हर है मेर अपनी तो कोई कमाई नह ं है
अ वनाश : तो या दो वष म अपने पैर पर खड़े होने का यास नह ं करना चा हए था
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Menʼs HUB 26
आजाद प रंदा – आ म नभर
न मता : माता पता शाद करना चाहते थे
अ वनाश : म अपने पैर पर खड़े होने क बात कर रहा था
न मता : मेरे पता स पन यापार है और मेर शाद एक स पन यि त से ह होगी मुझे कमाने
क ज रत नह ं है
अ वनाश : या ऐसा होना आव यक है
न मता : हां ऐसा ह होगा
अ वनाश : मान ल िजये क आपके प त को यापार म नु सान हो जाये और वह दवा लया हो
जाये
न मता : आ थक िज़ मेदार सामािजक और कानूनी तौर पर प त क है य द यापार म नु सान
हो भी जाये तो भी उसे कुछ उपाय तो करना ह पड़ेगा
अ वनाश : और प नी के तौर पर आपक िज़ मेदार
न मता : घर क देखभाल और ब च क परव रश
अ वनाश : जैसे क
न मता : खाना बनाना और खलाना
अ वनाश : उसके लए अ छे से अ छे कुक को रखा जा सकता है सफ दस हज़ार म | मेरे घर पर
भी दो कुक है और हर स पन घराने म कुक रखा जाता है | मेर माता भी रसोई म नह ं जाती बस सुबह
बता देती है आज या बनेगा | ऐसे म मेरे घर पर आपके लए तो कोई िज़ मेदार ह नह ं है
न मता : घर पर और भी बहुत काम होते है
अ वनाश : जैसे क
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Menʼs HUB 26
आजाद प रंदा – आ म नभर
न मता : घर क सजावट , र तेदार से मेल मलाप , ब च क पढाई आ द
अ वनाश : इनमे से कोई भी काम ऐसा नह ं है िजसके लए प नी क आव यकता हो यह सारे
काम नौकर करते है | जैसे क सजावट आजकल डेकोरेशन एजसीज करती है | ब च क पढ़ाई के लए
अ छे से अ छे कूल मौजूद है |
न मता : र तेदार से मेल मलाप भी
अ वनाश : र तेदार से मेल मलाप के लए एक डे डकेटेड यि त क आवशकता तो नह ं होती
न मता : ऐसे ह और भी कई काम है जो नौकर नह ं कर सकते
अ वनाश : ऐसे बहुत सारे काम है
न मता : बस वह सारे काम ह एक प नी क िज़ मेदार है
अ वनाश : हो सकता है | मान ल िजये म सड़क पर जाती हुई कसी भी लड़क से शाद कर लेता
हूँ तो वह सारे काम तो वह लड़क भी कर लेगी
न मता : कहना या चाहते है आप
अ वनाश : सफ पूछना चाहता हूँ क आप म या वशेषता है िजसके कारण मुझे आपसे शाद
करनी चा हए
न मता : मने M.A. कया है और P.Hd. कर रह हूँ
अ वनाश : हर साल हज़ार लड़ कयाँ M.A. करती है और P.Hd. आपने खुद कहा क टाइम पास
है
न मता : तो आप अपनी प नी म या वशेषता चाहते है
अ वनाश : वह जो हर यि त म होनी चा हए आ म नभरता
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Menʼs HUB 26
आजाद प रंदा – आ म नभर
न मता : म जब चाहे अ छ नौकर या अ छा बज़नेस चालू कर सकती हूँ
अ वनाश : हां ऐसा संभव है पर तु आपने आ म नभरता क अपे ा P.Hd. म एड मशन लेकर
व त बबाद करना उ चत समझा | आ म नभर होने का अथ नौकर करना या यापार करना नह ं है |
न मता : तब आ म नभरता या है
अ वनाश : आ म नभरता एक अहसास है जो आपको बताता है क आपके पास दो हाथ काम
करने के लए , दो पैर भाग दौड़ करने के लए , दो आँख देखने के लए , दो कान सुनने के लए है आप
वयं अपने पालन पोषण के लए िज मेदार है न क आपका प त या कोई और आपको कमा कर खालने
के लए िज मेदार है |
न मता : तो आप चाहते है क आपक प नी काम करे न क घर क देखभाल
अ वनाश : या घर क देखभाल आ म नभरता का ह सा नह ं है ? य द कुक नह ं है तो म खुद
खाना बनाने के लए रसोई म मेहनत भी कर लेता हूँ ज रत होने पर साफ़ सफाई भी कर लेता हूँ
न मता : तो आप अपनी प नी से या चाहते है
अ वनाश : सफ इतना क उसे यह पता हो क म ATM card नह ं हूँ बि क एक वतं यि त
के प म मने ज म लया है मेर अपनी िज़ंदगी है और वह अपनी िज़ंदगी को अपने तर के से तराशना
जानती हो
न मता : या म ऐसा नह ं कर सकती ?
अ वनाश : आप वयं कुछ बनने क बजाये अपना व त बता रह है ता क कोई स पन यि त
आपसे ववाह करके ले जाये और आपक सब िज़ मेदार उठाये
न मता : तो आप मुझसे शाद करने से इंकार कर रहे है
अ वनाश : प ट श द म कारण स हत इंकार कर रहा हूँ
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आजाद प रंदा – आ म नभर
न मता : या आपको यक न है आप ऐसी प नी पा सकगे जैसी आप चाहते है
अ वनाश : हो सकता है न पा सकंू
न मता : तब आप या करगे कसी मेर जैसे से ह शाद करगे
अ वनाश : शाद करना मजबूर तो नह ं है
न मता : शार रक ज रत
अ वनाश : हर कसी क शार रक ज रत है और पूर भी होती है मेर भी होती है
न मता : आपके कसी से नाज़ायज़ स ब ध है
अ वनाश : सहम त के स ब ध | ठ क वैसे ह जैसे आपके सु मत से है
न मता : सु मत ने मुझे बहकाकर धोखे से ………
अ वनाश : नह ं आप दोन के स ब ध सहम त के थे उसे वैसा ह रहने द िजये
न मता : ओह तो यह कारण है शाद से इंकार का
अ वनाश : य द यह कारण होता तो मुझे यहाँ आने क ज रत नह ं थी मने फ़ोन पर ह इंकार
भजवा दया होता | खेर मने अपना नणय आपको बता दया है चलकर आपके पता को अवगत करवा
दया जाये
न मता : मेरा याल था क आपके जाने के बाद आपके पता फ़ोन पर इंकार करगे
अ वनाश : यह मेरा नणय है और इसे मुझे ह घो षत भी करना चा हए मेरे पता मेरे नणय से
सहमत या असहमत हो सकते है पर तु नणय का पालन तो मुझे ह करना है |
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आजाद प रंदा – आ म नभर
न मता एवं अ वनाश के बीच लगभग 2 घंटे तक बातचीत हुई | न मता बातचीत से संतु ट थी |
न मता के प रवार वाले ल बी बातचीत के कारण लगभग मान चुके थे क अ वनाश न मता को पसंद कर
चुका है | इस बीच अ वनाश के पता भी न मता के पता से फ़ोन पर बात कर चुके थे और उ ह ने शाद
क तार ख भी तय कर रखी थी सफ अ वनाश को बताने क ज रत थी | सब कुछ सह था |
सब कुछ सह था पर तु य द कोई यि त पूण प से नि चंत थे तो वह थे अ वनाश | अ वनाश
ने जाने से पहले न मता के पता से मुलाकात क और उनसे प ट श द म कहा क म इस बात क
आव यकता नह ं समझता क घर जाकर अपने माता पता के मा यम से स देश भजवाऊं बि क जो
न चय है उसे यह कह देना आव यक समझता हूँ मेरे वचार से म वतं एवं आ म नभर हूँ और वैसी
ह प नी चाहता हूँ | न मता अ छ लड़क है पर तु उसमे आ म नभरता के नाम पर सफ कुछ
प रभाषाओं क जानकार है अपनी लाइफ म उसने आ म नभरता को न तो अपनाया है और न ह
अपनाने क आव यकता समझती है | उसे प नी के प म अपने अ धकार के बहुत अ छ जानकार है
पर तु उसे आ म नभरता का कोई ान नह ं है | ऐसे म न मता के लए मेरा मह व सफ और सफ
उसका खच पूरा करने क मशीन िजतना ह होगा | इसी लए म इस ववाह के लए कभी भी सहम त नह ं
दे पाऊंगा |
अ वनाश जब घर पहुंचा तब उसके पता को सम त घटना म क जानकार मल चुक थी और
सोच पूण मु ा म बैठे थे | अ वनाश का वचार था क उसे अपने पता को प ट करण देना पड़ेगा पर तु
ऐसी आव यकता नह ं पड़ी य क उसके पता न केवल अ वनाश के ज म दाता थे बि क अ वनाश क
वचारधारा के ज म दाता भी वह थे |
इस घटना म को तकर बन 10 वष गुजर चुके है इन 10 वष म काफ कुछ हो चुका है | जैसे क
न मता क शाद करोड़प त घराने म हो गयी और आज 90 कलो वजन क सेठानी और दो ब च क माँ
है | उसका प त उसके ख़च से परेशान है पर तु खच देते रहा उसक मजबूर है |
और आकाश 5 वष पहले अपना यापार देश के बाहर वदेश म ले गया और आज देश वदेश के
यापार जगत का जाना माना नाम है | और अ वनाश का वैवा हक जीवन ? अ वनाश ने 6 वष पहले
शाद क और उसका वैवा हक जीवन एक आदश नह ं पर तु एक पहेल अव य है, एक खूबसूरत पहेल |
पर तु उस बारे म कसी और व त बात करगे आज बस यह वदा लेते है |
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Oct 1st, 2022
02 - हंगामा
मेरे पास पैमे रयन है छोटा सा, बहुत ह समझदार कु ा है कसी को काटता नह ं परंतु भ क भ क
कर भगा देने म उ ताद । जब पैमे रयम लया तब मेरे पास ऑ शन था या तो पैमे रयन या पटबुल ।
मैने पैमे रयन चुना और आज से पहले कभी अवसोस नह ं हुआ । आज लग रहा है क बुल प ट भी लेना
चा हए था ।
सुबह से ह घर के बाहर चंद बु ढे और बु ढ़या का समूह इक ठा हो रखा है । वैसे तो कुछ जवान
म हला पु ष भी है परंतु चलो छोड़ो उनको ।
वैसे तो कोई वशेष मु दा नह ं है परंतु एक म जो पछले तकर बन 10 साल से काफ परेशान
थे अचानक पछले मह ने परेशा नय से नजात पा गए । म अब सुकून म थे बस हम सबने उनके इस
सुकून का ज न क शकल देते हुए एक शानदार पाट का आयोजन करने का फैसला कया । म से बात
हुई तो उसे वचार पसंद आया और उसने चंद बदलाव के साथ पाट का आयोजन वीकार कर लया ।
म क राय पर म के म को (ऐसे म जो लगातार परेशानी से गुजर रहे है) भी इनवाइट करने का
फैसला उ चत जान पड़ा लहाजा एक छोट सी पाट एक बड़े समारोह म बदल गई ।
य क पाट अब बड़े आयोजन के प म थी इसी लए बड़े हाल म इंतजाम करने के अलावा
बकायदा काड भी छपवा लए गए थे और शायद ऐसा ह कोई काड कह ं से इन बु ड के हाथ लग गया
और यह बु ढे समाज सं कृ त का रोना रोते हुए आयोजन को बंद करवाने के लए सब तरफ हाथ पैर
मारने के बाद आज यहा इक ठे हो गए है ता क आयोजन को र द करवाया जा सके ।
दरअसल मामला सफ इतना सा है क कई साल पहले जब म का उसक प नी से ववाद शु
हुआ उस व त मोह ले के यह बु ढे अपना मुंह सल कर अपने अपने काम म य त रहे । जब म और
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हंगामा
उसके मां बाप को पु लस ने पकड़ कर दहेज, डोमेि टक वायलस, रेप आ द के मामल म कोट म पेश
कया तब भी यह बु ढे बु ढ़या शां त से अपने काम म य त रहे । अगले दस साल तक म अपने
माता पता के साथ हर मह ने कोट म च कर लगाता रहा तब भी इनको कोई फरक नह ं पड़ा । पछले
साल जब म और उसके मां बाप सब आरोप से बर हुई तब भी इन बु ध का कहना था क याय नह ं
हुआ । म ने ू रता के आधार पर पछले मह न तलाक हा सल कर लया अब इन बु ध का मुंह कुछ
कुछ चलने लगा और जब ववाह व छेद को से ल ेट करने के लए आज म और म के कई म
इक ठा होने जा रहे है तब यह सारे बु ढे यहां सं कृ त का रोना लेकर हंगामा करने आ पहुंचे है ।
पटबुल ना होने का आवसोस दल म अपनी जगह रहा , परंतु पैमे रयन ने दल को सुकून हा सल
करवा दया जब एक भागते बु ढे क धोती मुंह म दबाए मेरे सामने वजेता क तरह आ खड़ा हुआ ।
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Oct 1st, 2022
दोगलापन
आज लाइट म कुछ अजीब नजारा पेश आ गया । सफर के दौरान नजर उठाकर इधर उधर
देखना भी दुभर हो गायब। बगल वाल सीट पर एक म हला (नई जेनरेशन क जवान म हला) थी और
उसके बाद थे एक नई जेनरेशन के आदमी । हाला क कोई वशेष फरक नह ं पड़ता क बगल म कौन है
य क म या ा के दौरान अपने टैब पर कुछ ना कुछ पढ़ता रहता हूं ।
सहया ी कुछ अ धक ह मॉडन थे और काम शा के लाइव दशन से कुछ दूर ह के हुए थे ।
और यह मेर परेशानी का कारण भी था । लड़का और लड़क दोनो अपने कामशा
म य त थे इसके
बावजूद जब भी मैने अपने टैब से नजर उठाई तो लगा जैसे लड़क मुझ पर चौक नी नजर रखे हुए ह।
आ खर मने भी अपनी शराफत छोड़ते हुए अपने टैब पर वा सायन क स च कामशा खोल
कर देखना शु कर दया ।
दोनो सहया ी अब के बन ू के पास शकायत करने के लए हाय तौबा मचाते हुए माहोल गरम
करने म य त हो गए । लहाजा उनका कामशा बंद हो गया और मैने शां त क सांस ल ।
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Oct 1st, 2022
मुदा िज म
जंगल के बीचोबीच एक मुदा िज म पर हजार या शायद लाख मि खयां भन भनाते हुए कभी
यहां और कभी वहां उछल कूद मचाए हुए थी । एक म खी िजसके घर के बाहर नेम लेट पर छेद लखा
था ह मत जुटा कर मुदा िज म क गुलामी से दूर नकल आई ।
उसने अपना नया ठकाना बनाया एक अ य मुदा िज म और घर के बाहर नेम लेट पर लखा
ग ढा । वभाव से खोजी ग ढा अ धक दन यहां भी गुलामी म न सक और एक बार फर उड़ चल नए
घर क तलाश म ।
एक बार फर नया घर बनाया एक अ य मुदा िज म पर और घर के बाहर नेम लेट पर लखा
सुराख । आजाद के द वाने अ सर गुलामी से ज द ऊब जाते है लहाजा सुराख को भी मुदा िज म क
गुलामी रोक नह ं पाई और एक बार फर सुराख सब जंजीर को तोड़ कर उड़ चल ।
नए घर के बाहर नेम लेट पर लखा होल । सब सुखद था परंतु ठकाना तो मुदा िज म ह था , कैसा रहा जा सकता था वहां पर ? होल के लए वहां रहना संभव ह नह ं था लहाजा उसे एक बार फर
अपने पर तोले और उड़ान भर ।
पहले मुदा िज म पर मंडराने वाल मैनेजर म खी भी इस बार उसके साथ साथ उड़ रह थी ।
मैनेजर म खी जंजीर को तोड़ कर नह ं आई थी बि क जंजीर को नए सरे से कस कर बांधने के इरादे से
आई थी । उसके पास थी कई नई कहा नयां और क से पहले मुदा िज म को चम कार सा बत करने के
लए और साथ म थी नई जंजीर हर रंग क चमचमाती जंजीर ।
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मुदा िज म
मैनेजर म खी को नई कहा नयां और नई जंजीर के रंग पर पूरा यक न था । वो पहले भी हजार
आजाद हो चुक होल को दुबारा छेद बना चुक थी ।
होल डांवाडोल था परंतु उसमे आजाद के त ेम कुछ अ धक ह था । होल डांवाडोल था परंतु
उसका जनून उसके लए गाइड का काम कर सकने म स म था । एक बार फर होल ने नया घर बनाया
एक पु प पर और नेम लेट लगाई पु पराज ।
मैनेजर म खी इस बार नाकाम अव य हुई परंतु नराश नह ं य क उसे यक न था अपनी नई
नई कहा नयां जो मुदा िज म को चम कार सा बत करके हजार होल को दुबारा बहका सकती थी और
उ ह छेद बना सकने म स म थी ।
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Oct 1st, 2022
दु मनी
एक म ह बहुत पुराने शायद उस ज़माने के जब जवानी अपने शु आती दौर म थी । सुख दुख
का एक लंबा समय हमने एक साथ गुजरने के बाद एक दन जुदा हो गए । ऐसा नह ं है क हमेशा के लए
जुदा हो गए , बीच बीच म मुलाकात होती रह और एक दूसरे क खबर भी मलती ह रहती है । परंतु
लगातार एक साथ रहना और कभी कभार मलना दोनो अलग अलग बात ह ।
वैसे तो म एकदम शांत वभाव के है शायद बफ भी उनके सामने गरम तीत हो । कभी गु सा
नह ं करते , मारपीट क या कह कभी गाल गलौच भी नह ं करते । परंतु इरादे के बहुत प के है । एक
बार जुबान से जो कह दया उसे नभाना ह है |
उनके वभाव को देखते हुए यह मानना असंभव है क उनक कसी से दु मनी हो सकती है | मेर
दु मनी कसी के साथ हो यह तो सामा य बात है पर तु म क दु मनी कसी के साथ इस बात को
हज़म करना अस भव सा है । उनक दु मनी एक यि त से हो गई । शायद इन हालात के लए ह कहा
जाता है क होनी बलवान है ।
दु मनी उस व त शु हुई जब हमारे अलग होने का समय नकट था । हम भी परवाह नह ं थी
य क जानते थे क म दु मनी नभा नह ं पाएंगे | यह उनके वाभाव म ह नह ं है लहाज़ा चंद रोज म
ह सामा य िजंदगी शु कर दगे ।
दु मनी भुलाई नह ं जा सक और परवान चढ़ती चल गई । शायद इसका कारण यह रहा क म
ने जवाब नह ं दया और सामने वाले यि त को ह मत बढ़ती चल गई और वो आगे ह आगे बढ़ता
चला गया । यहां तक क उसने म के माता पता और भाई बहन तक को दु मनी के मैदान म घसीट
लया । मुझे खबर लगी तब मुझे यक न था क अब म को मेरे सपोट क ज रत आ पड़ी है लहाजा म
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दु मनी
अपने काम धंधे दूसर के हवाले करके म के पास जा पहुंचा । जैसा म का वभाव है उनका यवहार
उसी के अनु प दखाई दया एकदम शांत परंतु अपने न चय पर अटल । मैने समझाने क को शश क
ता क बीच बचाव करके दोनो क दु मनी का कोई शां तपूण हल नकाला जा सके । परंतु म राजी नह ं
हुए उनका कहना था क अब तो मैदान म उतर ह चुके है आ खर सांस तक दु मनी नभाएंगे ।
कई मह ने यास करने के बाद म लौट आया अपने काम धंधे पर । कई वष गुजर गए म क
खबर मलती रह ऊपर तौर पर सब वैसा ह दखता था परंतु अंदर ह अंदर म का झान अ या म क
तरफ बढ़ता जा रहा है । सबको दु मनी म खींची हुए तलवार दखती थी परंतु मेरे जैसे कुछ वशेष म
को वो दखाई देता था जो म के अंदर था । म के अंतर म अब भी दु मनी थी परंतु उसका कोई मह व
नह ं रह गया था । उनका एक दु मन मोजूद था परंतु वो दु मन मह वह न था । एक तरफ दु मन के
दमाग म म को उसके पूरे वंश के साथ मटा देने क िज द थी वह दूसर तरफ म के लए ना दु मन
का कोई मह व था और ना दु मनी का ।
ऊपर से म बेशक एक सामा य कामकाजी यि त दखते परंतु अंतर म पूर तरह अ या म म
डूबे यि त बन चुके थे । दु मन म के सामने एक से बडकर एक चुनौती पेश करता रहा और म हर
चुनौ तय से हंस कर पार नकलते रहे । जो चुनौ तयां एक व त म म के पसीने छुड़वा रह थी आज
वह म को हंसने के अवसर दान करती । पता नह ं म हर चुनौती पर य हंसते थे शायद इसी लए
क अब दु मन वारा द गई चुनौती उनके लए मायने नह ं रखती थी या शायद अब वो सब चुनौ तय
उनको मामूल लगती हो ।
इस सबके बावजूद मरते दम तक नह ं झुकने क िज द अपनी जगह कायम रह ।
एक दन खबर मल क दु मन के जवाई क मृ यु ए सीडट म हो गई । दल को सुकून मला क
चलो आ खर दु मन जो लगातार नए नए तर के से हमले कर रहा था अब कुछ शांत होगा । खबर सुकून
देने लायक थी शायद इसी लए म को तुरंत फोन कर डाला । म को भी खबर लग चुक थी और उनको
सुकून पहुंचा या नह ं यह तो पता नह ं परंतु म से बातचीत करके पता चला क मरने वाला पीछे छोड़
गया बूढ़े मां बाप, एक छोटा ब चा और बस और कुछ नह ं । कमाई करने वाला एकमा ज रया चला गया
और म को अब ब चे का भ व य क चंता थी । दु मन के दोहते क चंता | इ छा हुई क अपना सर
पीट लया जाए ।
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दु मनी
खेर कुछ व त और गुजरा और हर गुजरे साल के साथ दु मन कमजोर पड़ता चला गया । अगले
पांच साल म दु मन का दूसरा जवाई, दु मन का लड़का, दु मक का पोता, दु मन का एक दोहता और दो
अ य यि त भी मृ यु वारा शकार कर लए गए ।
दु मन पूर तरह से ख म हो चुका था अगर कुछ बचा तो एक बूढ़ प नी, 2 वधवा लड़ कयां, 1
दोहता और खुद दु मन । संभव है क दोहता बड़ा हो जाए या वैसे मुझे जो लगता है वह यह क अगले एक
दो साल म वो भी ख म हो जाएगा । कुछ भी कहना मुि कल है ।
कभी कभी जो बात मुझे अचरज म डालती है वो यह क ये कैसी दु मनी थी िजसने म को
स यासी बना दया और दु मन को पूर तरह ख म कर दया ।
म ने कोई ह थयार नह ं उठाए परंतु फर भी दु मन पूर तरह ख म हो गया । दु मन म के
खलाफ हर ह थयार का इ तेमाल कर के देख चूका पर तु कुछ खास बगाड़ नह ं पाया | बि क म
पहले से भी अ धक शांत दखाई देते है | या यह दु मन को उसके कम का फल मला ?
कभी कभी मेरे मन म यह याल भी आता है क शायद म ने अपने चेहरे पर मुखौटा लगा
लया और अंदर ह अंदर दु मन को दु मन को पूर तरह ख म कर दया । कुछ भी कहना मुि कल है ।
कहना मुि कल है क य द यह दु मनी नह ं होती तब भी या दु मन इसी तरह समा त हो जाता
?
दु मन के पास अब हमला करने के ना तो साधन बचे है और ना ह आदमी और शायद ह मत
भी नह ं । दूसर तरफ म के लए दु मन और दु मनी दोनो मह वह न हो गई ।
सब तरफ शां त दखाई देती है बस दु मनी अभी भी कायम है और जो आ खर साँस तक रहने
वाल है ।
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MEN’S HUB
Oct 1st, 2022
वक प
उसे खुद पर गव था । उसे अपनी सोच पर गव था । उसे लगता था क वो सबसे अलग है । उसम
आ म व वास कूट कूट कर भर हुआ था । उसे यक न था क वो जो करना चाहे कर सकती है अकेले अपने
दम पर । उसे इस बात क परवाह नह ं थी क लोग या सोचगे ।
आज जब बु धया से उसक मुलाकात हुई तो उसने प ट एवं आ म व वास से लबरेज श द म
कह दया क ववाह के बाद नौकर करने या नह ं करने का फैसला सफ और सफ वो खुद करेगी ।
नौकर करना या नह ं करना यह सफ और सफ उसका खुद का वक प है कसी और का नह ं ।
सामने से बु धया ने धीमी परंतु संयत आवाज म कह दया क नौकर तो उसे करनी ह है ।
नौकर नह ं करना कोई वक प है ह कहाँ ।
य द वो नौकर नह ं करेगी तो खाएगी या ?
बु धया ने खुद को को हू का बैल बनाने से संयत भाषा म इनकार कर दया था । शायद इसी लए
उसका आ म व वास कह ं डगमगाया हुआ था, आ खर कैसे कोई उसके वक प को छ न सकता है ।
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MEN’S HUB
Oct 1st, 2022
एक कदम आजाद क और
सुधीर अगले 6 मह ने म बाप बनने वाला था और वो इसके लए तैया रयां भी कर रहा था ।
ले कन अचानक एक दन वो आजाद हो गया सब क म के झंझट से , उसक प नी ने गभपात करवा
दया था । उसे समझ ह नह ं आ रहा था क यह या हुआ । अभी तो वो दुखी था ।
य क सुधीर गुलामी म पैदा हुआ और उसका अनुकूलन इस कार हो चुका था क अब वो
गुलामी को ह वग क बहार मान रहा था इसी लए उसे पता ह नह ं चला क उसक जंजीर टूट चुक है ।
आज सु ीम कोट ने आदमी को आजाद देने क तरफ एक कदम बड़ा दया, परंतु उसे समझने म
थोड़ा व त लगेगा य क अभी अनुकूलन चल रहा है शायद एक या दो दशक लग जाए उसे अहसास होने
म को उसक जंजीर टूट गई है अब उसे मा एक कदम आगे बढ़ाना है और समझना है क वो अपना
जीवन जीने के लए पैदा हुआ है । पूण आजाद नजद क है इसका पूरा आनंद शायद मेर जेनरेशन ना ले
पाए परंतु अगल या उससे अगल जेनरेशन पूण आजाद होगी और आजाद का आनंद ले पाएगी है ।
हर उस यि त को बधाई िजसे लगता है वो दु नया म बेकार का बोझ ढोने , ब चे पैदा करने और
उ ह बड़ा करने के मकसद से आया है । याद रख यह सफ पहला कदम और उसक बधाई है।
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Oct 1st, 2022
आंदोलन
एक दन बैठे बैठे दमाग म याल आया क आ खर यह दमाग म याल आता य है । फर
सोचा चलो छोड़ो यह सब अपने दमाग म नह ं आने वाला, कुछ और सोचना चा हए, कुछ रचना मक सा
।
बहुत सोचने के बाद नतीजा नकाला क बाजार के दुकानदार जो खुद को बहुत चालक समझते है
और लूटने का कोई मौका नह ं छोड़ते वा तव म मूख है । और उनसे भी बड़े मूख है कसान ।
कैसे ?
अरे भाई सीधी बात है आलू स जी है, और भंडी भी स जी है, गाजर भी स जी, ढेर सार सि जयां
। जब सब सि जयां ह तो भला दुकानदार इतनी सार सि जयां य बेच रहा है सफ भंडी य नह ं बेच
रहा ?
और उससे बड़ी बात आ खर कसान सफ भंडी य नह ं उगा रहा । य वो इतनी सार अलग
अलग तरह क सि जयां उगाते है ।
तो बस हमने भी आंदोलन करने क ठान ल क सि जयां नह ं स जी बकेगी, सि जयां नह ं
स जी उगेगी । पूरा जोर लगा दया, कई साल क स जी तोड़ मेहनत के बाद आज गव से कह सकते है
क हमारा आंदोलन सफल रहा । इस लए नह ं क अब सि जयां नह ं स जी मलती और उगती है, इसी लए क हमने हमारे जैसे उ नत दमाग के करोड़ो लोग अपने साथ जोड़ लए और यक नन आने
वाला ज़माना हमारा होगा ।
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वक प
सि जयां नह ं सफ भंडी खाएंगे और खलाएंगे ।
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Oct 1st, 2022
K & S - Men's Death Rate
शमा : केशव जी यह दे खये भारत म वधवाओं क सं या लगातार बढ़ रह है
केशव : अ छा
शमा : दे खये 2001 म 18.5 लाख वधवाएं थी जोक आबाद का 0.7 % था
केशव : अ छा
शमा : जो क 2011 म बढ़कर 5.6 करोड़ हो गया जोक आबाद का 4.6 % हो गया
केशव : ह म
शमा : केशव जी सरकार को तुरंत कुछ करने क ज रत है
केशव : या कया जाना चा हए
शमा : वधवा ववाह पर जोर देना चा हए और भी योजनाएं शु करनी चा हए राहत के लए
केशव : पर तु शमा जी सम या तो पु षो क मृ यु दर क है न
शमा : या फालतू बात करते है केशव जी आप भी मृ यु को आप कैसे रोक सकते ह
केशव : शमा जी 10 साल म कम से कम 5.4 करोड़ पु षो क मृ यु हुई
शमा : कैसे
केशव : इतने पु ष क मृ यु हुई तभी तो वधवाओं क सं या बढ़कर 5.6 करोड़ हुई
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K & S - Menʼs Death Rate
शमा : ठ क
केशव : इनमे से अ धकांश क मृ यु आ मह या ए सीडट बीमार आ द कारण से हुई
शमा : कुछ क मृ यु ाकृ तक भी हुई होगी
केशव : बलकुल हुई होगी पर तु मेरा व वास है क यादा अ ाकृ तक हुई ह गी
शमा : शायद
केशव : तो अब बताइये वधवाओं का क याण कैसे कया जा सकता है
शमा : पु ष क याणकार योजनाएं बना कर िजससे पु षो क अ ाकृ तक मृ यु को काबू कया
जा सके
केशव : अरे वाह शमा जी आप तो बहुत ज द समझ गए
शमा : ह ह ह ह ह …. ….
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Oct 1st, 2022
शाह जी
उसे सभी शाह जी कहते थे । यापार उनका पा रवा रक पेशा था पता से उनको चलता हुआ
यापार मला िजसको उ ह ने जमीन से उठा कर आसमान तक पहुंचा दया ।
आजकल शाह जी दन रात यापार म ह य त थे, उ ह ना घर जाने क चंता थी और ना ह
खाने पीने क । घर का खाना खाएं उनके कई मह ने गुजर चुके थे, आजकल वो नज़द क ढाबे से मांग कर
खाना खा रहे थे । हमेशा से शाह जी ऐसे नह ं थे वो यापार म िजतना यान देते थे उतना ह सामािजक
र त म भी । परंतु आजकल शाह जी बस हर समय अपने आ फस म ह रहते घर जाना जैसे भूल ह गए
। लोग आ चय करते आ खर शाह जी जो सामािजक यि त थे अचानक यापार कैसे बन गए ।
बहुत कम लोग शायद एक या दो लोग ह है जो उनक यथा जानते है ।
शाह जी का ववाह उनके पता के ज़माने म ह हो गया था । ववाह के प चात पता 6 मह ने ह
िज़ंदा रहे । गृह थी ठ क चल रह थी क अचानक उनक प नी बीमार हो गयी । हर संभव इलाज के
बावजूद हालात बगड़ते चले गए आ खर डॉ टर ने इनकार कर दया । बस दुआ का ह भरोसा था ।
शाह जी क प नी को अपनी बीमार का अहसास था परंतु उसका आ खर व त चल रहा है यह
अहसास उसे नह ं था ।
एक दन प नी ने शाह जी से पुछा क य द वो मर जाएगी तो शाह जी या करगे । शाह जी को
पता था क वो मरने वाल है परंतु शाह जी ने उसके बाद के वषय म कुछ सोचा ह नह ं था इसी लए वह
खामोश रह गए कोई जवाब उ ह नह ं सूझा । प नी को शंका हुई, क शाह जी कसी अ य म हला के साथ
यार मोहबत म य त है और उसके मरने का इंतज़ार कर रहे है । हर गुजरते दन के साथ शंका यक न
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शाह जी
म बदलने लगी । बढ़ते बढ़ते इस हद तक पहुंच गई क वो शाह जी कसम देने लगी क शाह जी हमेशा
उनके रहगे उनके मरने के बाद भी । शाह जी ने अपनी मृत पता और माता क कसम भी खा ल । परंतु
प नी को यक न नह ं आया । शाह जी ने सभी यास कर देखे परंतु प नी को यक न नह ं आया ।
अंत म शाह जी ने ऐसा नणय लया जो शायद ह कोई ले सके । शाह जी ने अपना अंग वशेष
आपरेशन के ज रये कटवा लया ता क प नी को यक न हो जाये क उसके मरने के बाद भी शाह जी उसके
ह रहगे ।
अब प नी को यक न तो आ गया परंतु शाह जी सम या म घर गए ।
दुआ असर लाई और शाह जी क प नी धीरे धीरे ठ क हो गयी । 2 वष बीते शाह जी पूर तरह
यापार म ड़ूब गए घर का रा ता ह भूल गए । घर अब शाह जी के लए नह ं रहा अब वो शाह जी क
प नी और उसके कई यार क ऐशगाह क जगह थी । और शाह जी क नज़र म अब वो जगह घर नह ं
एक वै यालय से अ धक कुछ नह ं रहा ।
और शाह जी उस वे यालय का खच उठाने को मजबूर ।
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Oct 1st, 2022
I Don’t Fight to Protect
Just 3 year ago I met an unknown person, he came to me with his problem. For around 1 year he was active enough. With time he came out of the mesh and got a stable life.
Where is he now ?
I don’t even know.
Sunday, A Nice day to rest. As usual I was trying to sleep. Suddenly I get disturbed by ping-ping. It was just #WhatsAPP message, which I choose to ignore.
After a couple of hours, I read the message, just Hi from an old friend. Old but not forgotten, yes we meet rarely now, but still live in memories. After a casual hi hello and other formalities, he directly came to the point.
Around one year back he sent one marriage proposal of well educated and working women. Good enough. That time I just ignored it, and didn’t even reply back.
No I am not saying I didn’t reply back, I am saying I didn’t reply to anything about the proposal. I choose the best way (mute) to answer.
Probably he didn’t understand the language of silence and asking again. This time I choose to say NO loud enough. Hope the situation won’t come back again.
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I Donʼt Fight to Protect
Well my point is not about marriage proposals or yes or no, but I didn’t understand : she is a well educated and working woman, why is she still unmarried even after one year. Why didn’t she get married with an unemployed man or maybe a less earning man, there are lakhs of good men (by nature men are good, except a few like me). Sorry again entering the wrong cabin, where I am not allowed. It is #HerChoice to get married with earning men (may be rich enough, who can pay her). No comment on #HerChoice or #HerVoice.
But I just wanted to indicate the wording by which my friend tried to convince me.
looks like we are just born to marry & kids. A role of #Protector.
I am just losing track, just like almost everyone. Today I can see a lot of brothers fighting for justice, calling themselves MRA. Good to see them, read them, and meet them. But I never understand why they always talk about Family Protection (not all but most). I can see them discussing why the family system in India is broken, interestingly they find the answer in well established reasons like TV Serials, Films, Mobiles etc.
No I am not against them, but I never understand how family protection is related to #MensRight ? Oh yes family is center of Indian Society, but if Family can protect
#MensRight, Indian History would not rise on Dead bodies of men. Looks like Men’s Rights Movement in India is turning into #ProtectFamily Movement. May be people joining #MensRight movement are not getting proper education and they are confused between #SaveFamily & #MensRight. Their ultimate aim is turned into #SaveFamily.
They are playing the role of #Protector. Looks like they #Born to protect, just to protect, not to live like #Men. Once these people come out of mesh, they get a stable life/family, their aim is over and we won’t see them again.
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I Donʼt Fight to Protect
I just wanted to say these people. Excuse me, I don’t fight for family protection.
Family is nothing but a tool to harass men. I wanted to live like Men and for that I need My Rights back.
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Oct 1st, 2022
04.रंग बरंगे लोग
मृ यु वैसे तो अपने आप म दुखद घटना है परंतु य द मृ यु कसी ऐसे यि त जो हो को अपनी
आयु बता चुका हो यानी क ऐसा यि त िजसक आयु 80 , 90 या 100 के ऊपर हो उसक मृ यु कुछ
हद तक संतोष भी देती है । शायद यह कारण है क कसी ऐसे बुजुग के मरने पर जो अपने पीछे भरा
प रवार छोड़ गया हो जलेबी बनवाए जाने क परंपरा हमार साइड म है । संभव है हर जगह ना है परंतु हर
जगह कुछ हद तक से ल ेट करने जैसा कुछ कया जाता है जैसे क रंग खेलना, जलेबी बनवाना या धूम
धाम से आ खर या ा नकालना। शायद इसका मकसद यि त वशेष क मृ यु पर खुशी मानना नह ं
बि क मरने वाला यि त जो अपनी िजंदगी म कर गया उसे स पूण मान कर संतोष गट करना हो
सकता है ।
परंतु य द मृ यु कसी ऐसे यि त क हो जो अभी अपनी आयु के बीच म हो अपनी िजमेदा रयां
पूर नह ं कर पाया हो , िजसके ब चे अभी बीच मझधार हो , ऐसे यि त क मृ यु यक नन दुखदाई ह है
। ऐसे यि त क मृ यु पर कसी क म का ऐसा कोई सं कार नह ं है िजसे ज न खुशी या संतोष के साथ
जोड़ा जा सके । सब कुछ सामा य तर के से करने क परंपरा रह है ।
शायद अपवाद हो सकते है परंतु मेर अपनी िजंदगी म अपवाद देखने का अवसर पहल बार ह था
। जब जीजा क मृ यु हुई तब उनक आयु थी यह कुछ 45 के आसपास ब चो क पढ़ाई अभी कूल
लेवल तक ह है कॉलेज या ड ी अभी काफ दूर है ऐसे म संपूण अं तम या ा बहुत ह साधारण तर के से
संपन हुई और सात दन बाद धा मक काय म क समाि त का आयोजन भी सामा य तर के से ह कया
गया । सभी बंध करने क िजमेदार लोकल र तेदार ने उठाई परंतु म वयं अपनी िज मेदार समझते
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रंग बरंगे लोग
हुए उनके साथ था इसी लए कह सकता हूं क कह ं ऐसा कुछ नह ं था िजसे अ तसाधारण से अ धक कुछ
और कहा जा सके ।
ले कन अपवाद शायद सब जगह होते है यहां भी नकल आया । कुछ दन बाद मुझे पता चला क
अं तम दन क ाथना म शा मल होने के लए एक म हला ने यूट पालर से मेकअप ए सपट को
बुलवाया था । कसी अ य म हला वारा आप कए जाने पर यूट शयन को वा पस भजवा दया गया
परंतु अगले दन यूट शयन को उस व त फर से बुलवाया गया िजस व त आप करने वाल म हला
घर पर नह ं थी । शायद उस म हला के लए अं तम ाथना म शा मल होने से अ धक ज र था अं तम
ाथना के व त खूबसूरत दखना । हा ऐसा होना संभव है आ खर अं तम र म अदायगी म बहुत सारे
र तेदार आते है । परंतु य द वो म हला कोई और नह ं बि क मरने वाले यि त क अपनी मां हो तब
आ चय होना वाभा वक है ।
थोड़ा अजीब लगा परंतु हर कसी के अपने वचार हो सकते है और हम उ हे कं ोल नह ं कर
सकते । वैसे तो यह भी माना जा सकता है क शायद वो म हला बहुत ऊपर पहुंची हुई हो इतनी ऊपर क
दु नयादार क मोह माया उसे भा वत ह न कर सकती हो । संभव तो कुछ भी हो सकता है परंतु मुझे
ऐसा नह ं लगता बि क कह ं ना कह ं मुझे इसम उस म हला क खुशी झलकती है या शायद ऐसा कहा
जाए क शायद उसके लए बेटे क मृ यु से अ धक मह वपूण कुछ और था।
वैसे मेरे लए भी इस मृ यु से कुछ वशेष अंतर नह ं पड़ा य क इस मृ यु क द तक तो
तकर बन एक साल पहले से ह मल गई थी इंतजार अगर था तो दरवाजा खुलने का । म इस मृ यु के
लए पहले से ह तैयार था परंतु इसका अथ यह तो नह ं क मेरे लए मरने वाला मह वपूण नह ं था ।
शायद दु नया मेर अपे ा से कुछ अ धक ह रंग बरंगी है ।
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Oct 1st, 2022
वो आ रह है
02 राणा वज
संह
मनोहर अपनी झ पड़ी म जा चूका था और गांव वा सय क उ कंठा अभी शांत नह ं हुई थी | शाम
होने तक इंतज़ार के अलावा कोई अ य रा ता नह ं था | दन गम एवं बो झल लग रहा था लोग बार बार
मं दर क तरफ देख लेते जहाँ उ ह तपती दोपहर म भी मनोहर अपना सामान इकठा करते हुए दखाई
देता | आ खर जैसे तैसे शाम हुई और सभी गांव वासी मं दर के ांगण म इकठे हो गए | बुजुग मनोहर
अभी तक ांगण म नह ं आये था | काफ इंतज़ार के बाद एक नौजवान मनोहर को बुलाने के लए झ पड़ी
क तरफ गया और जब वह मनोहर के साथ लोटा तब बहुत क आँखो म अतीत क याद हलोरे मरने
लगी |
मनोहर बहुत वष से इसी झ पड़ी म रह रहा था अ धकांश नौजवान उसे एक बु ढे आदमी के प
म ह जानते थे पर तु हमेशा ऐसा नह ं था बहुत पहले जब मनोहर गांव म आया था उस व त वह एक
बहादुर राजपूत यो दा था और बड़ी मूछ वाले रोबदार चेहरे के अलावा उसक कमर म लटक हुई
सामा य से बड़ी तलवार और एक कटार ह उसक पहचान थी | और आज वष बाद मनोहर एक बार फर
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वो आ रह है
उसी तलवार के साथ सामने मौजूद था | मनोहर ने नज़र भर कर सबको देखा और फर एक ऊँचे थान
पर बैठ गया |
आज मनोहर को उसके वषय म बोलना था जो अपने आप म खौफ का दूसरा नाम थी मनोहर
आज आ खर बार अपने लोग के सामने था और कल उसे ल बी या ा पर नकल जाना था | कुछ समय
ककर मनोहर ने साहस इकठा कया और फर अपने सामने क भीड़ को स बो धत करना आर भ
कया |
“जैसा क आप सभी ने देखा एक बुजुग कल शाम हमारे गांव म आये और उ ह ने संदेश दया क वो आ
रह है “
“बुजुग कौन थे“
“बुजुग हम सब के माननीय गोपाल दास जी थे”
“ या वह गोपालदास जो राणा वज संह के समय राज यो तषी थे “
“हां वह गोपालदास जी पर तु वह राणा वज संह के पता के समय से राज यो तष थे“
“उनके स देश का अथ या है”
“उनका स देश उस क़हर क वापसी के बारे म है जो एक बार पहले भी हमारे रेतीले भू म को
दहला चूका है यह वह क़हर है िजसके बारे म सभी ने कभी ना कभी कसी ना कसी प म क से
कहा नय म सुना है“
“वो कौन है”
“राजगोपाल जी ने इसी रह य को बता देने का संदेश दया है और आज रात म उसके बारे म बता
कर कल से अपनी या ा आरंभ क ं गा इस लए यान से से सु नए”
“दादा या आप अपने बारे म भी बताएँगे”
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वो आ रह है
“मेरे बारे म जानना महतवपूण नह ं है बि क उसके बारे म जानना महतवपूण है जो आ रह है
य क आपको ह उसका सामना करना है | फर भी उसक कहानी म मेरा िज आएगा ह इस लए म
अपने बारे म िजतना आव यक है उतना बताऊंगा”
और इतना कहने के बाद मनोहर अपने अतीत क याद म चला गया और उसी अतीत के बारे म
बताना शु कया |
राणा वज संह के पता ने राजसभा म राणा वज संह को राजा बनाये जाने क घोषणा क
उस व त म वह राजा साहब के मु य अंगर क के प म मौजूद था | राजा साहब क घोषणा अभी सफ
औपचा रकता मा थी य क राजसभा का कोई भी सद य इस घोषणा का वरोध कर सकने का
अ धकार रखता था | इसके अलावा राजप रवार का कोई सद य भी राजग द पर अपना अ धकार सा बत
करने का अ धकार रखता था | राजसभा एवं राजप रवार के सद य को मलकर लगभर 120 यि त उस
समय मौजूद थे | य क राणा वज संह के नाम क घोषणा क गयी थी जो क राजसभा एवं
राजप रवार के सबसे यो य एवं सव य यि त थे इसी लए इस घोषणा का राजयसभा ने जोरदार
वागत कया और वागत के इस शोर म वह एक आवाज़ दब कर रह गयी जो शायद घोषणा का वरोध
करना चाहती थी | राज यो तषी गोपालदास जी इस घोषणा के वरोध म थे पर तु राजा साहब एवं राणा
वज संह के अलावा कसी अ य का यान उस तरफ नह ं गया |
राणा वज संह को राजा बनाया जाना क घोषणा अपना पहला पड़ाव पार कर चुक थी | अभी
इस घोषणा को चुनौती देना का अ धकार रखने वाले कई यि त मौजूद थे और इस काय के लए राज
यो तषी के नदशन म राज समारोह का आयोजन कया जाना बा क था |
उसी शाम राजा साहब अपने क म राज यो तषी गोपाल दास जी का इंतज़ार कर रहे थे उ ह
राज समारोह के स ब ध म आव यक नदश एवं अ धकार दए जाने थे | िजस व त गोपालदास जी
राजा साहब से आव यक नदश ा त कर रहे थे उस व त भी म वहां मौजूद थे
“ णाम राजा साहब”
“आइये गोपालदास जी मुझे आपका ह इंतज़ार था”
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वो आ रह है
“ या कुछ वशेष कारण से”
“गोपालदास जी हमारे वंश म यो तष व या का कोई वशेष मह व नह ं दया जाता हम राजपूत
अपनी तलवार पर भरोसा करते है”
“मुझे इस वषय म ान है राजा साहब”
“आपके पता का हमारे दरबार म बहुत स मान था पर तु इसका कारण उनक यो तष व या
नह ं थी | और उनके बाद आपक आयु कम होने के बावजूद आपको भी उतना ह स मान ा त है”
“यह मेरा सौभा य है राजा साहब”
“आपने आज रा यसभा म राणा वज संह के राजा बनाए जाने का वरोध कया न चय ह
इसके पीछे कोई ना कोई कारण होगा |”
“राजा साहब मेरा वरोध अकारण नह ं है“
“और हम उ मीद थी क आप उस कारण को प ट करने के लए अव य ह आएंगे”
“राजा साहब यह मेरा कत य है”
“नह ं गोपाल दास जी जैसा क मने कहा हम राजपूत अपनी तलवार पर भरोसा करते है इस लए
आपका कत य भ व यवा णयां करना नह ं बि क धा मक एवं राजक य आयोजन म हमारा मागदशन
करना है”
“म आपसे सहमत हूँ राजा साहब”
“तो आप यह भी समझ सकते है क राणा वज संह को राजा बनाये जाने स ब धी अपने
न चय को बदलने का कारण या हो सकता है”
“राजा साहब सफ जा का हत ह आपका न चय बदलने का कारण हो सकता है”
“तो या आपके पास ऐसा कोई कारण है”
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वो आ रह है
“नह ं राजा साहब मेर व या के अनुसार राणा वज संह जा पालक राजा के प म अपना
नाम करगे”
“तो फर हमारा न चय बदलने का कोई कारण दखाई नह ं देता”
“नह ं राजा साहब पर तु मुझे अपना कत य पालन करने क आ ा दान कर”
“अव य आप जो कहना चाहे कह सकते है”
“राजा साहब राणा वज संह का राजा बनाना जा के हत म है पर तु राजप रवार के हत म
नह ं है”
“ या आपक व या जा के क ट का कोई संकेत देती है”
“राजा साहब जा का क ट अव य है पर तु राणा वज संह अपना सव च ब लदान देकर भी
जा क र ा करने म समथ है पर तु राणा वज संह क नय त राजा बनाना नह ं है”
“व त आने पर यह फैसला राणा वज संह क तलवार को करने द िजये”
“अव य राजा साहब”
“ या आपको कुछ और भी कहना है”
“जैसा क आने वाले मह ने म राणा वज संह को राजग द स पे जाने का न चय हुआ है और
इससे स ब धी सभी इंतज़ाम करना मेरा कत य म शा मल है तो मुझे मागदशन करने क अनुम त
दान क जाये”
“गोपाल दास जी राज यो तषी ह इस काय म का नधारण करता है और आपको भी इस काय
के लए सम त अ धकार ा त है”
“मुझे भ व य को यान म रखते हुए समारोह के पार प रक आयोजन म कुछ बदलाव करने क
आ ा चा हए”
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वो आ रह है
“आप जैसा आयोजन करना आव यक समझे कर सकते है पर तु जा पर अ त र त आ थक
बोझ नह ं डाला जाए और कसी भी अ त थ का अपमान नह ं होना चा हए”
“जो आ ा राजा साहब”
परंपरा के अनुसार राजा वज संह क राजग द वाले दन सभी भील एवं राजपूत कबील को
आमं त कया जाना था | इसके अलावा अ य जा त के कबील को भी सूचना भजवाई जानी थी | और
य द कोई भील अथवा राजपूत युवक राणा वज संह को चुनौती दे तो दोन के बीच तलवार बाजी अ वा
अ य आव यक
तयो गता का आयोजन भी करना था | यह भार भरकम आयोजन था िजसे
राज यो तषी के नदशन म सेनाप त को अंजाम देना था | सेनाप त ने ह ल खत नमं ण सभी कबील
तक पहुँचाने थे इस लए सेनाप त ने अपने चु नंदा सपा हय को अलग कर रखा था ता क जैसे ह राज
यो तष का नदश ा त हो आमं ण प रवाना कर दए जाये | पर तु सेनाप त को आमं ण प ा त
नह ं हुए बि क गोपालदास जी वयं या ा क तैयार के साथ सेनाप त के सामने उपि थत हुए और
उनको एक मौ खक संदेश दया िजसे उ ह नमं ण प के साथ सभी राजपूत एवं भील कबील तक
पहुंचाना था | स देश के मुता बक सभी राजपूत कबील के सरदार को एवं सभी भील कबीले के सरदार
को नज़द क गांव के पास इकठा होना था जहां पर उनके साथ महतवपूण मं णा क जानी थी |
राजधानी के उ र-पि चम क तरफ रेतीला इलाका था जब क द ण-पूव क तरफ दूर दूर तक
फैल दुगम पहा ड़यां | िजस व त सेनाप त गोपालदास का स देश लेकर या ा पर नकल रहा था ठ क
उसी समय गोपालदास ने कुछ सपा हय के साथ इन दुगम पहाड़ी इलाक म कदम रखा | इन दुगम
इलाक म कई कबीले रहते थे और उनको भी स देश दया जाना था पर तु वयं राज यो तष स देश
लेकर जाएँ यह अपरा प रक था | अगले 20 दन राज यो तष इन दुगम इलाक क या ा करते रहे
उ ह ने उन कबील से भी संपक था पत कया िजनसे कभी कसी ने संपक रखना आव यक नह ं समझा
था | इनमे से सबसे मुख कबीला था स ह कबीला | यह लोग वयं को शव के वंशज कहते थे और
इनका यादातर व त शव आराधना म ह यतीत होता था | इस कबीले के नाग रक बाहर स यता से
स ब ध नह ं रखते थे इसी लए कभी कसी आयोजन म शा मल नह ं हुए | लहाज़ा धीरे धीरे राजप रवार
इस कबीले को भूल गया | जब गोपालदास कबीले म पहुंचे और कबीला मुख को राजक य आयोजन म
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वो आ रह है
शा मल होने का नमं ण दया तब कबीला मुख ने बड़े गौर से राज यो तष को देखा और लगभग तुरंत
ह आमं ण को वीकार कर लया |
स हा कबीले के वारा आमं ण वीकार करना जहाँ राज यो तष को संतोष द लग रहा था
वह कइय के माथे पर चंता क लक र भी छोड़ गया | चं तत लोगो म मुख थे सेनाप त और राजा
साहब | 20 दन क क ठन या ा से वा पस लोटे राज यो तष को सभी आमं त अ त थय का वागत
का काय भी देखना था इसी लए उनके पास आराम का व त नह ं था | पर तु उनके सामने सबसे वकट
सम या था राजपूत एवं भील कबीले के मुख एवं अ य कबीला मुख म सामज य बनाये रखना |
इसीकारण गोपालदास जी ने राजपूत एवं भील सरदार समारोह से 2 दन पूव नकटवत गांव म आने
का नमं ण दया था | गोपालदास जी का मानना था क सफ सच ह संभा वत अवरोध को दूर करने म
समथ है | सेनाप त राज यो तष से सहमत नह ं थे सेनाप त का व वास था क सफ कूटनी त ह
एकमा सहारा है |
“सेनाप त जी राजक य समारोह म राजपूत एवं भील कबीले वाल के अलावा कई अ य सरदार भी
आ रहे है | इससे कसी क म क सम या पैदा हो सकती है इसका समाधान कैसे कया जाये |”
“गोपालदास जी हमे राजपूत एवं भील कबीले के सरदार को अपने व वास म लेना होगा वैसे
आपक कायनी त या है”
“सेनाप त जी सच के साथ रहना ह उ म कायनी त है”
“राजपूत एवं भील अपने शौय एवं ह थयार पर व वास करते है आपक व या अ वा आपका
सच उनके लए मह व नह ं रखता”
“तब आपका या सुझाव है”
“कूटनी त का इ तेमाल कया जाना चा हए”
“कैसे“
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वो आ रह है
“ स हा कबीले का आना मह वपूण है और िजस तरह स हा कबीले ने नमं ण वीकार
कया वह भी मह वपूण है इस घटना के बारे म सभी सरदार को बताया जाए तो हो सकता है क सहम त
बन सके”
“ या हम खुद बताना होगा”
“हा हमे खुद ह बताना होगा पर तु पहले हम सै नक के मा यम से श वर म बात फैला दगे
ता क उ सुकता पैदा हो और फर हम उसका लाभ उठा सक”
“ठ क है आप ऐसा ह क िजए”
और इस तरह जो सै नक राज यो तष के साथ या ा पर गए थे उ ह राजपूत एवं भील सरदार के
वागत का काय दया गया और जब राज यो तष भील सरदार के सामने मं णा के लए पहुंचे तब
उ सुकता चरम पर पहुँच चुक थी | अ धकांश राजपूत राज यो तष क गणना म व वास नह ं करते थे
पर तु उ ह ात था क स हा कबीला बाहर यि तय अथवा राजक य काय से संपक नह ं रखता
पर तु जब समाज को आव यकता होती है या यंू कहा जाये क जब कोई भयानक खतरा सामने हो
स हा समाज पहाड़ और जंगल से बहार आकर सहायता अव य करते है और स हा कबीले के
सरदार वारा नमं ण वीकार करना इस बात का तीक था क ज द ह कोई वप आने वाल है | इस
भावना के कारण राज यो तष का काय सरल हो सका और राजक य समारोह म कसी क म का ववाद
पैदा नह ं हुआ |
राजक य समारोह वाले दन राणा वज संह के राजा बनाए जाने क घोषणा राजा साहब ने क
िजसके जवाब म राणा वज संह ने राजा साहब को ध यवाद दया एवं आशीवाद ा त कया और साथ
ह उपि थत सरदार से भी ाथना क |
“उपि थत बंधुओं म राणा वज संह िजसे राजा साहब ने राजग द स पने का न चय कया है |
म इस राजग द पर आप सभी के आशीवाद से ह बैठना चाहता हूँ इस लए आप सभी से आशीवाद क
कामना करता हूँ | य द आपम से कोई मुझे चुनौती देना चाहे तो नसंकोच दे सकता है”
“म अपनी बात कहना चाहता हूँ”
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वो आ रह है
“ या स हा कबीला राणा वज संह को चुनौती दे रहा है”
“नह ं राजा साहब स हा कबीला पहाड़ एवं जंगल म रहता है हमे राजग द से कोई मोह नह ं
है पर तु म अपनी तरफ से कुछ कहना अव य चाहता हूँ“
“आप अपनी आप अव य रख सकते है”
“ स हा
कबीले के नाग रक स य समाज म नह ं रहते पर तु हमारा पास ाचीन ान का
वशाल भ डार है इसी ान के आधार पर म यह कहना चाहता हूँ क राणा वज संह क नय त राज
ग द नह ं है राणा वज संह को अंत म राजग द का याग करना पड़ेगा इसी लए राणा वज संह को
तय करना है क वह आज राजग द का याग करे और वयं को अपनी नय त के लए तैयार कर अ वा
कुछ वष प चात तैयार शु कर”
“ या राणा वज संह जा के लए उ म राजा सा बत ह गे”
“बेशक”
“तब ऐसा कोई कारण दखाई नह ं देता िजसके कारण राणा वज संह राजग द का याग कर
और जहाँ तक कसी वप का स ब ध है राजपूत वप का सामना करने के लए सदैव तैयार रहते है”
“ स हा कबीले का सरदार होने के नाते यह आ वासन देता हूँ क जब भी राणा वज संह
राजग द का याग करके हमसे सहायता क अपे ा करगे हम उनक सहायता करगे”
राणा वज संह का राज तलक बना कसी सम या के हो गया | और मुझे राणा वज संह का
अंगर क बनने का सौभा य हा सल हुआ | राणा वज संह एक कुशल शासक एवं जापालक राजा
सा बत हुए | उ ह ने अपने रा य के अ धकांश कबील क भलाई एवं उ न त के लए बहुत सारे काय
कये | व त बहुत तेज़ी से चलता रहा और कब पांच वष बीत गए पता ह नह ं चला |
उस व त राणा वज संह क आयु 30 वष थी जब उ ह ने राजकाय से कुछ दन अवकाश लेने
का न चय कया | बि क अवकाश सफ एक मा यम था अपने रा य के दूर दराज़ के इलाको क या ा
करने का | राणा वज संह ने अपने अंगर क एवं कुछ अ य महतवपूण सरदार के साथ या ा आर भ
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वो आ रह है
क | या ा का मकसद था उन कबील से संपक था पत करना जो दुगम पहा ड़य म रहते है और दुगम
पहा ड़य म अपनी सीमाओं क पहचान सु नि चत करना |
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