Kavitanjali by Dr Ram Lakhan Prasad - HTML preview

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बस एक कदम

और चि स थी

बस एक कदम और चि स थी इस ब र वकन र वमिेर्ग

जर एक नज़र और देख ि य र इस ब र इश र वमिेर्ग

इस आक श के नीचे धरती के ऊर्र क ई वकरण त ह र्गी

यह ूँ इस अूँधेरे भीड़ भ ड़ में कहीां न कहीां त रौशनी ह र्गी

एक वदन और चि एक र्हर और बढ़ उज ि त वमिेर्ग

ज तेरे िक्षये क र्यर करे ि ठौर त कहीां जरर वमिेर्ग

इस किजुर्ग में कहीां त तुम्ह रे र् र् ां क प्र यवश्चत वमिेर्ग

एक क वशस और कर स थी कियुर्ग से छुटक र वमिेर्ग

इस तर्ती जिती दुवनय ां में कहीां त श ांवत म र्गप वमिेर्ग

बस एक कदम और चि स थी इस ब र वकन र वमिेर्ग

ज तेरे मांवज़ि तक र्हुांच ए िह क ई त र ह जरर ह र्गी

अर्ने तन मन क टट ि कहीां त तुम्ह री वठक न ह र्गी

बस एक कदम और चि स थी इस ब र वकन र वमिेर्ग

जर एक नज़र और देख ि य र इस ब र इश र वमिेर्ग

हम छ ड़ेंर्गे नहीां अर्ने क ई भी आन और श न च हे कुछ ह ज ए

झुकेंर्गे भी नहीां भिे आांधी तयफ़ न भयकांर् य ब ढ़ के झ ांके आ ज ए

यमर ज त एक ही ब र र्ग ि दब त है त एक ही ब र हम मरते है

जीिन में मृत्यु त आनी ही है इस विए मरने से कभी न हमें डरन है

मैं ज नत हूँ की हर सुबह क क ई अर्न ही धीम द र्हर च वहए

हम त एक र्ररांद हैं मुझे आक श में उड़ने के विए द र्ांख च वहए

मैं ने अर्ने ईश्वर ज भी दि एां म ांर्गी ि सब मुझे यह ूँ वमि ही रहें हैं

अब उन सभी दि ओां क मुझ जैसे म नि र्र क ई असर त च वहए

जीिन में रह के मैं भी अब कुछ सुकयन से र्गुज रन की स च रहें हैं

मुझ क अब एक ऐसे ही एहस स ि ि ि सुन्दर जर्गह भी च वहए

यह वजांदर्गी वमिी है एकदम हरी भरी सी र्र मुझे अच्छे कमप च वहए

भिे ही अमि में न ि ियां र्र मुझे यह ूँ श न शौकत क सम ां च वहए

मुसीबत र्ड़े और हम र वदन भ री ह त ईश्वर क आवशब पद च वहए

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मेरे जीिन क सिर

जब भी कभी मैं ने अर्नी मांवजि क स मने देख त अर्न र स्त नहीां बदित थ

ज भी मैंने ठ न विय ि मेरे अनम ि सर्ने ह र्गए उनक मैं कभी नहीां त ड़त थ

मुझे कदम कदम र्र जह ूँ सिित वमिी िहीूँ कई मुक्तििें भी स मने आ र्ड़ी थी

र्र मैं ने आसम न के वसत रे त ड़ने के विए कभी भी इस धरती क नहीां छ ड़ी थी

र्ुरख ां ने बत य थ की क ई स थ दे य न दे तुम खुद आर्गे बढ़न सीख िेन बेट

वजांदर्गी में आर्ग भी बरसेर्गी उस से ि वकि ह कर जि के भी वनकि ज न बेट

मेरे आज जी क कहन थ की क ई भी नहीां र क र् येर्ग आर्गे बढ़ने से तुझे बेट

आजी जी ने बत य थ मांवजि तेरी स मने ह र्गी क ई नहीां दुुः ख देर्ग तुझक बेट

वर्त जी ने समझ य थ की हर मुक्तिि क बस डट के स मन करते रहन बेट

म त जी ने दुि र से ब िै थ अर्ने नजर क बदिते रहन नजररय बदिेर्गी बेट

बस मैं धीरे धीरे सीख र्गय की अर्गर मैं अर्ने स च क बदि त जीिन बदिेर्ग

कक्तस्तय ूँ बदिने की जरुरत ही नहीां है बस वदश बदिद त वकन र वमि ज एर्ग

वजय एसे ख़ुशी से और इतन धुन में की स री वजांदर्गी भी कम र्ड़ ज ए मेरे य र

हांस और र्ग ि एसे अर्ने वजांदर्गी में की र न ध न भी मुक्तिि ह ज ए मेरे य र

जीिन में वकसी भी चीज़ क ह वसि करन है त िह त वहम्मत से करन है मुझे

िेवकन क वशश इतनी करते रह की देने ि ि भी मजबयर ह के सब देत रहे तुझे

जब से ह श सांभ ि मैंने त डरन छ ड़ वदआ थ की आर्गे वजांदर्गी में क् ह र्ग

श्री कृष्ण की र्गीत क ज्ञ न थ की हर िक़्त ज भी ह र्ग िही सब अच्छ ही ह र्ग

बस वर्छिे अस्सी िर्षों से मैं भी आर्गे बढ़त रह अर्ने सभी मांवजि ां की ख ज में

ज कुछ वमि उस में सांत र्ष वकय न वमि त क् तजुरब त वमि मेरे ख ज में

ब ि बच्च ां क र्ढ़ विख के उन क भी जीिन सिि बन ने में र्यरी क वशश वकय

आज ि सब ख़ुशी की वजांदर्गी वबत रहें हैं इस विए मैं त अब म न र्गांर्ग नह विय

यही ' िखन ' की सीख थी और यही उस की छ टी सी वजांदर्गी की कह नी बन र्गयी

आर्गे क् ह र्ग ि त मेरे र म जी ज ने वजनके प्रस द से स री जीिन स थप बन र्गयी |

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िक़्त क ि स्त

य समय क िेर

इस नयी सदी में वमि रही है हमें ददप भरी सौर्ग त

अर्न बेट ही कहने िर्ग ब र् से तेरी क् औक त

अब आूँख ां क आांसयां मर र्गय मर शमप और ि ज

अब बहु कहने िर्गी हैं स स से घर में मेर ही र ज

मांवदर में ि र्ग र्यज करें र्र घर में करते हैं किेश

अर्न वर्त त ब झ िर्गे र्र र्त्थर िर्गे है र्गणेश

आज स स ससुर ि च र हैं बहु न र्यछे उनक ह ि

ज ए क्लब में सेि करे र्र स स ससुर ह ते वनह ि

अब त अर्न खयन भी करने िर्ग है बड़ कम ि

ब झ समझ के म ूँ ब र् क घर से देत है वनक ि

म ूँ की ममत वबक रही और वबके वर्त क प्य र

अब वमिते हैं ब ज र में िफ़ क बेचने ि िे य र

भ ई भ ई में अब ह त है अब कुछ एस ही बैर

ररश्े टयटे हैं खयन के और प्य रे िर्गते हैं ज र्गैर

अब ि र्ग ररश् ां क ययूँ त ड़ते जैसे कच्च सयत

अब बटि र म ूँ ब र् क करने िर्गे हैं कर्यत

ज िक़्त र्ड़े र्र स थ दे िही ह ते हैं सच्च य र

िखन सच्चे य र ां के वहत यह जीिन करे वनस र

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यही है वजांदर्गी

प्य र कर य ि र कर िेवकन यही त है यह वजांदर्गी

कभी ग़म त कभी ख़ुशी, कभी धुर् कभी छ ूँह है वजांदर्गी

विध त ने ज वदय है ि एक अद्भुत उर्ह र है वजांदर्गी

कुदरत ने ज इस धरती र्र विखेर ि प्य र है वजांदर्गी

वजससे हर र ज नए नए सबक हमक वमिते रहतें है

ि यथ पत क अनुभि करने ि िी एसी कड़ी है वजांदर्गी

वजसक हम न समझ सके एसी ही र्हेिी भी है वजांदर्गी

कभी तन् ईय ां में हम री भक्तिम न सहेिी भी है वजांदर्गी

अर्ने अर्ने कमो के आध र र्र वमिती है यह वजांदर्गी

कभी सर्न की भीड़ है त कभी अकेिी है ये वजांदर्गी

ज समय के स थ बदिती रहे ि सांस्कृवत है ये वजांदर्गी

खट्टी ह य वमट्ठी सभी य द ां की स्मृवत है यह वजांदर्गी

ज न कर हम अनज न ह तें है कुछ एसी है ये वजांदर्गी

वकसी वकसी के विए उिझी र्हेिी भी है ये वजांदर्गी

हर र्ि नदी के तरह बहती रहे एसी है ये वजांदर्गी

ज र्ि र्ि चिती रहती िैसी भी है यह वजांदर्गी

क ई हर र्ररक्तस्तवथ में र र के र्गुजरत है वजांदर्गी

त वकसी के विए मुस्कुर ने क हौसि भी है वजांदर्गी

कभी उर्गत सयरज त कभी अूँधेरी र त भी है वजांदर्गी

ईश्वर क वदय म ूँ से वमि अिम ि उर्ह र है वजांदर्गी

त तुम ययूँ ही न वबत ओ अर्नी यह कीमती वजांदर्गी

र्र जर हटकर डटकर बन ओ अर्नी ये वजांदर्गी

दुवनय ां के श र में कहीां न ख ज ये तुम्ह री ये वजांदर्गी

तुमक देख कर मुस्कुर ये एस बन ओ ये वजांदर्गी

म न ि मेर कहन सांभ ि ि ये है कीमती वजांदर्गी

िम्बी ह य छ टी ह र्र तुम्ह री ही है यह वजांदर्गी

दुआ कर रब से की सुखी ह तुम्ह री ये वजांदर्गी

मौज कर , ख ि वर्य जब तक है यह वजांदर्गी ।

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हम र जनम स्थ न मह न है

कहीां श्य म चट्ट न कहीां दर्पण स उििि सर है

कहीां हरे तृण खेत कहीां वर्गरी-स्त्र त-प्रि ह प्रखर है

कहीां र्गर्गन के खम्भ न ररयि त र भ र वसर ध रे हैं

रस रवसक ां के विए खड़े ज्ययूँ सुप्त नक र इश रे हैं

मांवदर मक्तिद वर्गरज घर र्गुरुन नक क र्ुनीत स्थ न यह ूँ हैं

वशक्ष के विए कई प्रक र के र् ठश ि ओां क प्रबांध यह ूँ है

मेरी भी वशक्ष दीक्ष यहीां हुयी धमप क ज्ञ न यहीां वमि थ

र्गुरुजन क आभ री हूँ वजनके करकमि ां से ज्ञ न वमि थ

घेर रही हैं वजसे र्ल्लवित ित सुर्गक्तित झ डी है

छ य शवयत सधन आच्छ वदत कांुवचत र्न्थ र्ह ड़ी है

सिोर्रर उन्नत मन की सी िवक्षत अचि ऊांच ई है

हर एक घडी सभी ब वशांद ां के विए देती सुखद ई है

ऊूँचे से झरने झरते हैं वकतने शीति ध र धिि हैं

यह ूँ र्र र्रम सुख श क्ति है वनत आनांद अटि है

कहीां ध र के र् स शीि र्र बैठे ि र्ग क्षण भर हैं

र् सकते हैं श क्ति हम जी के ज्वर वमट सकते हैं

ब र ब र बक र्ांक्ति र्गमन से उििि ियि क्तखिी हैं

मेघ र्ुष्प िर्षप से धयवमि घट आक श र्र क िी है

िहर ती दृर्ग की सीम तक ध न की हररय िी है

ि ररज नयन र्गर्गन छवि दशपक की छट वनर िी है

बन उर्िन से हरी धर क देख न आूँख अघ ती है

क् ां यह र्ग िां ि ि ां के जी की िर्गन नहीां वमट ती है

ध न, मकई, मटर, तयर, ईख के खेत खड़े िहर ते हैं

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यही क रण ये सब के मन क विर्ष द क वमट ते हैं

वनम्बय आम सिीि इमिी की इतनी वनर िे छ य है

ख र्ी कर इन सब क य द रखती सब की क य है

वकस न बैठ के ब ग़ के मेड र्र हुक्क र् नी करते हैं

अर्ने मेहनत से उर्जे अन ज क वनरक्षण करते हैं

वचवड़य ां क चहक ज निर ां की अर्नी ब नी ह ती है

त त मैन क विि द बुिबुि की प्रेम कह नी ह ती है

मधुर प्रेम के र्गीत न ररय ां र्ग कर खेत ां क वनर ती हैं

क्षण भर में ये सब के तन मन क कष्ट् वमट ती हैं

र स्ते के बर्गि घर के र् स वचत्र विवचत्र सुमन िर्गे हैं

हरे हरे बृक्ष िहर ते हैं सब मन में श ांत भ ि दश पते हैं

यह सब दृश्य ां की श भ से ि र्ग ियिे नहीां सम ते हैं

दे कर ियि ां क उर्ह र ि र्ग र्यज र् ठ भी करते हैं

सुन्दर दृश्य है िहर मन हर सी उठकर वमट ज ती है

रकम रकम के िृक्ष ां की विस्तृत छ य सुखद सुह ती है

िटक रहे है बेिफ़यट र्ेड़ ां में और िि ियि िहर ती है

र्गयूँज रहे हैं भौरें बन में भ ांवत भ ांवत के र्ांछी चहचह ती हैं

आस र् स क स र र्थ सुरवभत है महक रही िुिि री

वबछी ियि ां की सेज यह ूँ वततविय ां क उड़ न सुखक री

नदी न ि ां क सांय र्ग यह ूँ जांर्गि में मांर्गि ि र्ग करते हैं

उन ऊूँचे नीचे र्िपत र्र श म के ब दि मांडर य करते हैं

सांध्य समय र्ग दुर उड़ते हैं और अर्न आि ज़ सुन ते हैं

विविध रांर्ग रर् के र्शु र्ांछी झुण्ड झुण्ड में वमि ज तें हैं

बैठ आूँर्गन में वकस न सब वमिकर र्गीत मन रम र्ग ते हैं

तम्बयर भजन और ग़ज़ि ां क सांग्रह हम सब क सुन ते हैं

प्र तुः क ि ही सब सिन ि र्ग कह ूँ कह ूँ से आ ज तें हैं

स रे ि वशांद ां क इकठ्ठ करके बड़े र चक र् ठ र्ढ़ ते हैं

यह सब देख सुन के सब के मन में उत्तम भ ि सम ते हैं

ि र्ग यह ूँ र्र बैठ घडी भर बहुत कुछ सीख कर ज तें हैं

एक ओर तुर्ष र धिि र्िपत वचरक ि से चुर्च र् स रह है

प्रकृवत की देन है ि सर िर ज उसके र्ेट से वनकि रह है

उसके तट ां र्े वकतने शीि हैं जह ूँ ि र्ग बैठ वदि बहि ते हैं

वकतने मछुि भी िहीूँ बैठ कर अर्ने घर क भ ज जुट तें हैं

आम अमरुद नीम्बय न ररयि अन्य िि ां क भरम र यह ूँ है

रस से भरे अनरस और ईख की खेत ां क सांघ र भी यह ूँ है

एसे सब प्रभु की अद्भुत रचन क दृश्य विवचत्र वदख ते है

वदव्य अय वचत दय प्र प्त कर के सब ि र्ग सुखी ह ज ते हैं

र्िपत ह य मैद न नर्गर ह य र्ग िां सब एक भ ि भ ांवत हैं

सरि हैं अवत तरि भी हैं मृदुि र्गवत से बहुरर् वदखती हैं

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सवदय ां से सद प्रि वहत सम्बेत की नदी सांर्गीत सुन ती है

चिी र्िपत से प्रश ांत स र्गर ज रही क् ां आई क् ां ज ती है

इन सुखमय नज़ र ां क देख के ि र्ग आश्चर्य प्रकट करते हैं

इन के शुभ दशपन से वनज मन की सब व्यथ भी हर िेते हैं

दरख़् ां र्र ि ख ित विर्टी हैं सब सुन्दर अवत सुह ते हैं

इनके छत्र छ ये में वकतने ही जन ज निर मह सुख र् ते हैं

क मि र्थ है वदश श ांत है ि यु भी स्वच्छ और सुखक री है

बैि बकरी र्ग य घ ड़े जांर्गि में मांर्गि करते यह मांर्गिक री है

एसी विविध वििक्षणत से सज प्रकृवत क म न हम करते हैं

क् ां न ह ते हर्षप विम वहत 'िखन' इन सब क देख करते हैं

अड़हुि र्गुि ब चमेिी र्गेंद जैसे ियि ां की भरम र है आूँर्गन में

सुन्दर िि ियि के बर्गीचे झिक रहे हैं सब के घर आूँर्गन में

इस सब के दशपन से सब ि र्ग सद मन रांजन उठ ते रहते हैं

इसी विए ि र्ग उन के वदग्दशपन से क्षण भर में दुुः ख वमट ते हैं

बचर्न में मैं भी इन्ी मधुर र्गविय ां में अर्न समय वबत ते थे

ि ख ां उन वदन ां की य दें यहीां र्े हैं वजनक हम सब सज ते थे

उस र्ग िां शहर और ट िी के सब दृश्य आज भी मन भ ते हैं

इने वर्गने स िन भ द ां में हम अर्ने म त्र भयवम देखने ज ते हैं |

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आर्गे बढ़ इस जीिन में

वजांदर्गी वजांद वदिी क न म है बस वहम्मत से क म ि और आर्गे बढ़ते चि

तुम्ह रे र ह ां में च हे ियि वबछे ह ां य क ांटे भरे ह ां बस आर्गे ही बढ़ते चि

इस वजांदर्गी के र हें कवठन हैं र्र अर्ने वहम्मत और र ह ां क मत छ ड तुम

च हे वजतनी भी वबर्त एां आज यें अर्ने मुख क उन से जर भी न म ड़ तुम

स थ रहे य न रहे क ई स थी की र्रअर्ने म न मय पद क कभी न छ ड तुम

वनकि र्ड़ अर्ने सभी नेक क म ां र्र वफ़क्र वकसी की कभी नहीां कर तुम

कृर् की भीख वकसी से कभी न म ांर्ग अर्ने ही बि बयते र्े वबस्व स रख तुम

भर्गि न् बड़ दय िय है सद उस र्रम वर्त र्रमेश्वर र्र कर र्यर भर स तुम

द अक्षर प्रेम क बड़ मह न है खुद इसक र्ढ़ और दयसर ां क र्ढ़ ते रह तुम

वजांदर्गी छ टी त है र्र जब तक तन में ज न है तब तक आर्गे ही बढ़ते रह तुम

ये तुम्ह र सद क न र ह और यही सन्देश सब क देकर आर्गे चिते रह तुम

मैं भी बदिन सीख विय थ अर्ने वजांदर्गी में अर्ने बदिते िक़्त के स थ ययूँ

क्यांवक मैं यह ज न र्गय थ की हम र समय आर्गय थ की मैं िक़्त बदि दयूँ

इस विए हमने अर्ने मजबयररय ां क कभी नहीां क स थ अर्ने इस जीिन में

ह ूँ इतन जरर वकय थ की हर ह ि में अर्ने जीिन में आर्गे बढ़त रह मैं

ठीक इस तरह से अर्ने इस छ टे से वजांदर्गी क आस न बन त चित रह मैं

हम ने वकतन क म फ़ कर वदय और वकतन से म फ़ी भी म ांर्ग विय थ मैं |

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अच्छे और बुरे गुण

इस सांस र में हम में से हर वकसी के मन मांवदर में य वदि में अच्छे और बुरे र्गुण

द न ां ह तें हैं तथ ज भी ि र्ग अर्ने अच्छ इय ां र्र अर्न मन क केंवद्रत करतें हैं

ि सद सिित की जीिन व्यतीत करतें हैं। ज अर्ने और्गुन ां क िे कर चिते

हैं उन क जीिन बुर इय ां और तकिीि ां से भरी रहती है।

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द स्त हम रे थकने िर्गें हैं

इस छ टे से जीिन में मेरे बहुत द स्त थे िेवकन अब िे थकने िर्गें हैं

वकसी क र्ेट वनकि आय है त वकसी के सर र्े ब ि ही नहीां रहें हैं

वकसी के ब ि र्कने िर्गे हैं और उन के ह ूँथ र् िां भी ढीिे ह रहें हैं

यह सब ययूँ हुि की उन सब र्े वजम्मेद री बहुत थी र्र वनभ ते रहे हैं

कुछ द स्त ां क वबम ररय ां ने घेर र्र िे उनक इि ज भी करते रहे हैं

वदन भर ज खेि कयद करते, भ र्गते दौड़ते थे और मजे उड़ ते रहे हैं

अब िे चिते चिते रुकने िर्गे हैं य बैठ क ने में आर म कर रहें हैं

यही सब त इस वजांदर्गी की हकीकत है सब द स्त मेरे तरह थकने

िर्गें हैं

वकसी क जीने की वफ़क्र है वकसी क ज ने की स च है िेवकन चिते

ही हैं

त जुब त यह है की अब सब क िुसपत ही िुसपत है आूँख ां में एक

नमी है

चस्म क नांबर बदिते बदिते अब िे कैटरेक्ट क वशक र भी ह रहें

हैं

र्हिे त र्ढ़ते विखते थे भ र्षण भी देते थे र्र अब कुछ य द नहीां

आतें हैं

अब िेसबुक के सह रे वमांत्र ां की ख ज कर िेते हैं ब तचीत भी कर

िेते हैं

कुछ भी ह हकीकत त यही है की सभी द स्त हम रे अब थकने िर्गे

हैं

ज ने की तैय री में िर्गे है इस विए र्यज र् ठ भी बड़े िर्गन से कर रहें

हैं

वहम्मत न ह र य र जीने की क वशश में सम ज सेि में िर्गे रह

य र ां

क ई च हे कुछ कहे र ज सुबह क इांतज़ र कर और सब क र्ग िी